देहरादून : उत्तराखंड देश की पहली योग नीति लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह नीति आयुर्वेद और योग को व्यापक स्तर पर एक साथ लाकर स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई क्रांति लाएगी। मुख्यमंत्री ने यह बयान गुरुवार को परेड ग्राउंड में आयोजित 10वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो के उद्घाटन के दौरान दिया।
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि राज्य में आयुष आधारित 300 आयुष्मान आरोग्य केंद्रों का संचालन किया जा रहा है, और सरकार 50 नए योग और वेलनेस केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया में है। इसके साथ ही केंद्र सरकार आयुर्वेद की दवाइयों को प्रत्येक जिले, गांव और तहसील स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए आयुष औषधि केंद्रों की स्थापना की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और योग को मिलाकर राज्य सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन लाने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री धामी ने आगे बताया कि राज्य में आयुष नीति पहले ही लागू हो चुकी है और राज्य सरकार आयुष टेली कंसल्टेशन की शुरुआत करने के साथ-साथ योग और वेलनेस केंद्रों का विस्तार भी कर रही है।
राज्य में हर जिले में 50 बेड और 10 बेड वाले अस्पताल स्थापित किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक जिले के एक गांव को मॉडल आयुष गांव के रूप में विकसित कर आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र से उत्तराखंड में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना के लिए अनुरोध किया है, जो आयुर्वेद शिक्षा और अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण योगदान देगा।
कार्यक्रम में केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रताप राव जाधव ने कहा कि भारतीय लोग आयुर्वेद का इलाज पसंद करते हैं, लेकिन गांवों में एलोपैथिक दवाओं का ज्यादा उपयोग होता है। इसके पीछे कारण यह है कि आयुर्वेद की दवाइयां आसानी से उपलब्ध नहीं होतीं और सभी रोगों के इलाज की दवाएं एक ही स्थान पर मिलना मुश्किल होता है। आयुष औषधि केंद्रों की स्थापना से यह समस्या हल होगी, और आयुष चिकित्सक आसानी से दवा लिख सकेंगे।
इस अवसर पर आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा सहित कई आयुर्वेद विशेषज्ञ भी उपस्थित थे।