देहरादून (रोहित कुमार सोनी): उत्तराखंड में हेली दुर्घटनाओं के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. 30 अप्रैल से शुरू हुई चारधाम यात्रा में अभी तक पांच हेलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं. इनमें से दो हेली क्रैश हादसों में 13 लोगों की मौत भी हो चुकी है. ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार एक गाइडलाइन बनाने की बात कह रही है. हालांकि, हेली सेवाओं के संचालक को लेकर डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) की पहले से ही गाइडलाइन मौजूद है. ऐसे में राज्य सरकार की ओर से तैयार होने वाली इस गाइडलाइन में क्या होगा? आइए जानते हैं.
उत्तराखंड चारधाम की यात्रा जोरों शोरों से चल रही है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु धामों के दर्शन करने पहुंच रहे हैं. ऐसे में केदारनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हेली सेवाओं का संचालन किया जाता है. हर साल लाखों श्रद्धालु हेली सेवाओं के जरिए बाबा केदारनाथ धाम के दर्शन करने जाते हैं, लेकिन साल 2025 उत्तराखंड के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. मात्र 45 दिन के भीतर ही पांच हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गए हैं, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई है.
हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त होने से नागरिक उड्डयन विभाग की चुनौतियां बढ़ गई हैं. ऐसे में अब नागरिक उड्डयन विभाग हेली सेवाओं के सुरक्षित संचालन को लेकर गाइडलाइन को दुरुस्त करने के साथ ही कमांड एंड कोऑर्डिनेशन केंद्र बनाए जाने पर जोर दे रहा है.
ATC स्थापित करने की कार्रवाई: 15 जून को केदार घाटी में हुए हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त के बाद दो दिनों के लिए हेली सेवाओं पर रोक लगा दी गई थी. संभावना जताई जा रही है कि मंगलवार 17 जून से हेली सेवाओं का संचालन शुरू कर दिया जाएगा. उससे पहले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 15 जून को उच्च स्तरीय बैठक कर अधिकारियों को तमाम जरूरी दिशा निर्देश दिए थे, जिसके तहत प्रदेश में हेली सेवाओं के बेहतर और सुरक्षित संचालन के लिए सुरक्षा प्रणाली को दुरुस्त किया जाए.
यहां हैरानी की बात ये है कि केदारनाथ रूट पर उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में हेली सेवाओं के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) की सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में इस हादसे के बाद राज्य सरकार एयर ट्रैफिक कंट्रोल स्थापित किए जाने की दिशा में एक बार फिर कार्रवाई तेज कर दी है.
उच्च हिमालय क्षेत्रों में मौसम की सटीक जानकारी देगा मैट्रोलॉजी डिपार्टमेंट: उत्तराखंड में मॉनसून सीजन हर साल के रूप में कहर बरपाता है. आपदा के दौरान न सिर्फ आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है, बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर को भी काफी अधिक नुकसान पहुंचता है. इसमें खासकर सड़कों और पुलों के साथ ही बिजली के खंभों और पेयजल लाइनें काफी अधिक क्षतिग्रस्त होती हैं. इसी खराब मौसम का असर हेलीकॉप्टर संचालन पर भी पड़ता है. उच्च हिमालय क्षेत्र में मौजूद केदारघाटी का मौसम पल-पल बदलता रहता है. जो हेली सेवाओं के संचालन के लिए एक बड़ी चुनौती बनता है. ऐसे में राज्य सरकार मौसम के सटीक जानकारी के लिए मैट्रोलोजी डिपार्टमेंट का एक स्टेशन भी लगाने पर जोर दे रहा है.
पांच हेली दुर्घटनाओं में 13 लोगों की मौत: हेली दुर्घटनाओं के लिहाज से साल 2025 उत्तराखंड के लिए एक चुनौती भरा रहा है. क्योंकि प्रदेश में 30 अप्रैल को चारधाम यात्रा शुरू होने के बाद 2 मई को बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही हेली सेवाओं का संचालन शुरू हो गया था. 2 मई से 15 जून के बीच इन 45 दिनों के भीतर 5 हेली दुर्घटनाएं हो चुकी हैं.
कब-कब हुईं घटनाएं:
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उत्तराखंड के लिए अलग से हेली फ्रीक्वेंसी लेने पर जोर: प्रदेश में वर्तमान समय में हेली सेवाओं के संचालन के लिए फ्रीक्वेंसी, बरेली उत्तरप्रदेश से मैच कराई जाती है. ऐसे भी हेली संचालन की संख्या बढ़ाने की वजह से उत्तराखंड के लिए एक अलग से फ्रीक्वेंसी की जरूरत महसूस हो रही है. राज्य में अगर खुद की फ्रीक्वेंसी होगी तो राज्य में संचालित हेली सेवाओं की फ्रीक्वेंसी यही से मैच हो सकेगा.
