पासे से बढ़ते सड़क हादसे (Photo- ETV Bharat)
देहरादून: समूचे उत्तराखंड में सर्दी का सितम जारी है. तमाम सड़कों पर पाला गिरने लगा है. जिससे वाहन पाले की चपेट में आने लगे हैं.उत्तराखंड में पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम बदलने के साथ ही पाले की परत सड़कों पर फिसलन पैदा कर रही है, जो सड़क हादसों की वजह बन रही है. बढ़ते सड़क हादसे इसकी तस्दीक कर रहे हैं. प्रदेश में अलग-अलग सड़क हादसों में 11 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
सर्दी में पाले का सितम जारी: गौर हो कि उत्तराखंड में ठंड बढ़ने के साथ ही पाला भी गिरने लगा है. सुबह के समय तमाम मार्गों पर पाले की हल्की सफेद चादर बिछनी शुरू हो गई है. वहीं गढ़वाल और कुमाऊं के ऊपरी इलाकों में बर्फबारी इस सीजन अपेक्षित रूप से कम हुई है, लेकिन सड़कों पर गिरने वाले पाले को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. जरा सी असावधानी हादसे का कारण बन जाती है. विगत वर्षों में हुए हादसे जिसकी तस्दीक करते हैं. ऐसे में सावधानी ही सड़क हादसों से बचा सकती है.

पाला गिरने से बढ़ा सड़क दुर्घटनाओं का खतरा (Photo- SDRF)
पाले गिरने पर एक्सपर्ट की राय: मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल की मानें तो पाला दरअसल मिट्टी सड़क या किसी सतह पर जमने वाली बर्फ नहीं होती, बल्कि यह वातावरण की नमी होती है जो रात में तापमान गिरने के साथ जमा हो जाती है. जब आसमान साफ होता है और रात में सतही तापमान तेजी से गिरता है. जिससे सतह (जैसे सड़क) ठंडी होकर वायुमंडलीय नमी को जमा लेती है और पाले की परत बन जाती है.
धूप निकलने के बाद पाले का असर कम: वैसे ये ध्यान सभी को रखना चाहिए की ये पाला ऐसा नहीं है कि पहाड़ों ही पर ही पड़ता है, बल्कि मैदानी इलाके भी इससे अछूते नहीं हैं. सड़कों पर पाला अक्सर ऐसी जगहों पर जमता है, जहां धूप कम पड़ती है. जैसे पेड़ों की छाया, घुमावदार रास्ते, पुल या घाटियां, ये सड़क को चिकना और फिसलन भरा बना देता हैं. इसमें ध्यान देना बेहद जरुरी होता है. कई जगहों पर देखा जाता है कि पहाड़ों से पानी जब सड़क पर आता है तो वो रात को हल्की बर्फ की सकल भी ले लेता है.

उत्तराखंड में पाले ने बढ़ाई मुश्किलें (Photo- SDRF)
उत्तराखंड में पाले से सड़क हादसों की बढ़ती घटनाएं: उत्तराखंड में वैसे तो सड़क हादसे आम बात हो गई है, लेकिन कभी ब्रेक फेल तो कभी भूस्खलन या ड्राइवर की लापरवाही से ये हादसे होते हैं. लेकिन हाल के 20 दिनों के भीतर पहाड़ो में सड़क हादसों की वजह सबसे अधिक पाला रही है, जिसमें कई लोगों की जान चली गई. इसमें पिथौरागढ़ के झूलाघाट-पिथौरागढ़ मार्ग, मसूरी, नैनीताल मार्ग और चमोली के इलाके काफी खतरनाक हैं. अगर आप इस सर्दी में उत्तराखंड या किसी हिमालयी क्षेत्र की ओर सफर करने का सोच रहे हैं तो कुछ सुझाव जो आपकी सुरक्षा बढ़ा सकते हैं.
जरा सी असावधानी जान पर पड़ सकती है भारी: ध्यान रखें की धीमी गति से वाहन चलाए. पाले व बर्फ वाली सड़क पर तेज गति बेहद खतरनाक होती है. मोड़ कर्व व उतार चढ़ाव वाले रास्तों पर विशेष सतर्कता रखें. ब्रेक अचानक लगाने की बजाय धीरे धीरे लगाएं. वाहन में अच्छे ग्रिप वाले टायर जरूर लगाए. संभव हो तो सुबह और शाम को ड्राइविंग से बचें. पाला रात में पड़ता है और सुबह धूप ना आने तक फिसलन पैदा करता है. ऐसे में धूप निकलने के बाद ही पहाड़ों पर सफर करें.
जागरूकता से सफर होगा आसान: अक्सर छाया वाले हिस्सों पुलों, घाटियों और कर्व वाले हिस्सों में फिसलन की संभावना ज्यादा होती है. इसके साथ ही आगे चल रहे वाहन से अंतर बनाए रखें. सड़क की हालत की जानकारी पहले जरूर लें, अगर आपको सर्विस एजेंसी स्थानीय प्रशासन या जनता द्वारा अपडेट मिले तो उसी अनुसार निकलें. पाला प्रभावित सड़कों पर नमक या चूने का छिड़काव स्थानीय प्रशासन द्वारा समय-समय पर किया जाता है. लेकिन मार्गों पर सावधानी आपको सुरक्षित यात्रा का अनुभव कराएगी. वाहन में आपातकालीन किट जरूर रखें.
प्रशासन ने लोगों से की अपील: इस बार प्रदेश में बर्फबारी कम रही है, लेकिन पाले की वजह से सड़कों पर फिसलन बन रही है. जैसे-जैसे क्रिसमस और नए साल पर लोग का पहाड़ों की ओर रुख बढ़ेगा. उस दौरान हादसों की संभावना बढ़ जाती हैं. खासकर उन लोगों के लिए जिनको पहाड़ों पर गाड़ी चलाने का अनुभव नहीं है. इसलिए जरूरी है कि यात्रा से पहले मौसम और सड़कों की जानकारी जरूर लें. एसडीआरएफ के आंकड़े के मुताबिक सर्दी बढ़ते ही पहाड़ों में कई सड़क हादसे हो चुके हैं. अलग-अलग हादसों में 11 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं. स्थानीय प्रशासन लोगों को पहाड़ों पर संभलकर यात्रा करने की अपील कर रहा है.
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