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क्यों की जाती है कांवड़ यात्रा? एक क्लिक में जानिये इसका महत्‍व और पूरी कहानी

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देहरादून: आज यानि 11 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने जा रहा है. इसी दिन से कांवड़ यात्रा की शुरुआत होती है. कांवड़ यात्रा भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. सावन के महीने की कांवड़ यात्रा में शिवभक्त अपनी अपनी श्रद्धानुसार कांवड़ उठाते हैं. माना जाता है कि सावन में जो भी शिवभक्त सावन कांवड़ यात्रा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आज हम आपको कांवड़ यात्रा से जुड़ी हर एक छोटी बड़ी जानकारी देते हैं.

क्या है कांवड़ यात्रा: कांवड़ यात्रा को सीधे तौर पर भगवान शिव से जोड़ा जाता है. बताया जाता है भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ये यात्रा की जाती है. कांवड़ यात्रा श्रद्धा के साथ ही सहनशक्ति और सामूहिक एकता की यात्रा है. कांवड़ यात्रा से अंतर्मन शुद्ध होता है. कांवड़ शिक भक्ति की यात्रा है. कांवड़ यात्रा के दौरान मांस मदिरा का सेवन नहीं किया जाता है. इस दौरान तामसिक भोजन भी वर्जित होता है. कांवड़ यात्रा शरीर के साथ साथ मन की भी यात्रा होती है. कांवड़ यात्रा में 10 दिन बेहद ही अनुशासन से भरे होते हैं. इन्ही दिनों को अपने जीवन में उतारने की सीख भी कांवड़ यात्रा से मिलती है.

KANWAR YATRA 2025

देशभर में कांवड़ यात्रा (ETV BHARAT)

राम, रावण और श्रवण ने की थी कांवड़ यात्रा: हिंदू मान्यताओं के अनुसार कांवड़ यात्रा सनातन से जुड़ी पुरानी और ऐतिहासिक यात्रा है. रामायण में उल्लेख मिलता है श्रवण कुमार ने माता पिता को कंधों पर बिठाकर कांवड़ यात्रा पूरी की थी. उन्होंने इस यात्रा के जरिये अपने माता पिता को चारों धाम के दर्शन करवाये थे. इसी दौरान वे अपने माता पिता को हरिद्वार भी लेकर आये थे. जहां उन्होंने माता पिता को गंगा में स्नान करवाया था. श्रवण कुमार की यात्रा से ही कांवड़ यात्रा का चलन शुरू होना माना जाता है. शुरुआत में ये चारधाम से जुड़ी थी. बाद में कांवड़ यात्रा सावन और शिव भक्ति से जुड़ गई. बताया जाता है कि इसकी शुरूआत परशुराम ने की थी. बताया जाता है कि परशुराम ने यूपी बागपत के मंदिर का कांवड़ के जल से जलाभिषेक किया था.

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कांवड़ यात्रा के प्रकार (ETV BHARAT)

इसके बाद भगवान श्रीराम को भी कांवड़ यात्रा से जोड़कर देखा जाता है. कहा जाता है कि परशुराम के बाद भगवान श्रीराम ने भी कांवड़ के जल से शिव का जलाभिषेक किया था. इसी के साथ मान्यताओं मे भी रावण के भी कांवड़ यात्रा का उल्लेख मिलता है. बताया जाता है कि रावण ने भी शिव का कांवड़ के जल से जलाभिषेक किया था.

कांवड़ यात्रा की शुरूआती कहानी: कांवड़ यात्रा की शुरुआती कहानी शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन से शुरू होती है.समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्नों के साथ विष भी निकला था. जिसे भगवान शिव ने पी लिया था. जिससे उनकी कंठ जलने लगा. जिसके बाद भगवान शिव के कंठ की जलन को शांत करने के लिए रावण ने उनका गंगाजल से जलाभिषेक किया.

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कांवड़ यात्रा में क्या करें, क्या न करें (ETV BHARAT)

कांवड़ यात्रा का महत्व: कांवड़ यात्रा का समता और भाईचारे का संदेश देती है. इसके साथ ही कांवड़ यात्रा एकजुटता के साथ किसी भी कार्य को करने का संदेश देती है. इसके साथ ही तामसिक चीजों से दूर रहने का भी इस यात्रा के जरिये संदेश मिलता है. कांवड़ यात्रा जप, तप और व्रत की यात्रा है. कांवड़ यात्रा आपको अध्यात्म से जोड़ती है. इसके साथ ही ये यात्रा काम क्रोध पर विजय भी का प्रतीक है.

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कांवड़ यात्रा रूट (ETV BHARAT)

कांवड़ यात्रा के प्रकार

  1. सामान्य कांवड़
  2. डाक कांवड
  3. खड़ी कांवड़
  4. दांडी कांवड़

कहां कहां होती है कांवड़ यात्रा: भारत में मुख्यत: कांवड़ यात्रा उत्तर भारत में होती है. कांवड़ यात्रा बिहार, यूपी, एमपी, झारखंड, उत्तराखंड में होती है. उत्तराखंड में कांवड़िये हरिद्वार, गोमुख और ऋषिकेश जल लेने के लिए पहुंचते हैं. वहीं, बिहार में यात्रा सुल्तानगंज से देवघर, पहलेजा घाट से मुज्जफरपुर तक होती है. एमपी में इंदौर, देवास, शुजालपुर में कांवड़ यात्र होती है. यहां से जल लेकर कांवड़िये उज्जैन पहुंचते हैं. झारखंड में देवघर में बाबा बैद्यनाथ को भी कांवड़ का जल चढ़ाया जाता है.

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कांवड़ यात्रा को लेकर बड़े फैसले (ETV BHARAT)

उत्तराखंड में कैसी हैं तैयारियां:कांवड़ मेला क्षेत्र को सुरक्षित और व्यवस्थित सम्पन्न कराने के लिए पूरे मेला क्षेत्र को 16 सुपर जोन, 38 जोन ओर 134 सेक्टरों में बंटा गया है. आधा दर्जन ड्रोन से मेला क्षेत्र पर नजर रखी जायेगी. कांवड़ियों के लिए जगह जगह पानी की टंकियां, शौचालय और पथ प्रकाश की व्यवस्था के साथ साथ सफाई व्यवस्था के लिए नगर निगम की टीमें लगाई गई हैं. हर की पैड़ी, बैरागी कैंप, कांवड़ पटरी ओर कांवड़ बाजार में पीने के पानी की व्यवस्था, शौचालय और पथ प्रकाश की व्यवस्था के साथ साथ दौरान सफाई की व्यवस्था के लिए नगर निगम की टीमें तैनात कर दी गई हैं.

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उत्तराखंड में कांवड़ या6ा (ETV BHARAT)

7 करोड़ से ज्यादा कांवड़ियों के आने की उम्मीद: 2024 के कांवड़ मेले में 4.5 करोड़ से अधिक भोले भक्त कांवड़िए हरिद्वार आए थे. इस बार 7 करोड़ से ज्यादा कांवड़ियों के हरिद्वार कांवड़ मेले में आने की उम्मीद है.

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