मेंटल हेल्थ को समझना और इस पर बातचीत करना बहुत जरूरी हो चुका है आज के समय में क्योंकि तनाव चिंता डिप्रेशन जैसी चीज़ों से बड़े ही नहीं बच्चे भी आज के समय में जूझ रहे हैं। इसी चीज़ को बताने और समझाने के मकसद से हर साल 10 अक्टूबर को मेंटल हेल्थ डे मनाया जाता है।माता-पिता अपने बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जितना चिंतित रहते हैं, उतना शायद ही अन्य कोई रहता हो। भारत में आज भी अधिकांश माता-पिता अपने बच्चे को केवल शारीरिक रूप से ही स्वस्थ रखने पर जोर देते हैं। बच्चे के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ्य होना कितना जरूरी है, इस पर कुछ चुनिंदा लोग ही ध्यान देते हैं।
आज के समय में हर आयु वर्ग के इंसान को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में माता-पिता के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे अपने बच्चे को किसी भी प्रकार की मानसिक बीमारी से ग्रसित ना होने दें। आज के इस लेख में हम आपको यही बताएंगे कि आप कैसे अपने बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं।
बच्चे से बातचीत करें
अपने बच्चे के करीब रहने और उसके मन मस्तिष्क में चल रही चीजों को जानने का सबसे आसान तरीका है, उससे बातचीत करना। आप अपने बच्चे से पढ़ाई, खेलकूद या उसकी रूचि के अन्य विषयों पर रोजाना कुछ देर जरूर साथ बैठकर बातचीत करें। ऐसा करने से आपका बच्चा कभी अकेला महसूस नहीं करेगा और अपने जीवन की समस्याओं को आपके साथ साझा करने से झिझकेगा भी नहीं।
बच्चे के व्यवहार पर ध्यान दें
हमारे समाज में अक्सर देखा जाता है कि बच्चे के थोड़ा बड़ा होते ही माता-पिता उस पर ध्यान देना कम कर देते हैं। इस कारण बच्चा अपने परिवार से कटा हुआ महसूस करने लगता है और धीरे-धीरे अपनी पर्सनल बातें भी छुपाने लगता है। ऐसे में आपको यह सुनिश्चित करना है कि आप अपने बच्चे के व्यवहार में हो रहे छोटे से छोटे बदलाव पर नजर रखें और उसे बुरी चीज़ों के प्रभाव में आने से रोकें।
बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाते रहें
आपके बच्चे को मेंटली हेल्दी रखने के लिए यह भी जरूरी है कि उसमें कभी भी कॉन्फिडेंस की कमी ना हो। आप बच्चे की छोटी-छोटी सफलताओं के लिए भी उसकी प्रशंसा कीजिए। इसके अलावा, बच्चे की विफलताओं में भी उसे डांटने के बजाए उसके प्रयासों को सराहें और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
अच्छी आदतें सिखाएं
मनुष्य के शारीरिक स्वास्थ्य का सीधा प्रभाव उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। अगर आपका बच्चा किसी शारीरिक समस्या से जूझ रहा है, तो इसका नाकारात्मक प्रभाव उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। इसलिए बच्चे को कम उम्र से ही स्वस्थ आदते
सिखाएं। बच्चे को कसरत, योग, प्राणायाम और ध्यान करने के लिए प्रेरित करें। उसे किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी में इंगेज रखने की कोशिश करें।
मानसिक स्वास्थ्य को नज़र अंदाज़ ना करें
इसके अलावा, सबसे जरूरी बात यह है कि हमें बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य जैसी गंभीर और जरूरी बात को नज़र अंदाज़ नहीं करना चाहिए। बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बात करने और इससे जुड़ी समस्याओं का समाधान ढूंढना ही आज के समय की आवश्यकता है।