ऐसे में उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण, उत्तराखंड के लिए एक अलग से फ्रीक्वेंसी लेने के लिए कदम बढ़ा रहा है. युकाडा (UCADA- Uttarakhand Civil Aviation Development Authority) की सीईओ सोनिका का कहना है कि एयर ट्रैफिक बढ़ाने की वजह से मौसम से संबंधित जानकारियां सटीक हो, साथ ही हेली सेवाओं का रूट्स भी क्लियर हो, इस पर जोर दिया जा रहा है.
एटीसी के लिए भारत सरकार को भेजा जा चुका है तीन बार रिमाइंडर:
उत्तराखंड में एयर ट्रैफिक कंट्रोल स्थापित किए जाने को लेकर दो साल पहले प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा था. साथ ही दो-तीन रिमाइंडर भी भेजे जा चुका हैं. लेकिन अभी तक एटीसी के लिए अनुमति नहीं मिल पाई है. एटीसी की जरूरत इस वजह से भी है क्योंकि केदारघाटी में मौसम पल पल बदलता रहता है. साथ ही यहां की घाटी काफी संकरी है. ऐसे में हेली सेवाओं का संचालन एक बड़ी चुनौती बनी रहती है.
एटीसी स्थापित होने से न सिर्फ केदारघाटी पर नजर रखी जा सकेगी बल्कि एटीसी का कर्मचारी, हेली पायलट से सीधे संपर्क कर मौसम की जानकारी देते हुए हेली सेवाओं को सुरक्षित कर सकेंगे. उकाडा की सीईओ के अनुसार, साल 2019 से 2025 तक हेली संचालन काफी अधिक बढ़ गया है, जिसके चलते एयर ट्रैफिक कंट्रोल की डिमांड भी बढ़ गई है.
– सोनिका, सीईओ, UCADA –
कमांड एंड कोऑर्डिनेशन सेंटर से हो सकेगी प्रॉपर मॉनिटरिंग: कमांड एंड कोऑर्डिनेशन सेंटर में मौसम विभाग, सुरक्षा विभाग, डीजीसीए और जितने भी टेक्निकल विभाग हैं, वो इस सेंटर में बैठेंगे. अभी तक ऐसा होता आया है कि पायलट मौसम की जानकारी एप के जरिए और कैमरे से मौसम का अपडेट देने के बाद उड़ान भरता है. ऐसे में अब युकाडा एक अलग से कमांड एंड कोऑर्डिनेशन सेंटर बनाने जा रहा है, जिससे मौसम की मॉनिटरिंग, सुरक्षा व्यवस्था की मॉनिटरिंग, डीजीसीए के सर्कुलर की मॉनिटरिंग सेंट्रलाइज्ड हो जाएगी. केदारनाथ में मैट्रोलोजी डिपार्टमेंट का एक स्टेशन भी लगने वाला है. हालांकि, वेदर सर्विलांस कैमरे भी लगे हुए हैं, लेकिन हेली संचालन की संख्या बढ़ाने के साथ ही बदलते मौसम को देखते हुए सेफ्टी मेजर्स को बढ़ाए जाने की जरूरत है.
हेली सेवाओं की गाइडलाइन के लिए गठित होगी समिति: सीएम धामी की अध्यक्षता में रविवार को हुई उच्च स्तरीय समिति की बैठक में सीएम ने गाइडलाइन तैयार करने के निर्देश दिए. इसी कड़ी में गृह सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी, जो समिति ही गाइडलाइन में होने वाले संशोधन या कुछ नए बिंदुओं को शामिल करने का निर्णय लेगा. समिति में हेली ऑपरेटर्स के प्रतिनिधि, डीजीसीए के अधिकारी, एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के अधिकारी समेत तमाम टेक्निकल विंग्स के लोगों को सदस्य बनाया गया है. इस समिति की पहली बैठक के दौरान गाइडलाइन संबंधित तमाम निर्णय लिए जा सकते हैं, जिसमें डबल इंजन हेलीकॉप्टर के संचालन का निर्णय भी शामिल है.
