जूना अखाड़े से दो महामंडलेश्वर निष्कासित (Photo- ETV Bharat)
हरिद्वार: जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानन्द गिरि और महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि का अखाड़े से निष्कासन कर दिया गया है. दोनों संतों ने रविवार दोपहर को हरिद्वार के भारत सेवा आश्रम में साधु संतों की बैठक में भाग लिया था और देर शाम को उन्हें अखाड़े से बाहर कर दिया गया. इस बैठक में अन्य कई आश्रमों के साधु संत भी शामिल थे. सभी साधु संतों ने कुंभ मेले के आयोजन से पहले स्थान धारी साधु संतों को भी अखाड़ा परिषद की तर्ज पर कुंभ मेले की सुविधाएं देने की मांग की थी. जिसके बाद अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन भारती महाराज ने उन्हें अखाड़े से निष्कासित कर दिया.
जूना अखाड़े के दो महामंडलेश्वर निष्कासित: मोहन भारती महाराज ने कहा कि दोनों संतों ने एक बैठक में सरकार व प्रशासन के विरोध में अनर्गल बयान दिये व अभद्र भाषा का प्रयोग किया. ये लोग सनातन धर्म को नुकसान पहुंचा रहे हैं. आगामी कुम्भ मेला बिगाड़ना चाहते हैं, जिससे सनातन धर्म की छवि खराब हो रही है. ये सनातन विरोधी कृत्य कर रहे हैं. साथ ही कहा कि स्वामी प्रबोधानन्द गिरि के विरुद्ध पूर्व में भी कई शिकायतें आई थी, जिनमें एक शिकायत उनके विरुद्ध हत्या के अभियोग की थी. जिसकी जांच चल रही है. आज इन्होंने उत्तराखण्ड के उच्च अधिकारियों के साथ अभद्र भाषा में बात की है. दोनों संत अगामी कुम्भ मेला बिगाड़ना चाहते हैं. इसलिए तत्काल प्रभाव से श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा से स्वामी प्रबोधानन्द गिरि व स्वामी यतींद्रानंद गिरि को निष्कासित किया जाता है.

दो संतों के निष्कासन आदेश का पत्र (Photo- ETV Bharat)
दो धड़ों में बंटे साधु-संत: दरअसल 2027 कुंभ मेले से पहले साधु संत आपस में ही दो धड़ों में बंट गए हैं. पूर्व में भी स्वामी रूपेंद्र प्रकाश और स्वामी प्रबोधानंद गिरि ने अखाड़ा परिषद के अस्तित्व पर सवाल उठाए थे और अर्द्धकुंभ को पूर्ण कुंभ की तर्ज पर आयोजित करने को परम्पराओं से खिलवाड़ बताया था.
भाजपा से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं स्वामी यतींद्रानंद गिरि: जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद 2009 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि उस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उसके बाद भी वो भाजपा में सक्रिय रहे हैं. कुछ दिन पहले उनके द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री समेत कई साधु संतों ने शिरकत की थी. जूना अखाड़े से निष्कासन के बाद साधु संत दो धड़ों में बंट गए हैं. अब देखना होगा कि आगे अखाड़ा परिषद से अलग साधु संत क्या निर्णय लेते हैं. हालांकि रविवार को हुई बैठक में साधु संतों ने अखाड़ा परिषद की तर्ज पर आश्रम परिषद का गठन करने की घोषणा की थी.
14 जनवरी 2027 से शुरू होगा हरिद्वार अर्धकुंभ: गौरतलब है कि अर्धकुंभ 14 जनवरी 2027 से शुरू होगा. इसका समापन अप्रैल में होगा. अर्धुकंभ का पहला स्नान 14 जनवरी 2027 को मकर संक्रांति को होगा. इस बार प्रदेश सरकार और संतों की सहमति से इस आयोजन को महाकुंभ का नाम दिया जा रहा है. हालांकि इसे लेकर कुछ संतों ने विरोध भी जताया है. अर्धकुंभ 97 दिन चलेगा. इस दौरान 4 प्रमुख शाही स्नान भी होंगे. साधु संत और उत्तराखंड सरकार अर्धकुंभ 2027 को प्रयागराज महाकुंभ की तर्ज पर दिव्य और भव्य रूप में आयोजित करना चाहते हैं.
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