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उत्तराखण्ड रेल प्रोजेक्ट को करोड़ रुपये से मिलेगी गति.. ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट का कार्य 2026 तक होगा पूरा

बजट 2024 में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में रेल परियोजनाओं के लिए 5131 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। देहरादून स्थित पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) में आयोजित वर्चुअल पत्रकार सम्मेलन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उत्तराखंड को इस बजट की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का काम 2026 के मध्य तक पूरा हो जाएगा। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में रेल परियोजनाओं के लिए 5131 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इससे न केवल यहां चल रहे कार्य त्वरित गति से आगे बढ़ेंगे, बल्कि नई परियोजनाओं पर भी काम शुरू हो सकेगा। इसके साथ ही उत्तराखंड में रेल नेटवर्क को सुदृढ़ भी किया जाएगा। सामरिक और चारधाम यात्रा की दृष्टि से महत्वपूर्ण ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का काम वर्ष 2026 के मध्य तक पूरा हो जाएगा। इस परियोजना में ‘हिमालयन टनलिंग मेथड’ (एचटीएम) तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है।

रेल परियोजनाओं के लिए अद्वितीय बजट

बुधवार को देहरादून स्थित पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) में आयोजित वर्चुअल पत्रकार सम्मेलन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उत्तराखंड को मिले रेल बजट की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने इस बार रेल परियोजनाओं के लिए रिकार्ड बजट का आवंटन किया है, जिससे उत्तराखंड को भी विशेष लाभ होगा। उन्होंने बताया कि टनकपुर-बागेश्वर, ऋषिकेश-उत्तरकाशी, बागेश्वर-गैरसैंण, और देहरादून-शाकुंभरी देवी-सहारनपुर रेल लाइनों के लिए सर्वे पूरा हो गया है, और आवश्यक रडार सर्वे भी करा लिया गया है। इन परियोजनाओं की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का कार्य अगले कई महीनों में पूरा हो जाने की उम्मीद है, और इसके बाद ही इन परियोजनाओं का कार्य आरंभ किया जाएगा।

शिव-शक्ति से बनी 171 किमी लंबी सुरंग

रेल मंत्री ने बताया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में कुल 213 किमी की दोहरी सुरंग का निर्माण होना है, जिसमें से 171 किमी का काम पहले से पूरा हो चुका है। इस परियोजना में दो टनल बोरिंग मशीनें काम कर रही हैं, जिनके नाम ‘शिव’ और ‘शक्ति’ हैं। रेल मंत्री ने इसे देश में पहली बार इस तरह की रेल सुरंग के लिए किया जा रहा प्रयोग बताया।पहले रेल सुरंग के निर्माण में ‘न्यू आस्ट्रियन टनलिंग मेथड’ (एनएटीएम) तकनीक का प्रयोग होता था, लेकिन अब उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तर पूर्वी क्षेत्रों के लिए ‘हिमालयन टनलिंग मेथड’ (एचटीएम) तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है।

रेल मंत्री ने बताया कि हिमालय के पहाड़ युवा होते हैं और इनमें अधिकतम मिट्टी होती है, जिससे सुरंग बनाना चुनौतीपूर्ण होता है। इसलिए इन पहाड़ों के लिए एचटीएम तकनीक विकसित की गई है, जिसके माध्यम से संतुलित टनल बनाया जा सकता है, जहाँ बोरिंग के साथ-साथ कंक्रीटिंग का कार्य भी होता है।

सप्रंग सरकार के बाद बजट में 2644 प्रतिशत की वृद्धि

रेल मंत्री ने दावा किया कि वर्ष 2009-14 में केंद्र में सप्रंग सरकार के कार्यकाल में उत्तराखंड को रेल बजट के रूप में सालाना 187 करोड़ रुपये मिलते थे। भाजपा की सरकार आने के बाद, इस राशि में लगातार वृद्धि हुई है। वर्तमान में यह बजट सप्रंग सरकार की तुलना में 27 गुना बढ़कर 2644 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

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