देहरादून: जंगली जानवरों के चलते भी सीमावर्ती और पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन होने का दावा किया जाता है, लेकिन एक हकीकत यह है कि जंगली जानवर भी इंसानों के दखल के चलते पलायन कर रहे हैं. इसके पीछे इंसानों की सुविधाओं के लिए होने वाली विभिन्न गतिविधियां जिम्मेदार हैं हालांकि इससे राहत देने के प्रयास भी होते हैं और SOP का पालन करते हुए इंसानी दखल को कम से कम करने की भी कोशिश होती है. बावजूद इसके समस्या बरकरार है.
केदारघाटी में हवाई सेवा बनी बड़ी परेशानी: उत्तराखंड में हवाई सेवा वन्यजीवों के लिए बड़ी समस्या बनी है. प्रदेश में 70 फीसदी वन क्षेत्र है और पिछले कुछ समय में हवाई सेवाओं को बढ़ाने की तरफ भी राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार का ध्यान रहा है. जाहिर है कि हवाई सेवाएं बढ़ने से वन क्षेत्र में मौजूद वन्यजीवों पर इसका प्रभाव पड़ रहा है. सबसे ज्यादा असर चारधाम यात्रा सीजन के दौरान केदारनाथ वैली क्षेत्र में पड़ता है जहां पर लोगों के केदारनाथ तक पहुंचाने के लिए 9 कंपनियां सेवाएं देती हैं.
वन्यजीव और इकोसिस्टम को प्रभावित कर रही हेली सेवा (Video-ETV Bharat)
किसी भी वन्यजीव के लिए 40 डेसीबल से ज्यादा ध्वनि उसे परेशान कर सकती है. जबकि हेलीकॉप्टर से इससे कहीं ज्यादा ध्वनि प्रदूषण होता है. इस दौरान संवेदनशील वन्यजीव जंगलों से पलायन कर जाते हैं और ध्वनि प्रदूषण कम होने पर इस क्षेत्र में वापस आते हैं. लेकिन परेशानी तब बढ़ती है जब यह वन्यजीव दूसरे क्षेत्रों में जाते हैं और इससे आपकी संघर्ष की संभावना बढ़ जाती हैं.
रंजन कुमार मिश्रा, पीसीसीएफ, वाइल्डलाइफ-
वन्यजीवों का विचरण होता है प्रभावित: बात केवल हेली सेवाओं तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि उन तमाम दूसरे विकास कार्यों की भी है, जिसके कारण वन्यजीव जंगलों में डिस्टर्ब होते हैं और उनके लिए समस्या बढ़ जाती है. राजाजी टाइगर रिजर्व से लेकर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व तक भी ऐसे कई रास्ते हैं, जिसके कारण वन्यजीवों को डिस्टरबेंस होता है और इसके कारण जंगलों में उनका स्वतंत्र विचरण भी प्रभावित होता है. शायद यही देखते हुए नए कॉरिडोर बनाने के सुझाव दिए गए हैं और कई जगहों पर इन कॉरिडोर को तैयार कर वन्यजीवों का जंगलों में स्वतंत्र विचरण को जारी रखने का प्रयास किया गया है.
सबसे ज्यादा हेलीकॉप्टर वन्यजीवों के लिए इस समय परेशानी बने हुए हैं और इसमें भी केदारनाथ जाने वाले हेलीकॉप्टर के कारण यह पूरी वैली डिस्टर्ब हो रही है. इस क्षेत्र में स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं और वनों में रहने वाले वन्यजीव भी.
एसपी सती, पर्यावरणविद-
वन्यजीवों को शांत जगह पसंद: जरूर से ज्यादा आवाज वन्यजीवों को पलायन करने के लिए मजबूर तो करती है साथ ही यह वन्यजीवों को आक्रामक भी बना देती है. इस दौरान संवेदनशील वन्यजीव सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. कस्तूरी मृग जैसे वन्यजीव जो की शांत जगह पर रहना पसंद करते हैं वह तो ऐसे क्षेत्र में निवास ही नहीं कर सकते. ईटीवी भारत से बात करते हुए पशु चिकित्सक प्रदीप मिश्रा भी तेज आवाज के कारण इंसानों की तरह ही वन्यजीवों को भी परेशानी होने की और इससे वन्यजीवों के व्यवहार पर भी असर पड़ने की बात कही.
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