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सुप्रीम कोर्ट में आज नीट के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई: परीक्षा फिर से कराने की मांग

NEET UG 2024 :परीक्षा में अनियमितता के आरोपों के सम्बंध में यह विवाद न केवल छात्रों और उनके परिवारों के बीच ही सिमटा है, बल्कि यह राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के बीच भी बड़ा मुद्दा बन गया है। रिजल्ट के घोषणा के बाद आरोप उठे हैं कि कुछ प्रदेशों में परीक्षा के निर्देशों का उल्लंघन हुआ और इसके परिणामस्वरूप कुछ अभ्यर्थियों को अन्य से अधिक लाभ प्राप्त हुआ। इस पर विभिन्न स्तरों पर जांच की मांग की जा रही है।

नीट परीक्षा में अनियमितता के आरोपों के चलते स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रकट हो रहा है। सरकार को इस मामले को सीधे और संवैधानिक तरीके से समाधान करने की जिम्मेदारी है, ताकि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न किया जाए।

नीट यूजी के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई एक महत्वपूर्ण घटना है। यह याचिका परीक्षा में अनियमितता के आरोपों के संबंध में एक और मुद्दा उठाती है। इसमें बिहार पुलिस द्वारा परीक्षा के पेपर लीक के आरोपों की जांच के मामले को भी उठाया गया है। सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका की सुनवाई के माध्यम से, न्यायिक निकाय यह विवाद परिस्थितियों के आधार पर निर्णय लेगा। छात्रों और समाज के लोगों के आशयों को समझते हुए, न्यायिक संस्था इस मामले का समाधान करेगी।

यह सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की वेकेशन बेंच द्वारा की जाएगी। इस सुनवाई में, सम्बंधित पक्षों के तर्कों को सुना जाएगा और निर्णय लिया जाएगा कि क्या कोई अधिकारिक एक्शन लेना आवश्यक है या नहीं। यह एक अहम मोमेंट है जब न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से समाधान की खोज की जा रही है, ताकि समाज की भरोसा और न्याय की प्राप्ति सुनिश्चित हो सके।

यह दूसरी याचिका भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें आरोप लगाया गया है कि ग्रेस मार्क्स को लेकर एनटीए का फैसला अनुचित और मनमाना है। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की गई है, जो कि आंध्र प्रदेश के NEET UG आवेदक जरीपते कार्तिक द्वारा की गई है।

इस याचिका के माध्यम से, यह आशंका जताई जा रही है कि ग्रेस मार्क्स को लेकर एनटीए का फैसला न्यायिक तथा अनुचित है, और इसका छात्रों के परिणामों और करियर पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका की सुनवाई से, संविधानिक मानकों के अनुसार, एनटीए के फैसले का विचार किया जाएगा, ताकि यदि आवश्यक हो, तो उपयुक्त कदम उठाया जा सके।

 

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