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विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस, असुरक्षित आहार स्वस्थ शरीर को कर सकता है बीमार!


देहरादून (रोहित सोनी): हर साल सात जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों को दूषित भोजन और पानी इस्तेमाल करने से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक किया जा सके. उत्तराखंड में भी हर साल अन्य राज्यों से बड़ी मात्रा में मिलावटी खाद्य पदार्थों की सप्लाई की जाती है. खासकर त्यौहारी सीजन में दूषित खाद्य पदार्थों की सप्लाई काफी बढ़ जाती है. ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती यही है कि कई बार खाद्य पदार्थों का सैंपल लेने के बाद उसके नतीजे आने में काफी लंबा समय लग जाता है, तब तक उस खाद्य पदार्थ का सेवन किया जा चुका होता है. ऐसे में राज्य के लोगों को शुद्ध भोजन और पानी उपलब्ध हो, इसके लिए खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से क्या-क्या पहल की जा रही हैं, दूषित भोजन और पानी से स्वास्थ्य पर क्या पड़ता है असर? इस पर विस्तार से जानिए.

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शुद्ध और सुरक्षित आहार लेना जरूरी है. लेकिन आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में शुद्ध और सुरक्षित आहार का कॉन्सेप्ट कहीं खो गया है. इसकी मुख्य वजह है तेजी से फास्ट फूड का चलन, जो न सिर्फ शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी लोगों के जीवन पर असर डाल रहा है.

हर साल 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाता है (ETV Bharat)

यही वजह है कि विश्व भर के कंज्यूमर्स को शुद्ध, सुरक्षित और संतुलित आहार के प्रति जागरूक किए जाने को लेकर हर साल 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाता है. ताकि लोगों को बेहतर और सुरक्षित आहार का सेवन करने के प्रति जागरूक किया जा सके.

2025 की थीम: खाद्य सुरक्षा दिवस को मनाने के लिए हर साल अलग-अलग थीम निर्धारित की जाती हैं. इसी क्रम में खाद्य सुरक्षा दिवस 2025 को मनाने के लिए खाद्य सुरक्षा, क्रियाशील विज्ञान (Food Safety: Science in Action) थीम रखा गया है. इस थीम का उद्देश्य खाद्य जनित रोगों की जानकारी लोगों को देना है. क्योंकि वर्तमान समय में असुरक्षित भोजन और अशुद्ध पानी पीने से बड़ी संख्या में लोग बीमारी के जद में आते जा रहे हैं.

मोटापा एक गंभीर समस्या: वर्तमान समय में मोटापा एक गंभीर समस्या बनी हुई है, क्योंकि मोटापा होने की वजह से तमाम बीमारियां शरीर में घर कर लेती हैं. देश दुनिया में जिस तरह से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, उसी क्रम में खाद्य पदार्थों की खपत भी तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसके चलते मिलावटखोर खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए बड़े पैमाने पर मिलावट करते हैं.

मौजूदा समय में दूध से जुड़े उत्पादों में अधिकतर मिलावट के मामले सामने आते रहे हैं. खासकर त्यौहारी सीजन के दौरान मिलावट के मामले काफी अधिक बढ़ जाते हैं, जिसके सेवन से लोगों को स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है. ऐसे में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की ओर से समय समय पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है, बावजूद इसके मिलावटखोरी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.

आंकड़ों पर एक नजर: खाद्य सुरक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में दूध, दुग्ध पदार्थ, तेल, मसाले, मिठाई समेत अन्य खाद्य पदार्थों के 1684 सैंपल एकत्र किए गए.

  • इसके साथ ही 31 किलो मिठाई
  • 300 किलो नमकीन
  • 620 किलो पनीर
  • 1 किलो मसाले
  • 24 लीटर पैक्ड वाटर
  • 91 लीटर स्वीटेंड कार्बोनेटेड वाटर
  • 20 लीटर एडिबल ऑयल
  • 50 किलो कुट्टू का आटा जब्त करते हुए नष्ट किया गया है.

पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान त्यौहार और अन्य समय के दौरान फूड इंस्पेक्टर की ओर से छापेमारी की कार्रवाई करते हुए न सिर्फ सैंपल एकत्र किए गए हैं, बल्कि खराब गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों को नष्ट करने की कार्रवाई भी की गई है.

इस दिन जारी होती है राज्यों की रैंकिंग: वहीं, खाद्य सुरक्षा विभाग के उपायुक्त गणेश कंडवाल ने बताया कि विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस काफी महत्वपूर्ण दिवस है, क्योंकि इस दिवस पर भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण की ओर से राज्यों के खाद्य सुरक्षा संबंधित रैंकिंग भी जारी की जाती है.