हेली दुर्घटना में डीजीसीए और एएआईबी करती है जांच: देश में कहीं पर भी हेली दुर्घटना होती है तो इसकी जांच डीजीसीए और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इंवेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) के बीच में डिवाइड होती है. ऐसे में अगर कोई बड़ी दुर्घटना होती है तो फिर एएआईबी की टीम मौके पर पहुंचती है. साथ ही संबंधित एयरक्राफ्ट की कंपनी से जानकारी ली जाती है और फिर जांच की जाती है. ऐसे में 15 जून को हुई हेलीकॉप्टर क्रैश से पहले जो चार हेली दुर्घटनाएं हुई हैं, उसमें डीजीसीए और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो की टीम मौके पर पहुंची थी. वर्तमान समय में चारों हेली दुर्घटनाओं की जांच जारी है.
DGCA गाइडलाइन के तहत हेली कंपनियों को स्लॉट: ज्यादा जानकारी देते हुए उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) की सीईओ सोनिका ने बताया कि डीजीसीए की ओर से जो भी सर्कुलर जारी किए गए हैं, उसको अनिवार्य रूप से लागू किया जाए. ऐसे में मंगलवार से हेली सेवाओं का संचालन किस तरह से शुरू किया जाएगा, इस संबंध में सोमवार की शाम को बैठक होगी, जिसमें निर्णय लिया जाएगा.
केदारनाथ के लिए सिरसी, फाटा और गुप्तकाशी से हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा है. केदारनाथ हेली सेवा के लिए जो हेली कंपनियां अपनी सेवाएं दे रही हैं, उन सभी हेलीकॉप्टरों के संचालन के लिए डीजीसीए की गाइडलाइन के अनुसार ही स्लॉट है.
– सोनिका, सीईओ, UCADA –
सनसेट से आधा घंटे पहले तक संचालन: UCADA सीईओ सोनिका ने बताया कि हाल ही में डीजीसीए ने एक और सर्कुलर जारी किया था, जिसके तहत गुप्तकाशी से तीन, फाटा से तीन और सिरसी से चार हेलीकॉप्टर प्रति घंटा संचालन का स्टॉल तय किया गया है. हेली सेवाओं के लिए सभी नॉर्म्स और सर्कुलर डीजीसीए की ओर से ही उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (युकाडा) को प्रोवाइड कराए जाते हैं. इसके बाद हेलीकॉप्टरों को उकाडा की ओर से नॉर्म्स और सर्कुलर उपलब्ध कराए जाते हैं.
डीजीसीए के गाइडलाइन के अनुसार, सनराइज होते ही और सनसेट से आधा घंटा पहले तक ही हेली सेवाओं का संचालन हो सकेगा. इसी आधार पर ही हेली सेवाओं के संचालन का स्टॉल तय किया गया है.
– सोनिका, सीईओ, UCADA –
44 दिन में 9800 शटल संचालित: वहीं, नागरिक उड्डयन सचिव सचिन कुर्वे ने कहा कि केदारनाथ धाम में 2 मई से हेली सेवाओं का संचालन शुरू हुआ था. 2 मई से लेकर 14 जून तक हेलीकॉप्टर के करीब 9800 शटल संचालित हुए हैं. जिसके जरिए करीब 60 हजार यात्रियों ने यात्रा की. इसके अलावा 2705 चार्टर्ड हेलीकॉप्टर सेवाएं संचालित हुई हैं, जिसके जरिए 15 हजार यात्रियों को दो धाम या फिर चारधाम यात्रा कराई गई.
इस यात्रा सीजन के दौरान 2 एक्सीडेंट और तीन इंसिडेंट हुए हैं, जिसकी जांच डीजीसीए के स्तर से चल रही है. इन सभी घटनाओं और दुर्घटनाओं से संबंधित जो प्राथमिक जानकारी नागरिक उड्डयन विभाग को मिली थी, उसको डीजीसीए से साथ साझा किया गया है.
– सचिन कुर्वे, नागरिक उड्डयन सचिव –
साथ ही कुर्वे ने कहा कि सुरक्षित तरीके से हेली सेवाओं के संचालन को लेकर जो भी निर्देश दिए जाएंगे, उसका पालन किया जाएगा. ऐसे में जहां भी ऐसी सूचना मिल रही है कि गाइडलाइन का अनुपालन नहीं किया जा रहा है, उस पर शिकायत सही पाए जाने पर पायलट का लाइसेंस निरस्त किया जा रहा है. बेहतर तरीके से मॉनिटरिंग के लिए क्रिटिकल प्वाइंट्स पर भी सर्विलांस कैमरे लगाए गए हैं, ताकि डीजीसीए की गाइडलाइन का अनुपालन बेहतर ढंग से किया जाए.
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