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लैंड फ्रॉड के खिलाफ तैयार हो रहा फुल प्रूफ प्लान, धोखाधड़ी रोकने की ये बनी रणनीति


देहरादून: देहरादून में रजिस्ट्री घोटाला सामने आने के बाद से ही राज्य सरकार लैंड फ्रॉड से जुड़े मामलों पर फूल प्रूफ प्लान बनाने में जुटी हुई है. इस कड़ी में एक ऐसी रणनीति पर मंथन किया गया है, जिसको लेकर दावा है कि इसके धरातल पर उतरने से जमीनों से जुड़ी धोखाधड़ी को काफी हद तक रोका जा सकेगा.

जिलाधिकारी सोनिका ने की कार्रवाई: देहरादून में रजिस्ट्री घोटाले के जरिए लाखों करोड़ रुपए की जमीनों को हड़पने की कोशिश की गई, गनीमत यह रही कि इससे जुड़ी कुछ शिकायत आने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी सोनिका ने इस पर न केवल गंभीरता से कार्रवाई करना शुरू किया, बल्कि इस पूरे मामले की तह तक भी पहुंची. नतीजा यह रहा कि साल 1948 के दस्तावेजों में की गई हेराफेरी को रोकते हुए करीब 2000 एकड़ जमीन पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए मालिकाना हक पाने की कोशिशों को भी नाकाम किया जा सका.

जमीनी धोखाधड़ी रोकने के लिए फुल प्रूफ प्लान (Video-ETV Bharat)

पुलिस ने लिया सख्त एक्शन: इस मामले में सरकार ने SIT का गठन किया और एक के बाद एक प्रकरण का खुलासा होता रहा. मामले में पुलिस ने करीब 20 लोगों को फर्जी रजिस्ट्री घोटाला करने के लिए जेल भी भेजा. इसके बाद SIT ने जांच के बाद कुछ सुझाव भी दिए, ताकि जमीनों में हो रहे फर्जी वाले को रोका जा सके. इसी को लेकर वित्त विभाग के बड़े अधिकारियों ने इन सुझावों को धरातल पर उतारने के लिए मंथन शुरू कर दिया हैं.

जो सुझाव मिले हैं उस पर त्वरित रूप से काम कैसे किया जा सकता है और जिन सुझावों को अमल में लाने के लिए समय लग सकता है. उसकी क्या रणनीति होनी चाहिए इस पर अधिकारियों की वार्ता हुई है और कोशिश की जा रही है की रजिस्ट्री में आने वाली विभिन्न दिक्कतों को दूर किया जाए.
आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव वित्त

जनता दरबार में आती हैं सबसे ज्यादा शिकायतें: देहरादून समेत मैदानी जिलों में लैंडफ्रॉड एक बड़ी समस्या बन गई है. स्थिति यह है कि जिलाधिकारी देहरादून के पास जनता दरबार में आने वाले फरियादियों में करीब 70% फरियादी जमीनों में विभिन्न गड़बड़ियों या धोखाधड़ी से जुड़े मुद्दों को लेकर शिकायत लेकर पहुंचते हैं. उधर ऐसे मामलों से निपटने के लिए बाकायदा लैंड फ्रॉड कमेटी का भी गठन पूर्व में किया जा चुका है, जिसमें पुलिस द्वारा ऐसी शिकायतों की जांच की जाती है.

लैंड के डिजिटलाइज पर जोर: जमीनों के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सबसे बड़ा कदम लैंड रिकॉर्ड को डिजिटलाइज करने से जुड़ा है. इसमें रणनीति बनाई जा रही है कि रजिस्ट्री डिपार्टमेंट, रेवेन्यू डिपार्टमेंट और नक्शा पास करने वाले प्राधिकरण के पास मौजूद लैंड रिकॉर्ड को मर्ज किया जाए. ऐसा करने से 90% से भी ज्यादा जमीन के फर्जीवाड़े खुद ब खुद खत्म हो जाएंगे. इससे जहां रजिस्ट्री विभाग के पास मौजूद लैंड रिकॉर्ड रेवेन्यू विभाग के पास होगा तो प्राधिकरण भी धरातल पर जमीन की असल स्थिति को डिजिटल रूप से ही देख सकेगा.

कर्नाटक और मध्य प्रदेश समेत ऐसे कई राज्य हैं जो इस पर होमवर्क पूर्व में ही कर चुके हैं और इसके बेहतर रिजल्ट भी देखने को मिले हैं. ऐसे में इसी तर्ज पर उत्तराखंड भी इसके लिए होमवर्क में जुड़ा हुआ है ताकि जल्द से जल्द तकनीक का सहारा लेते हुए लैंड फ्रॉड को रोका जा सके.
सोनिका, महानिरीक्षक स्टांप

डिजिटल रिकॉर्ड संरक्षण काम: दूसरा बड़ा कदम आधार प्रमाणिकता से जुड़ा है, जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा की जमीन बेचने वाला शख्स वही व्यक्ति है जिसकी डिजिटल रूप से जमीन दिखाई गई है. साथ ही मौके पर कितनी जमीन है इसका भी आसानी से पता चल जाएगा. इस पूरे होमवर्क को करने के लिए सबसे बड़ा काम जिओ मैपिंग का होगा जिससे जमीनों को डिजिटल रूप से कैटेगरी किया जा सकेगा. इसके लिए राजस्व विभाग भी डिजिटल रिकॉर्ड संरक्षण के काम में जुटा हुआ है. लैंड रिकॉर्ड्स की देखरेख के लिए सीसीटीवी लगाने की भी योजना है, जिसका सेंट्रलाइजेशन किया जाएगा. ताकि किसी भी स्तर पर किसी गड़बड़ी की संभावना ना रहे.

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