देहरादून (किरणकांत शर्मा): गुजरात के अहमदाबाद शहर में 12 जून 2025 को एयर इंडिया AI-171 विमान हादसे के बाद पूरा देश गमगीन है. विमान हादसों के इतिहास में सबसे बड़ी घटनाओं में से एक अहमदाबाद हादसे ने देश को हैरान परेशान किया है. इस हादसे में विमान में सवार लोगों के साथ ही मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में मौजूद कुछ डॉक्टर्स भी हताहत हुए हैं, क्योंकि विमान टेक ऑफ करते ही करीब 2 किमी दूर मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर क्रैश हो गया.
इस घटना ने एयरपोर्ट के पास बसे रिहायशी इलाकों में दशहत पैदा कर दी है. इसमें देहरादून के जौलीग्रांट स्थित उत्तराखंड का सबसे बड़ा एयरपोर्ट भी है. अहमदाबाद हादसे के बाद जौलीग्रांट एयरपोर्ट के आस-पास बसी आबादी अपने घरों की छतों पर भी जाने से डर रही है.
डर रहे हैं लोग: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से लगभग 18 किलोमीटर दूर जौलीग्रांट एयरपोर्ट से 14 शहरों के लिए लगभग 35 से अधिक फ्लाइट संचालित होती हैं. खास बात ये है कि एयरपोर्ट के पास टिहरी विस्थापितों समेत पलायन करके आए लोगों की घनी आबादी है. यहां लोगों ने कई मंजिला घर बनाए हुए हैं. एयरपोर्ट के पास ही मेडिकल कॉलेज भी है, जिसमें सैकड़ों बच्चे पढ़ते हैं.
जौलीग्रांट एयरपोर्ट के रनवे के पास से ही आबादी शुरू हो जाती है. दिल्ली की तरफ उड़ान भरने वाली फ्लाइट जहां डोईवाला और राजाजी नेशनल पार्क के जंगलों के ऊपर से गुजरती है तो वहीं हैदराबाद, अहमदाबाद, मुंबई, कोलकाता समेत अन्य शहरों के लिए जाने वाली फ्लाइट्स एयरपोर्ट के पास ही स्थित आवासीय कॉलोनियों के ऊपर से गुजरती है. यही कारण है अहमदाबाद विमान हादसे के बाद जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पास बसी आबादी भी डरी हुई है.
अहमदाबाद विमान हादसे के बाद जौलीग्रांट के पास स्थित कॉलोनियों के लोगों ने छत पर आना छोड़ा. (VIDEO- ETV Bharat)
स्थानीय लोग बोले घर कांपने और बर्तन गिरने लगते हैं: एयरपोर्ट के पास रहने वाले पंचम सिंह नेगी का कहना है कि अब तक तो छत के ऊपर से गुजरने वाले हेलीकॉप्टर, हवाई जहाजों से कभी डर नहीं लगा, लेकिन अहमदाबाद विमान हादसे के बाद पूरा परिवार और आसपास के लोग बेहद डरे हुए हैं. डर होना स्वाभाविक है, क्योंकि जिस तरह से अहमदाबाद में रिहायशी इलाके में यह विमान गिरा है, उसी तरह का कुछ रिहायशी इलाका जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पास भी है.
अहमदाबाद घटना के बाद यहां के लोग इतने डरे हुए हैं कि वो एयरपोर्ट को शिफ्ट करना ही मुनासिब समझते हैं. क्योंकि एक बड़ी आबादी रनवे के पास रहती है.
कई बार ऐसा होता है जब यहां पर बड़े विमान उतरते हैं तो आसपास के पेड़ और घर पूरी तरह से कांपने लग जाते हैं. किचन के स्लैब में रखे बर्तन नीचे गिरने लगते हैं. आवाज इतनी तेज होती है कि बेहद डर लगता है. अब छत पर जाने में भी डर लग रहा है.
