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अल्मोड़ा मर्चूला बस हादसे में बराथ मल्ला गांव में छाया गहरा शोक, 6 मौतों से हिला पूरा गांव

अल्मोड़ा के मर्चूला बस हादसे में बराथ मल्ला गांव के लिए यह एक बेहद दर्दनाक और दुखद घटना साबित हुई है। हादसे में इस गांव के 6 लोगों की जान चली गई, जिसके कारण पूरे गांव में गहरा शोक और मातम पसरा हुआ है। यहां के अधिकांश परिवारों ने अपनों को खो दिया है, और गांव में हर घर में शोक का माहौल है। कहीं किसी ने अपने माता-पिता को खो दिया, तो कहीं बेटे और बेटी को, और किसी का भाई इस दुनिया से चल बसा।

मंगलवार को भी गांव में चूल्हे नहीं जल पाए, सभी घरों में सन्नाटा छाया हुआ था। हादसे के वक्त, गांव के 16 लोग रामनगर जा रहे थे, जो इस हादसे का शिकार हुए। जब अमर उजाला की टीम बराथ मल्ला गांव पहुंची, तो हर घर में गहरे शोक के अलावा कोई शब्द नहीं था।

राकेश ध्यानी और उनकी बेटी मानसी की मौत

हादसे में राकेश ध्यानी और उनकी बेटी मानसी की मौत हो गई। राकेश बराथ गांव में चक्की चलाते थे और घर का एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति थे। उनकी बेटी मानसी काशीपुर में पढ़ाई कर रही थी। दोनों की मौत के बाद उनके घर में मातम का आलम है। राकेश के निधन के बाद उनकी 78 वर्षीय मां भगवती देवी और पत्नी सविता देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। परिवार के लोग उन्हें संभाल नहीं पा रहे हैं।

यशोदा देवी के घर में भी शोक

वहीं, गांव की यशोदा देवी का नाती शुभम दिवाली मनाने के लिए ननिहाल आया हुआ था, और उसकी मौत ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया। यशोदा देवी के पुत्र विशाल और दो पोते विपाशु और तुषार भी हादसे में घायल हुए हैं। इनकी हालत गंभीर नहीं है, लेकिन उनका इलाज चल रहा है।

गांव में अन्य पीड़ित

ग्रामीण विनोद पोखरियाल और महानंद की हालत भी खतरे से बाहर बताई जा रही है। सैनिक वीरेंद्र सिंह और उनके पुत्र विशाल को इलाज के लिए अस्पताल रेफर किया गया है।

इस हादसे ने न केवल बराथ मल्ला गांव, बल्कि पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। कई परिवारों के लिए यह घटना एक अभूतपूर्व त्रासदी बन गई है, और इनकी पीड़ा को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।

लैंसडौन के विधायक दिलीप रावत के निर्देश पर, पौड़ी जिला प्रशासन ने क्षेत्र के 11 मृतकों का सामूहिक अंतिम संस्कार सल्ड महादेव घाट पर किया। यह कदम क्षेत्र के लोगों के लिए एक बड़े दुख और शोक का कारण बन गया, और घाट पर सभी की आंखों में आंसू थे।

मृतकों में शंका देवी (दिगोली), दर्शनलाल (मंजेड़ा), शक्ति कुमार (पड़सोली), दीपांशु (देवलाड), विशाल और विशाल रावत (ज्यूंदालु), प्रवीण दत्त (खेतू बाखल), सलोनी नेगी और उसके चचेरे भाई प्रवीन नेगी (कुलाईखांद), नीरज ध्यानी (झरड़डाली), आयुष मैंदोलिया (पातल तल्ला), और बस चालक दिनेश (मंगरौसेरा, सल्ट अल्मोड़ा) शामिल थे।

सभी मृतकों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया, और जब एक साथ चिताएं जलने लगीं, तो घाट पर मौजूद हर व्यक्ति की आंखों में आंसू थे। यह दृश्य बेहद भावुक और हृदयस्पर्शी था, जिससे वहां उपस्थित सभी लोग गहरे शोक में डूब गए।

यह हादसा पूरे क्षेत्र में शोक की लहर लेकर आया है, और मृतकों के परिवारों के लिए यह एक अपूरणीय क्षति साबित हुई है।

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