बाल दिवस का दिन हमारे देश के भविष्य यानी छोटे बच्चों को समर्पित है। भारत में बाल दिवस 14 नवंबर को मनाया जाता है,जो कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की जन्म तिथि है। ऐसा उनके बच्चों के प्रति असीम प्रेम को देखते हुए किया जाता है। बाल दिवस को मनाने का मुख्य मकसद लोगों के अंदर बाल अधिकारों और बच्चों के शिक्षा के प्रति जागरुकता लाना है। यही कारण है कि भारत जैसे विकासशील देशों में बाल शोषण और बाल मजदूरी की घटनाओं को देखते हुए, इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
विश्व स्तर पर बाल दिवस का कार्यक्रम
बाल दिवस का दिन पूरे विश्व भर में अलग-अलग दिन मानाया जाता है पर हर जगह इसका मकसद एक ही होता है, यानी बच्चों के अधिकारों के रक्षा करना और उन्हें बुनायदी सुविधाएं मुहैया करवाना। विश्व में पहली बार बाल दिवस का कार्यक्रम जून 1857 में अमेरिका के मैसाच्युसेट्स शहर में पादरी डॉ चार्ल्सलेनर्ड द्वारा आयोजित किया गया था, हालांकि जून के दूसरे रविवार को आयोजन के कारण इसे पहले इसे फ्लावर संडे का नाम दिया पर बाद में इसके नाम को बदलकर बाल दिवस (चिलड्रेन्स डे) कर दिया गया।
इसी तरह विश्व के विभिन्न देशों में अपनी महत्ता और मान्यताओं के अनुसार इसे अलग-अलग दिन मनाया जाता है और कई सारे देशों में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश का दिन भी होता है पर हर जगह इसके आयोजन का अर्थ एक ही होता है, वह है बाल अधिकारों की रक्षा करने के लिए आगे आना और लोगों में इस विषय के प्रति जागरुकता लाना। यही कारण है कि बाल दिवस का यह कार्यक्रम विश्व भर में इतना लोकप्रिय है और हर देश में काफी उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है।
भारत में बाल दिवस का कार्यक्रम
इस दिन विद्यालयों और संस्थाओं द्वारा विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है जैसे कि खेल प्रतियोगिताएं, फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता आदि। इस दिन अधिकतर बच्चे फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में अपने प्रिय चाचा नेहरु की वेशभूषा धारण करके आते है। इन प्रतियोगिताओं के साथ ही अध्यापकों और वरिष्ठजनों द्वारा बच्चों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के विषय में भी बताया जाता है ताकि आगे चलकर वह एक अच्छे और सजग व्यक्ति बन सके।
बाल दिवस का महत्व
हम में से कई लोग सोचते हैं कि बाल दिवस को इतने उत्साह या बड़े स्तर पर मनाने की क्या जरुरत है परन्तु इस बात का अपना ही महत्व है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि बच्चों को देश का भविष्य माना जाता है और यदि बचपन से उन्हें उनके अधिकारों और कर्तव्यों के विषय में पता होगा तो वह अपने खिलाफ होने वाले अत्याचारों और शोषण के विरुद्ध आवाज उठा सकेंगे। इसके साथ ही यदि उन्हें इन बातो का ज्ञान रहेगा तो उनके अंदर बुराई और अन्याय के प्रति आवाज उठाने की प्रवृत्ति जागृत होगी।
बाल दिवस को और भी विशेष बनाये
यदि हम चाहे तो कुछ बातों पर अमल करके बाल दिवस के इस दिन को और महत्वपूर्ण बना सकते है:
- बाल दिवस को स्कूलों और संस्थानो तक ही सीमित ना रखकर इसका छोटे स्तर पर गरीब और जरुरतमंद बच्चों के बीच आयोजन करना चाहिए ताकि वह भी अपने अधिकारों के विषय में जान सके।
- छोटे बच्चों के मनोरंजक कार्यक्रमों का आयोजन करके।
- व्यस्क लोगों और अभिभावकों को बाल अधिकारों के विषय में जागरुक करके।
- जरुरतमंद बच्चों में भोजन, खिलौने, पुस्तकें और अन्य जरुरत की वस्तुएं बाटकर।
- यदि हम चाहें तो बाल मजदूरी रोकने के लिए जरुरतमंद बच्चों की सहायता कर सकते है और उन्हें शिक्षा का अवसर प्रदान करके तरक्की के ओर अग्रसित कर सकते हैं।
बाल दिवस कोई साधारण दिन नही है, यह हमारे देश के भावी पीढ़ी के अधिकारों का ज्ञान देने के लिए निर्धारित किया हुआ एक विशेष दिन है। भारत जैसे विकासशील देश में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि उभरती हुई अर्थव्यवस्था होने के कारण यहां बाल मजदूरी और बाल अधिकारों के शोषण की नित्य ही कोई ना कोई घटना सुनने को मिलती है। इसलिए यह काफी जरुरी है कि हम ना सिर्फ बच्चों बल्कि उनके अभिभावकों को भी बच्चों के मौलिक अधिकारों के विषय में पूर्ण जानकारी दे और उन्हें इस विषय में अधिक से अधिक जागरुक करने का प्रयास करें।