– पंचम सिंह, स्थानीय निवासी –
घर में भी आवाज से लग रहा डर: जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पास ही रहने वालीं राजेश्वरी देवी भी अहमदाबाद की घटना के बाद से बेहद सहमी हुईं हैं. अपने घर की छत पर जाने वाली सीढ़ियों पर उन्होंने एक तरह की शेड लगा दी है, ताकि बच्चे और बड़े छत पर ना जाएं. वह कहती हैं, अहमदाबाद हादसे से पहले तो कभी इन बातों पर ध्यान नहीं दिया. लेकिन अब सोचने पर मजबूर हैं कि इतने नीचे उड़ने वाले यह विमान कभी हमारे लिए तो खतरा नहीं हो जाएंगे.
छत पर सोना छोड़ दिया: राजेश्वरी देवी बताती हैं कि गर्मी के सीजन में परिवार अमूमन छत पर सोता है. लेकिन 12 जून की घटना के बाद परिवार ने छत पर सोना बंद कर दिया है. हमारे यहां जो मेहमान आते हैं, वह हवाई जहाज की आवाज और इसके करीब से गुजरने से डर जाते हैं.
जब इतने बड़े विमान के साथ इस तरह की दुर्घटना हो सकती है, तो यहां पर उड़ने वाले छोटे और बड़े विमान कितने सुरक्षित हैं? हां, लेकिन इतना जरूर है कि फिलहाल आसपास की कॉलोनी के लोग बेहद डरे हुए हैं.
– राजेश्वरी देवी, स्थानीय निवासी –
20 हजार से अधिक की है आबादी: जौलीग्रांट एयरपोर्ट के आसपास जिन बस्तियों, कॉलोनियों के ऊपर से हेलीकॉप्टर और हवाई जहाज गुजरते हैं, वो बेहद सहमे हुए हैं. इसमें 20 हजार से अधिक की आबादी है. रनवे के नजदीक रहने वाले लोग सरकार से यहां से विस्थापन की मांग भी कर रहे हैं. उन्हें डर है कि आने वाले समय में जौलीग्रांट एयरपोर्ट और अधिक विस्तार होगा.
दो दिन बाद देहरादून से पहुंचे गुजरात: अहमदाबाद हादसे के बाद जौलीग्रांट एयरपोर्ट से अहमदाबाद उड़ने वाली फ्लाइट आखिरकार दो दिन बाद 14 जून की रात 2 बजे उड़ान भर पाई. दो दिनों से गुजरात जाने वाले लगभग 90 से अधिक पैसेंजर एयरपोर्ट पर ही फ्लाइट उड़ने का इंतजार कर रहे थे. इस दौरान उनकी कई बार एयरपोर्ट प्रशासन से भी कहासुनी हुई.
गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाले हितेश ने ईटीवी भारत से फोन पर हुई बातचीत में बताया कि, हम दो दिन से बेहद परेशान थे. कोई सुनने वाला नहीं था. बार-बार हमसे यही कहा जा रहा था कि गुजरात जाने वाली फ्लाइट में कुछ तकनीकी खामी है. दो दिनों तक ‘आजकल-आजकल’ की बातें होती रहीं. आखिरकार फिर हमें रात 2 बजे उड़ान भरने का मौका मिला और हम सुबह 4 बजे अहमदाबाद पहुंचे. इस तरह की व्यवस्था किसी के लिए भी सही नहीं है. क्योंकि एयरपोर्ट पर मेरे साथ ही 70 से 80 पैसेंजर दो दिनों से बेहद परेशान थे.
फिलहाल, जौलीग्रांट एयरपोर्ट से संचालित होने वाली सभी फ्लाइट्स नियमित रूप से संचालित हो रही हैं. लेकिन हवाई सफर करने वालों में अचानक से कमी जरूर आई है. अहमदाबाद विमान हादसे के बाद कहीं न कहीं लोग सहमे हुए हैं.
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