हल्द्वानी में सोमवार रात की भारी बारिश के बाद तबाही जैसे हालात उत्पन्न हो गए। गायत्री कॉलोनी में कई घरों में पानी, मलबा और कीचड़ भर गया, जिससे लोगों को गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ा।
हम गायत्री कॉलोनी के लिए रवाना हुए और रास्ते में हल्द्वानी विधायक से भी मिले। उन्होंने हमें बताया कि वहां स्थिति बहुत खराब है और भारी तबाही हुई है। मैंने मौके पर जाकर निरीक्षण किया और प्रशासन को जानकारी दे दी। हम 9:10 बजे गायत्री कॉलोनी पहुंचे, जहां सड़कों पर घुटनों तक पानी भरा हुआ था। लोग अपने घरों से मलबा निकाल रहे थे। पूछने पर लोगों ने बताया कि विधायक के अलावा अभी तक कोई और वहां नहीं पहुंचा है।
जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते गए, मंजर और भी भयावह होता गया। सड़क पर बोल्डर और बड़ी मात्रा में पत्थर बिखरे हुए थे। अंधेरे के कारण लाइट नहीं थी, इसलिए हम मोबाइल की टॉर्च के सहारे आगे बढ़े। वहां दो बसें मलबे में दबी हुई मिलीं। एक घर के पीछे और साइड में पांच फीट तक मलबा जमा था। साथ ही, सड़क पर भी पांच फीट तक मलबा और बोल्डर फैले हुए थे।
कई कारों में पानी और मलबा भर गया था। विभिन्न जगहों पर लोग अपने-अपने घरों की सफाई में व्यस्त थे। लोगों से पूछने पर उन्होंने बताया कि नाला टूट गया है। टूटे हुए नाले तक पहुंचने के लिए हमने हिम्मत जुटाई और मोबाइल की टॉर्च के सहारे वहां पहुंचे। लगभग 150 से 200 मीटर तक नाला पूरी तरह बह गया था, और कई जगहों पर पेयजल लाइन भी टूटी हुई दिखाई दी।
लौटते समय हमारी टीम ने कॉलोनी की गलियों का पुन: निरीक्षण किया, जहां कीचड़ की वजह से सड़क पर फिसलन वाली मिट्टी आधे फीट ऊंचाई तक बिखरी हुई थी। लोग चलने में फिसल रहे थे और जूते कीचड़ में फंस जा रहे थे। प्रभावित लोग प्रशासन और वन विभाग को दोषी ठहरा रहे थे। घर के सामान को बचाने के लिए लोग संघर्ष कर रहे थे। रात करीब 9:40 बजे सहायक नगर आयुक्त गणेश भट्ट और नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज कांडपाल अपनी टीम के साथ पर पहुंचे। लौटते समय, एक व्यक्ति ने बताया कि वर्ष 2012 में भी ऐसा ही मंजर देखा गया था।