खाद्य सुरक्षा दिवस मनाने का उद्देश्य: इस साल विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाए जाने को लेकर “क्रियाशील विज्ञान” थीम रखी गई है. खाद्य सुरक्षा विभाग एक साइंस बेस्ड ऑर्गनाइजेशन है और खाद्य सुरक्षा के मानकों का निर्धारण भी साइंस के आधार पर किया जाता है. इस दिवस को बनाने का उद्देश्य यही है कि उपभोक्ता इस बात के प्रति जागरूक हो कि वो जो खाद्य पदार्थ इस्तेमाल कर रहे हैं वो मानकों पर आधारित है या नहीं?

भारत सरकार से मिली तीन मोबाइल टेस्टिंग वैन: कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से किसी खाद्य पदार्थ के सैंपल लिए जाते हैं, लेकिन जब तक उसके नतीजे सामने आते हैं, उससे पहले ही उसे खाद्य पदार्थ को कंज्यूम कर लिया जाता है.

इस सवाल पर गणेश कंडवाल ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण होता है कि सैंपल एकत्र करने के बाद समय से उसकी जांच कर ली जाए. ऐसे में खाद्य सुरक्षा विभाग की वर्तमान व्यवस्था को बेहतर करने के लिए तीन मोबाइल टेस्टिंग वैन भारत सरकार से प्राप्त हुई है, जिसके जरिए वर्तमान समय में चारधाम यात्रा मार्गों पर मोबाइल टेस्टिंग वैन के जरिए खाद्य पदार्थों की टेस्टिंग की जा रही है. मोबाइल टेस्टिंग वैन की खास बात यह है कि मौके पर ही खाद्य पदार्थों की जांच हो जाती है.

देहरादून में फूड टेस्टिंग लैब बनाने का तैयारी: साथ ही उपायुक्त गणेश कंडवाल ने बताया कि वर्तमान समय में रुद्रपुर में फूड टेस्टिंग लैब मौजूद है, जिसकी सालाना टेस्टिंग कैपेसिटी ढाई हजार से 3000 सैंपलों की है. लगातार बढ़ रहे सैंपल की संख्या को देखते हुए देहरादून में फूड टेस्टिंग लैब बनाने की प्रक्रिया चल रही है.

मोबाइल टेस्टिंग वैन से तत्काल होगी जांच: साथ ही बताया कि राज्य में जितने भी मेले आयोजित होते हैं, उन मेले में मोबाइल टेस्टिंग वैन को पहुंचाने की कोशिश कर रहा है. क्योंकि किसी भी मेले में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं, ऐसे में वहां मिलने वाले खाद्य पदार्थ कितना सुरक्षित हैं इसकी जांच मोबाइल टेस्टिंग वैन के जरिए तत्काल की जा सकती है.

वेंडर्स को दी जा रही ट्रेनिंग: वहीं, एफडीए अपर आयुक्त ताजबर सिंह ने बताया कि विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के अवसर पर रुद्रपुर में करीब एक हज़ार वेंडर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि उनको शुद्ध और सुरक्षित भोजन के प्रति जागरूक किया जा सके. साथ ही बताया कि प्रदेश भर में फूड सेफ्टी को लेकर अभियान चलाया जा रहा है.

केंद्र सरकार के मांगी गई 10 मोबाइल टेस्टिंग वैन: एफडीए अपर आयुक्त ताजबर सिंह ने बताया कि गुरुवार को शासन स्तर पर मीटिंग भी हुई है, जिसमें निर्णय लिया गया है कि भारत सरकार से 10 और मोबाइल टेस्टिंग वैन की डिमांड करें. ऐसे में एफडीए भारत सरकार से मोबाइल टेस्टिंग वैन मांगी जा रही हैं, जिस पर सहमति भी बन गई है. ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही उत्तराखंड राज्य में 10 और मोबाइल टेस्टिंग वैन आ जाएंगी, जिससे हर जिले के लिए एक मोबाइल टेस्टिंग वैन हो जाएगी.

अनसेफ फूड खाने से तमाम तरह की बीमारियां होने की आशंका रहती है, जिसके सवाल पर जनरल फिजिशियन डॉ रविंद्र सिंह राणा ने बताया कि खानपान का हेल्थ पर काफी अधिक असर पड़ता है. ऐसे में लोगों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है कि वो जो भी खाएं वह शुद्ध और सुरक्षित हो. आज के इस दौर में स्ट्रीट फूड का इस्तेमाल काफी अधिक बढ़ गया है, लेकिन वह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. ऐसे में लोगों को स्वस्थ रहने के लिए घर का बना हुआ खाना और साफ पानी पीने पर विशेष ध्यान देना चाहिए. असुरक्षित आहार लेने से पीलिया, टाइफाइड समेत तमाम अन्य बीमारियां होने की संभावना रहती है.

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