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वायु प्रदूषण से बढ़ रहा फेफड़ों के कैंसर का खतरा,इन तरीकों से करें बचाव

लंबे समय तक खांसी का रहना, कफ के साथ खून आना, छाती में दर्द रहना, सांस लेने में परेशानी या घरघराहट होना, वजन घटना, अक्सर कमजोरी और थकान महसून करना आदि फेफड़ों का कैंसर के प्रमुख लक्षण हैं।

चारों ओर फैला धुंआ, हवा इतनी जहरीली की सांस लेना भी मुश्किल। कहीं ट्रक, बस, ऑटो, जेनरेटर्स से निकलता धुंआ, तो कहीं सड़कों पर फैली भवन निर्माण सामग्री के कारण उड़ती धूल, तो कहीं धुंआ उगलती फैक्ट्रियों की चिमनियां। इन सब के बीच सांस लेना मजबूरी है, इसलिए लोग घर से निकलते ही मुंह पर कपड़ा ढक लेते हैं। मगर, यह कपड़ा भी चारों ओर फैले वायु प्रदूषण को हमारे शरीर में समाने से रोकने में नाकाम है। नतीजा, प्रदूषित वायु में मौजूद विषैले तत्व सांस के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इससे कई तरह की बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। इनमें सबसे खतरनाक है फेफड़ों का कैंसर, जिसका पता अधिकतर मरीजों में तब चलता है, जब यह बीमारी लाइलाज हो जाती है। कई बार इलाज उपलब्ध तो होता है लेकिन महंगा होने के कारण इसका इलाज करा पाना प्रत्येक व्यक्ति के लिए संभव नहीं होता। 

किन बातों का ध्यान रखना चाहिए :

मास्क पहनें

बाहर निकलते समय हमेशा मास्क पहन कर निकलें। मास्क पहनने से हवा में मौजूद छोटे-छोटे पार्टिकल्स फिल्टर हो जाएंगे। इसलिए घर से निकलते समय हमेशा मास्क पहन कर रखें। खासकर बच्चों और बूढ़ों को बिना मास्क के बाहर न निकलने दें।

स्मोकिंग न करें

स्मोक करना आपके फेफड़ों के लिए श्राप से कम नहीं होता। इससे लंग्स कैंसर होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। स्मोकिंग से लंग्स की हवा फिल्टर करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है, जो बढ़ते प्रदूषण में और खतरनाक साबित हो सकता है। सेकेंड हैंड स्मोक यानी किसी और द्वारा छोड़े गए सिग्रेट के धुएं से भी बचें। यह भी लंग्स के लिए स्मोकिंग जितना ही हानिकारक होता है।

इंडोर प्लांट्स लगाएं

अपने घर के अंदर स्नेक प्लांट, मनी प्लांट जैसे कुछ पौधे लगा सकते हैं, जिससे आपके घर के अंदर की हवा शुद्ध होगी। इसके लिए आप वर्टिकल गार्डनिंग तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आप कम जगह में ज्यादा पौधे लगा पाएंगे।

एक्सरसाइज करें

एक्सरसाइज करने से आपके लंग्स मजबूत होते हैं। इसमें योग और प्राणायाम काफी मदद कर सकते हैं। यह आपके लंग्स की क्षमता को बढ़ाते हैं और लंग्स में होने वाली बीमारियों के खतरे को भी कम करते हैं।

बेवजह बाहर न जाएं

प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए कोशिश करें कि जरूरत न हो, तो घर से बाहर न निकलें। मास्क पहनने से भी एक हद तक की ही सुरक्षा मिल सकती है। इसलिए कोशिश करें कि बाहर कम से कम निकलें।

हवा की क्वालिटी चेक करें

आपके क्षेत्र का एक्यूआई लेवल कितना होता है, इसका पता लगाने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आप पता लगा पाएंगे कि बाहर कितना प्रदूषण है और आप उस हिसाब से बाहर जाने का समय और वेंटिलेशन के लिए खिड़की दरवाजे भी खोल पाएंगे।

एयर प्यूरीफायर

अपने घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं। यह हवा में मौजूद प्रदूषण को फिल्टर कर आपको साफ हवा देता है। यह बच्चों,गर्भवती,बूढ़ों और मरीजों के लिए काफी लाभदायक हो सकता है। साथ ही वेंटिलेशन का भी ध्यान रखें। कोशिश करें कि उन समय में जब प्रदूषण कम होता है, तब खिड़की दरवाजे खोलकर ताजी हवा आने दें।

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