कैंसर ऐसी बीमारी है जिसमें अगर शुरुआत में पता चल जाए तो इससे पूरी तरह बचा जा सकता है. लेकिन दुर्भाग्य से कैंसर की जांच को लेकर जागरूकता का बेहद अभाव है. अधिकांश महिलाएं समय पर कैंसर की जांच नहीं कराती जिसके कारण उन्हें मौत के मुंह में जाना पड़ता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक ब्रेस्ट और सर्वाइकल महिलाओं में होने वाले 4 टॉप कैंसर हैं जिनके कारण सबसे ज्यादा महिलाओं की मौत होती है. सितंबर का महीना गाइनेकोलॉजिक कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है. मतलब यह है कि यदि समाज और महिलाओं में जागरूकता हो तो प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित कैंसर से आसानी से बचा जा सकता है. इसके लिए समय पर कुछ टेस्ट कराने की जरूरत पड़ती है. इससे शुरुआती दौर में कैंसर का पता लगाया जा सकता है
महिलाओं में कैंसर टेस्ट क्यों जरूरी
इंडियन एक्सप्रेस की खबर में सिग्नस लक्ष्मी अस्पताल की गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. मंजरी गुप्ता बताती हैं कि हर महिलाओं को रूटीन में गाइनिक टेस्ट कराने चाहिए. इससे समय से पहले कैंसर का पता चल जाएगा और फिर बीमारी से आसानी से बचा जा सकेगा. दूसरी ओर से एचपीवी के खतरे का भी पता लगेगा. एचपीपी महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार है. एचपीवी की वैक्सीन भी आती है जिसे हर महिलाओं को लगवानी चाहिए. रेगुलर जांच कराने से प्रजनन स्वास्थ्य बेहतर रहता है और इससे ऑवरऑल हेल्थ सही रहती है. अब जानते हैं कि वे कौन से 7 कैंसर के टेस्ट हैं जिन्हें हर महिला को करानी चाहिए.
कैंसर के ये टेस्ट हर महिला के लिए जरूरी
1. पेप स्मीयर-प्रजनन स्वास्थ्य को हमेशा बेहतर बनाने के लिए हर महिला को रूटीन रूप में पेप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए. 21 साल से 65 साल की उम्र के बीच हर महिला को तीन साल में एक बार जरूर पेप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए. इससे प्रजनन अंगों में कैंसर होने का पता पहले ही चल जाएगा.
2. एचपीवी टेस्ट-ह्यूमन पेपोलोमावायरस सर्विक्स में कैंसर के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार होता है. इस वायरस के हमले से प्रजनन अंगों के सेल में परिवर्तन होने लगता है. 25 साल की उम्र के बाद यह टेस्ट होता है. आमतौर पर पेप स्मीयर के साथ ही एचपीवी टेस्ट किया जाता है. इससे सर्वाइकल कैंसर से बचा जा सकता है.
3. कोल्पोस्कोपी-अगर पेप स्मीयर में किसी तरह की दिक्कत आती है तो डॉक्टर कोलस्कोपी करने की सलाह देते हैं. इसमें सर्विक्स के अंदर की चीजों को बहुत सूक्ष्मता के साथ देखी जाती है जिसमें कैंसरस लाइजन की पहचान की जाती है.
4. ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड-ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड से महिलाओं के शरीर के कई हिस्सों में कैंसर के कण होने का पता लगाया जाता है. इससे पल्विक, ओवरी और यूट्रस में होने वाले जोखिमपूर्ण कैंसर की पहचान की जाती है.
5. बीआरसीए जेनेटिक टेस्टिंग-इसमें BRCA1 और BRCA2 जीन की पहचान की जाती है. ये दोनों दीन ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं.
6. सीए-125 ब्लड टेस्ट-सीए-125 ब्लड टेस्ट 30 साल के बाद किया जाता है. इसमें सीए-125 प्रोटीन का पता लगाया जाता है. अगर यह खून में बढ़ जाए तो इससे ओवरी कैंसर होने का खतरा रहता है.
7.एंडोमैटेरियल टिशू टेस्ट-इसमें एंडोमैटेरियल सेल्स में किसी तरह की खराबी के बारे में पता लगाया जाता है. इससे यूटेरिन कैंसर का खतरा रहता है