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अब भी सुरंग में मजदूरों की जान, रुला देगी श्रमिकों से यह बातचीत, “हिम्मत रख बाबू” तुमको छठ पर लेकर जाऊंगा..

देहरादून:हिम्मत रख बाबू ठीक है… आ गया हूं मैं सुबह जल्दी। यहीं रहूंगा और लेकर जाऊंगा तुमको छठ में ठीक है। उधर से आवाज है आती है… ठीक। शख्स फिर अंदर फंसे अपने परिजन से सवाल करता है कि अभी कैसे हो। अंदर फंसा श्रमिक जवाब देता है… ठीक हूं ठीक। घर पर बात हो तो बोल देना सब ठीक है। शख्स फिर बोलता है कि खाना भी भेज रहा हूं बाबू, अच्छे से रहना तेरे लिए यहां हम सब बहुत प्रार्थना कर रहे हैं। उधर से आवाज आती है ठीक। यह बीतचीत यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग में बीते रविवार तड़के हुए हादसे में फंसे तकरीबन 40 श्रमिकों में से एक की है। जिससे बाहर खड़े उनके परिजन कुशलक्षेम पूछ रहे हैं।

फिर परिजन आवाज लगाता है….विश्वजीत। अंदर से श्रमिका सवाल करता है कि घर पर बात हुई, अगर बात हो तो बोल देना सब ठीक है। लेकिन सुरंग में फंसे होने की वजह से आवाज स्पष्ट नहीं सुनाई देती तो बात कर रहा शख्स विश्वजीत से पूछता है अभी कैसे हो। विश्वजीत फिर दोहराते हैं कि सब ठीक है, घर पर बात हो तो बोल देना सब ठीक है। दूसरी ओर से फिर जवाब मिलता है कि घर पर बात हो गई है वहां भी सब ठीक है। परिजन विश्वजीत से कहता है कि मैं यहां हूं और बातचीत हो रही है और सब ठीक है।

अंदर से फिर सवाल होता है कि बीच-बीच में बात करते रहना। शख्स जवाब देता है कि बातचीत हर मिनट में रही है और वहां का वातावरण कैसा है? वहां से कुछ स्पष्ट जवाब नहीं आता है। इसके बाद सुरंग के बाहर से हालचाल ले रहा शख्स फिर सवाल करता है कि खाना-वाना सब सही मिल रहा है। उधर से दबे स्वर में जवाब आता है कि सब मिल रहा है। फिर व्यक्ति पूछता है कि सुबोध कैसा है। जवाब मिला है कि सुबोध भी ठीक है। इसके बाद शख्स कहता है कि उनका भाई आया है वो बात करेगा बात करलो… थोड़ा उनको बुला दो। 

शेरू मैं आ गया हूं.. ठीक से रहना
इसके बाद सुबोध से उनके भाई बातचीत के दौरान कहते हैं कि शेरू मैं आ गया हूं.. बाबू ठीक है। सब काम हो रहा है सबकुछ तेजी से हो रहा है ठीक है। शेरू ठीक से रहना है। वहां से जवाब मिलता है ठीक है। परिजन फिर सवाल करते हैं दिक्कत तो नहीं है शेरू.. जवाब मिलता है ठीक है ठीक। परिजन फिर से पूछते हैं कि हवा अंदर ठीक है न… जवाब मिलता है.. हां।

कोई दिक्कत मत लेना… हिम्मत रखो
ढांढस बंधाते हुए शख्स कहता बाबू ठीक से रहना। एक से डेढ़ दिन में निकल जाओगे। अंदर कोई दिक्कत तो नहीं है सांस लेने में तो अंदर फंसा हुआ सुबोध कहता है नहीं। इसके बाद शख्स कहता है कि हिम्मत रख। आगे परिजन फिर अंदर फंसे शख्स से सवाल करता है कि पक्का सब ठीक है… जवाब हां में मिलता है। खाने-पीने में कोई दिक्कत तब भी जवाब नहीं में मिलता है। शख्स आगे कहता है कि कोई दिक्कत मत लेना। मशीन चल रही है सबको बाहर निकालने के लिए। 

सब लोग अंदर फंसे लोगों के लिए कर रहे प्रार्थना
फिर शख्स कहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार तेजी से काम कर रही है। खाना भी भेज रहे हैं और यहां सब लोग प्रार्थना कर रहे हैं। हौसला रखो सब लोग सुरक्षित निकल आओगे। अभी बाहर पूजा करवाई गई है। पंडित जी आएं है और सबको बाहर निकालने के लिए पाइप डाला जा रहा है। अमेरिका से उसे मंगवाया गया है। जिससे सबको बाहर निकला लिया जाएगा।  

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