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मारुति सुजुकी उत्सर्जन मानदंडों पर चाहती है स्पष्टता

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नई दिल्ली, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। मारुति सुजुकी इंडिया ने सोमवार को कहा कि उसने कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल इकोनॉमी या सीएएफई के तहत इथेनॉल के ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन लाभों का सही हिसाब मांगा है।

एथनॉल और फ्लेक्स-ईंधन को बढ़ावा देने के लिए वाहन उद्योग निकाय सियाम ने सड़क परिवहन मंत्रालय से नीति में कुछ बदलाव करने का अनुरोध किया है।

मारुति सुजुकी इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ हिसाशी ताकेची ने एक उद्योग कार्यक्रम में कहा कि कंपनी ने सीएएफई के तहत इथेनॉल के जीएचजी उत्सर्जन लाभों का सही लेखा-जोखा मांगा है।

उन्होंने बताया कि कंपनी भारतीय बाजार में आवश्यकताओं का अध्ययन करने के बाद तकनीकी प्रगति की एक श्रृंखला पर काम करेगी।

सीएएफई मानदंडों का दूसरा चरण इस साल अप्रैल में लागू हुआ।

उनका उद्देश्य वाहनों के सीओ2 उत्सर्जन को कम करके ईंधन की खपत को कम करना है, 2022 तक औसत कॉर्पोरेट सीओ2 उत्सर्जन को 130 ग्राम/किमी से कम करना अनिवार्य है, जो सभी पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और सीएनजी-ईंधन वाले वाहनों पर लागू होता है।

सीएएफई के दूसरे चरण के तहत औसत कॉर्पोरेट सीओ2 उत्सर्जन 113 ग्राम/किमी से कम होना चाहिए।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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