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कोहिमा/ईटानगर, 25 मार्च (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम 1958 के तहत अशांत क्षेत्र का दर्जा और छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
गृह मंत्रालय के मुताबिक केंद्र सरकार के लगातार प्रयासों से पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा स्थिति में अभूतपूर्व सुधार हुआ है और भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम के तहत दशकों बाद अप्रैल 2022 से नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम किया।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इन तीन राज्यों में अशांत क्षेत्रों को और कम किया जा रहा है। गृह मंत्रालय का हवाला देते हुए, कोहिमा में अधिकारियों ने कहा कि निर्णय दोनों सीमावर्ती पूर्वोत्तर राज्यों में कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के बाद लिया गया।
गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में एएफएसपीए के तहत नौ जिलों और नागालैंड के चार अन्य जिलों के 16 पुलिस थानों को छह महीने की अवधि के लिए अशांत क्षेत्र घोषित किया था।
एक अन्य अधिसूचना में, गृह मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों और अरुणाचल के नामसाई जिले के नमसाई और महादेवपुर पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाले क्षेत्रों को अशांत क्षेत्र के रूप में घोषित किया था।
शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हवाले से एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार के मद्देनजर पूर्वोत्तर के अधिक क्षेत्रों से अफस्पा (एएफएसपीए) को और कम करने का निर्णय लिया गया है।
बयान में कहा गया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार पूर्वोत्तर की सुरक्षा, शांति और विकास को प्राथमिकता दी गई, जिसके परिणामस्वरूप यह क्षेत्र आज शांति और विकास के पथ पर तेजी से बढ़ रहा है।
अशांत क्षेत्र अधिसूचना 1990 से पूरे असम में लागू है। बयान में कहा गया है कि मोदी सरकार के अथक प्रयासों से सुरक्षा स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार के परिणामस्वरूप पिछले साल 1 अप्रैल से असम के 9 जिलों और एक जिले के एक सब-डिविजन को छोड़कर शेष पूरे असम राज्य से अफस्पा के अन्तर्गत अशांत क्षेत्रों को हटा लिया गया था 1 अप्रैल 2023 से अशांत क्षेत्रों में और कमी करते हुए इसे मात्र 8 जिलों तक सीमित कर दिया गया है।
मणिपुर (इंफाल नगर पालिका क्षेत्र को छोड़कर) में अफस्पा के अधीन अशांत क्षेत्र घोषणा वर्ष 2004 से चली आ रही थी। केंद्र सरकार द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 6 जिलों के 15 पुलिस स्टेशन क्षेत्र को 1 अप्रैल 2022 से अशांत क्षेत्र अधिसूचना से बाहर किया गया था और अब 1 अप्रैल 2023 से अफस्पा के अधीन अशांत क्षेत्र अधिसूचना को 4 अन्य थाना क्षेत्रो से हटाते हुए, कुल 7 जिलों के 19 पुलिस थानों से हटाया गया है।
अशांत क्षेत्र अधिसूचना 1995 से पूरे नागालैंड में लागू थी। एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने इस सन्दर्भ में गठित कमेटी की चरणबद्ध तरीके से अफस्पा हटाने की सिफारिश को मानते हुए 1 अप्रैल 2022 से 7 जिलों के 15 पुलिस स्टेशनों से अशांत क्षेत्र अधिसूचना को हटाया गया था और 1 अप्रैल 2023 से अफस्पा के अधीन अशांत क्षेत्र अधिसूचना को 3 अन्य थाना क्षेत्रो से हटाते हुए कुल 8 जिलों के 18 पुलिस थानों से हटाया जा रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल 31 मार्च को असम, नागालैंड और मणिपुर के बड़े हिस्से में 1 अप्रैल से अफस्पा के संचालन को कम करने की घोषणा की, यहां तक कि इस क्षेत्र के अधिकांश राजनीतिक दल और गैर सरकारी संगठन इसे पूरी तरह से निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
सुरक्षा बलों द्वारा दिसंबर 2021 में नागालैंड के मोन जिले में गलत पहचान के एक मामले में 14 लोगों की मौत और 30 अन्य के घायल होने के बाद मांग तेज हो गई थी।
–आईएएनएस
एफजेड/एएनएम
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