ऋषिकेश-कारंप्रयाग रेल परियोजना को लेकर एक महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। इस परियोजना के तहत नौ प्रमुख स्टेशनों के निर्माण के लिए तीन टेंडर जारी किए जाएंगे। इनमें से चार स्टेशनों के लिए जुलाई में टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी, जबकि बाकी चार स्टेशनों के लिए टेंडर प्रक्रिया इसके बाद शुरू की जाएगी। इस परियोजना के सबसे बड़े स्टेशन कर्णप्रयाग के लिए अलग से टेंडर निकाला जाएगा, क्योंकि यहां पर सबसे अधिक 26 रेल लाइनों का निर्माण करना है।
सुरंगों के अंदर से गुजरने वाली रेललाइन
यह परियोजना करीब 125 किमी लंबी है, जिसमें से 105 किमी की लाइन सुरंगों के अंदर से गुजरती है। इस कठिन भूगोल में सुरंगों का निर्माण एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन अब तक सुरंगों का 90 प्रतिशत कार्य पूरा किया जा चुका है। इसके बाद, रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) स्टेशनों के निर्माण को तेजी से पूरा करने की योजना बना रहा है ताकि परियोजना की समय सीमा के भीतर इसे पूरा किया जा सके।
परियोजना के फायदे
यह रेल परियोजना उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में परिवहन का एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। इससे न केवल यात्रियों को सुविधा होगी, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा देगा। कर्णप्रयाग के निर्माण के बाद यह क्षेत्र एक प्रमुख रेलवे हब बन सकता है, जिससे स्थानीय आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना लगातार प्रगति की ओर बढ़ रही है। परियोजना के अंतर्गत आने वाले वीरभद्र और योग नगरी रेलवे स्टेशनों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। ये दोनों स्टेशन अब संचालन के लिए तैयार हैं और जल्द ही इन्हें चालू किए जाने की संभावना है।
वहीं, शिवपुरी और व्यासी रेलवे स्टेशनों के लिए निर्माण कार्य की तकनीकी प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। जैसे ही शेष औपचारिकताएं पूरी होंगी, इन दोनों स्टेशनों का निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा।
इस परियोजना के तहत रेलवे नेटवर्क को पर्वतीय क्षेत्रों से जोड़ने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। तैयार हो रहे स्टेशन स्थानीय यात्रियों के लिए सुविधाजनक साबित होंगे और क्षेत्रीय विकास में भी योगदान देंगे।