Homeराजनीतिमुशर्रफ पाकिस्तान वापस जाने की अपनी अंतिम इच्छा पूरी नहीं कर सके

मुशर्रफ पाकिस्तान वापस जाने की अपनी अंतिम इच्छा पूरी नहीं कर सके

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दुबई, 7 फरवरी (आईएएनएस)। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के जनाजे की नमाज मंगलवार को होगी। मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि नमाज पाकिस्तान के कराची में पोलो ग्राउंड मलीर कैंट में आयोजित की जाएगी। पूर्व राष्ट्रपति को सेना के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।

मुशर्रफ ने 2008 में पाकिस्तान छोड़ दिया था और तब से वह दुबई, लंदन और अमेरिका के बीच चक्कर लगा रहे थे। 2016 से वह स्थायी रूप से दुबई में रह रहे थे।

उनके दुबई शिफ्ट होने के दो कारण थे। सबसे पहले, यूएस और यूके में उनके अतिथि व्याख्यान सत्र लगभग समाप्त हो गए थे और दूसरी बात, चूंकि वह एक दुर्लभ बीमारी – एमाइलॉयडोसिस से पीड़ित थे। मुशर्रफ का इलाज पाकिस्तान के किसी भी अस्पताल में नहीं हो सकता था।

उनका इलाज दुबई के अमेरिकन अस्पताल में चल रहा था। हालांकि इस बीमारी का इलाज सिर्फ ब्रिटेन के लंदन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज के अस्पताल में होता है।

क्या थी परवेज मुशर्रफ की आखिरी इच्छा?

मैं 2017-2019 के बीच 3-4 बार परवेज मुशर्रफ से मिला था, जब वह अच्छे स्वास्थ्य में थे और अक्सर मीडिया से बातचीत करते थे।

उनकी एक ही इच्छा थी कि एक बार पाकिस्तान वापस जाने का मौका मिले।

भारत के दिल्ली के दरियागंज में जन्मे मुशर्रफ अपने अंतिम समय में बस एक ही चीज चाहते थे कि एक बार उन्हें वापस पाकिस्तान जाने का मौका मिले।

मुशर्रफ के साथ मेरी पहली बातचीत के दौरान, मैंने पूछा आपने एक देश पर शासन किया है .. लेकिन आपके दिल में ऐसा क्या है जो आप चाहते हैं कि यह और ज्यादा हो सके? उन्होंने जवाब दिया : मैं पाकिस्तान वापस जाना चाहता हूं, उस देश में वापस जाने के लिए कम से कम एक मौका दिया जाना चाहिए। हालांकि उनकी यह इच्छा उनके निधन के बाद पूरी हो रही है।

मुशर्रफ को बड़ी उम्मीद थी कि इमरान खान की सरकार बनने के बाद देशद्रोह के मामले में उन्हें कुछ राहत मिल सकती है और वह वापस पाकिस्तान जा सकते हैं। लेकिन उन्हें 2019 में मौत की सजा सुनाई गई थी। पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार था, जब किसी पूर्व सैन्य शासक को देशद्रोह के मुकदमे का सामना करना पड़ा था। हालांकि, मौत की सजा को बाद में लाहौर हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था।

2019 में मैं परवेज मुशर्रफ से उनकी फांसी की सजा के बाद उनका पक्ष लेने के लिए मिला, लेकिन उन्होंने कैमरे पर बोलने से इनकार कर दिया, और ऐसा लगा कि यह फैसला पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति के लिए एक झटका था।

मुशर्रफ आमतौर पर अपने प्रबंधक, गार्ड और कर्मचारियों के साथ दुबई के पेंटहाउस में रहते थे, जबकि उनके बेटे और बेटी ब्रिटेन और पाकिस्तान में रहते थे। हमेशा फौज से घिरे रहने वाले एक जनरल अपने अंतिम समय में अपनों से दूर अकेले मौत के आगोश में समा गए।

दुबई में मुशर्रफ के करीबी सहयोगी ताबिश जैदी ने कहा, दुबई में वर्षो से उनके करीब होने के कारण मैं उनसे कई मौकों पर मिला और उन्हें हमेशा पाकिस्तान के बारे में चिंतित पाया। उन्होंने कुछ महीने पहले पिछली मुलाकात में मुझसे कहा था कि उन्होंने वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए एक बेहतर और अधिक समृद्ध देश बनाने के लिए जो कुछ भी कर सकते थे, किया।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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