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कोटेश्वर महादेव की गुफा तक पहुंची अलकनंदा, सावन से पहले पहली बार हुई ये घटना


रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से मात्र तीन किमी दूरी की पर स्थित प्रसिद्ध कोटेश्वर गुफा आज सुबह जलमग्न हो गई. सुबह जब लोग अपनी दुकानों को खोलने के लिए गए, तो वे ये नजारा देख हैरान रह गए. जो दृश्य कभी सावन मास में एक दिन दिखता था, वह नजारा उन्हें सावन माह से पहले ही देखने को मिला, जिसे देखकर वे अचम्भित रह गए. कोटेश्वर गुफा अलकनंदा नदी से करीब 30 मीटर ऊपर है.

मूसलाधार बारिश से अलकनंदा का जलस्तर बढ़ा: बदरीनाथ क्षेत्र में लगातार मूसलाधार बारिश जारी है. बारिश के कारण आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. जहां पहाड़ी टूटने से राजमार्ग, लिंक मार्ग बार-बार बाधित हो रहे हैं, वहीं नदियां भी उफान पर आ गई हैं. जो नजारा पहले सावन माह में देखने को मिलता था, वही अब इन दिनों देखने को मिल रहा है. जानकारों की मानें तो मौसम में काफी परिवर्तन हो गया है, जिस कारण स्थितियों में बदलाव हो चुका है.

अलकनंदा ने किया कोटेश्वर महादेव का जलाभिषेक: पिछले एक सप्ताह से बदरीनाथ क्षेत्र में हो रही लगातार मूसलाधार के कारण अलकनंदा नदी उफान पर बह रही है. देर रात हुई ज्यादा बारिश के कारण रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से 3 किमी दूरी पर स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर की गुफा भी जलमग्न हो गई. सुबह के चार बजे जब स्थानीय लोग अपनी दुकानों को खोलने आए तो वे गुफा को जलमग्न देखकर हैरान रह गए.

30 मीटर ऊपर कोटेश्वर गुफा तक पहुंची अलकनंदा: उन्होंने देखा कि अलकनंदा नदी भगवान शिव का जलाभिषेक कर रही हैं. स्थानीय निवासी रवि सिंधवाल ने बताया कि ऐसा नजारा पहले सावन माह में देखने को मिलता था. सावन माह में एक दिन ऐसा देखने को मिलता था कि जब अलकनंदा नदी, भगवान कोटेश्वर का जलाभिषेक करती थीं. मगर अब ये नजारा अभी से देखने को मिल रहा है. अलकनंदा नदी 30 मीटर ऊपर कोटेश्वर गुफा तक पहुंच गई. उन्होंने कहा कि बदरीनाथ क्षेत्र में लगातार मूसलाधार बारिश जारी है. बारिश के कारण आम जनजीवन अस्त-व्यस्त है. नदियों के उफान पर आने से खतरा बना हुआ है.

पर्यावरणविदों ने नदियों में मलबा डालने पर जताई चिंता: वहीं पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेन्द्र बद्री ने बताया कि मौसम में काफी परिवर्तन आ गया है. राजमार्ग के साथ लिंक मार्गों का मलबा नदियों और गाड़-गदेरों में डाला जा रहा है, जो भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है. उन्होंने कहा कि अलकनंदा का ऐसा विकराल रूप पहले सावन मास में देखने को मिलता था. मगर अब ये स्थिति पहले ही देखने को मिल रही है. नदियां अपने मूल स्थान से काफी ऊपर बह रही हैं, जो भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है.
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