जब धरती पर कुछ भी नहीं था तब मनुष्य ने शिकार करके अपना जीवन शुरू किया था। लेकिन बाद में जब मनुष्य ने कबीलों में रहना शुरू किया और संख्या के हिसाब से भोजन की कमी हुई तो मनुष्य ने खेती करना शुरू किया।
खेती के कामों को आसान बनाने के लिए बाद में कृषि उपकरणों का अविष्कार भी किया गया। इन उपकरणों के अविष्कार में सबसे बड़ी खोज हल की थी, जो कठोर धरती को जोतकर मुलायम और बीज बोने योग्य बना सकता था।
भारत के महान योगियों ने बाद में हल से ही प्रेरणा लेकर हलासन नाम के आसन की रचना की। जैसे हल कठोर से कठोर भूमि को मुलायम बना सकता है वैसे ही हलासन भी शरीर में लचीलापन बढ़ाने में काफी उपयोगी साबित हो सकता है। खासतौर पर उस वक्त जब डेस्क जॉब करने के कारण आप रीढ़ की हड्डी में होने वाले दर्द का सामना कर रहे हों।
क्या है हलासन?
हलासन को अंग्रेजी भाषा में Halasana और Plow Pose भी कहा जाता है। अन्य योगासनों की तरह ही हलासन को भी उसका नाम खेती में उपयोग किए जाने वाले एक उपकरण से ही मिला है। जमीन जोतने वाले इस हल का उपयोग भारत और तिब्बत में बहुतायत से किया जाता रहा है। हल का जिक्र न सिर्फ भारत बल्कि तिब्बत, चीन और मिस्र की दंतकथाओं में भी पाया जाता है।
ये जानना भी महत्वपूर्ण है कि हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक, मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता उन्हें खेत में हल चलाते हुए ही मिली थीं। जनक ने बालिका को स्वीकार किया और हल के फाल के संस्कृत नाम के आधार पर उन्हें सीता नाम दिया था। बाद में सीता ने स्वयंवर में अयोध्या के राजकुमार राम को वरमाला पहनाई थी।
स कहानी का अर्थ ये है कि हल का उपयोग प्राचीनकाल से ही छिपे हुए खजाने की खोज के लिए होता रहा है। हल की आकृति बनाने से शरीर भी आपके लिए वही काम कर सकता है। आपके शरीर में अनेकों ऐसी सोई हुई शक्तियां हैं जिनका उपयोग शरीर कभी नहीं कर पाता है। हलासन के अभ्यास से शरीर कई ऐसी शक्तियों को वापस सक्रिय करने की शक्ति हासिल कर पाता है।
हलासन से पहले जानें कुछ जरूरी बातें
बेहतर होगा कि हलासन का अभ्यास सुबह के वक्त और खाली पेट किया जाए। अगर किसी कारण से आप सुबह इसे नहीं कर पाते हैं तो हलासन (Halasana) का अभ्यास शाम को भी किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि आसन के अभ्यास से पहले शौच जरूर कर लें और भोजन भी अभ्यास से 4-6 घंटे किया गया हो तो बेहतर होगा
कैसे करें हलासन?
- हलासन के अभ्यास के लिए मैट पर पीठ के बल लेटकर हथेलियो को शरीर से सटा लें।
- अब पैरों को कमर से 90 डिग्री का कोण बनाते हुए ऊपर उठाएं। इस दौरान हाथों से कमर को सहारा दे सकते हैं।
- सांस अंदर की ओर खींचते हुए टांगों को सीधा रखें और सिर की तरफ झुकाएं। ऐसा करने से पैर सिर के पीछे हो जाएंगे।
- पैर सिर के उतना पीछे ले जाने का प्रयास करें, जिससे पैरों के अंगूठे जमीन को छू सकें।
- इस पोजिशन में कुछ देर स्थिर रहते हुए श्वास पर ध्यान केंद्रित करें।
हलासन के फायदे
- इस आसन को करने से थायरॉयड ग्रंथि से संबंधित समस्याओं से निजात मिलता है।
- कमर दर्द, सिर दर्द और इंसोम्निया की समस्या को कम किया जा सकता है।
- रीढ़ की हड्डी और कंधों को खिंचाव मिलता है और दर्द कम होता है।
- हलासन का अभ्यास तनाव और थकान को कम करने में सहायक है।
- जिन लोगों को वजन कम करना है, उनके लिए हलासन का अभ्यास फायदेमंद है।
- मेटाबॉलिज्म बढ़ाने और पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने के लिए भी हलासन लाभकारी है