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उत्तराखंड के भुतहा हो चुके गांवों में 'शहनाई' बजेगी, घोस्ट विलेज होंगे आबाद, जानिए क्या है मेगा प्लान


देहरादून, किरनकांत शर्मा: 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से इन 24 सालों में प्रदेश के कई गांव खाली हो चुके हैं. इन गांवों में अब कोई नहीं रहता. यहां कई घरों में ताले लगे हुये हैं. वहीं, कुछ घर ऐसे भी हैं जो जमींदोंज हो चुके हैं. उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं में लगभग ऐसे 1700 से अधिक छोटे-बड़े गांव हैं. इस पहाड़ी राज्य के लिए अपने लोगों को ही पहाड़ों पर रोकना एक बड़ी चुनौती रहा है. आजीविका कमाने, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की तलाश में लोगों ने लगातार पहाड़ों से पलायन किया. हालांकि, अब उत्तराखंड सरकार इन गांवों को आबाद करने की योजना बना रही है.

कहते हैं एक पहाड़ी पहाड़ों को खुद से अलग नहीं कर सकता. लेकिन पहाड़ों पर साधन न होने के कारण कई घर पलायन कर गए. घर चलाने के साथ ही शिक्षा सुविधाओं का सही न होगा, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भटकना, जानवरों द्वारा फसलों को नष्ट होना, ऐसे कई कारण रहे कि पहाड़ियों ने पहाड़ को अलविदा कहा. कई लोग देहरादून, हरिद्वार जैसे मैदानी इलाकों में बसे तो कइयों ने दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों को अपना आशियाना बनाया. वहीं साल 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड के 1792 गांव निर्जन हो गए हैं. 2023 के बाद अभी तक इससे जुड़ा कोई नया आंकड़ा जारी नहीं हुआ है.

क्या है सरकार का मेगा प्लान: वहीं, अब उत्तराखंड की धामी सरकार इन्हीं ‘घोस्ट’ बन चुके गांवों की तस्वीर बदलना चाह रही है. इसके लिए भुतहा गांवों के घरों का इस्तेमाल किया जाएगा. सरकार घोस्ट विलेज को वेडिंग विलेज के तौर पर विकसित करना चाहती है. इसके लिए यहां के खाली हो चुके घरों का इस्तेमाल किया जाएगा, साथ ही गांव के चौक चौराहों का रंग बदला जाएगा.

भुतहा गांव नहीं मैरिज विलेज होगी पहचान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ महीने पहले जब उत्तरकाशी दौरे पर आए थे, तब उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि उत्तराखंड जैसी खूबसूरत जगह, जहां पर सब कुछ प्रकृति ने दिया हुआ है, अगर इस प्रदेश को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाता है तो राज्य में आर्थिक रूप से काफी लोगों को फायदा मिलेगा.

इसी तर्ज पर अब उत्तराखंड सरकार खाली हो चुके गांवों को आबाद करने में जुट गई है. इन गांवों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया जाएगा. उत्तराखंड सरकार ने खाली हो चुके गांवों को संवारने का काम उत्तराखंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड को दिया है. इन गांव में शादी जैसे कार्यक्रम से जुड़ी हर सुविधा जुटाई जाएगी.

खाली हो रहे गांव बढ़ा रहे चिंता:

शुरुआती चरण में 10 गांव होंगे विकसित: बताया जा रहा है कि पहले चरण में उत्तराखंड के 10 खाली हो चुके गांवों को राज्य सरकार विकसित करने जा रही है. फिलहाल उन गांव को तवज्जो दी जा रही है जो भीड़ भाड़ वाले जिलों के आसपास हैं. धार्मिक गतिविधियों वाले गांव को भी ध्यान में रखा जा रहा है.

रुद्रप्रयाग और कुमाऊं के रामनगर कॉर्बेट नेशनल पार्क के आसपास के गांव को शुरुआती दौर में चिह्नित करके विकसित किया जाएगा. यहां पीने के पानी, लाइट, रुकने की व्यवस्था और सड़क इत्यादि को भी ठीक किया जाएगा. वेडिंग विलेज के लिए राज्य सरकार वेडिंग डेस्टिनेशन से जुड़े लोगों से भी संपर्क कर रही है.

क्या कहते हैं अधिकारी: उत्तराखंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड के एमडी मीनाक्षी सुंदरम की मानें तो राज्य सरकार इस दिशा में कदम आगे बढ़ा रही है.

वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में उत्तराखंड को पहले ही पहचान मिल चुकी है. अब खाली हो चुके गांवों को भी आबाद करने की पहल की जा रही है. शुरुआती दौर में कुछ विलेज को विकसित किया जाएगा.
– मीनाक्षी सुंदरम, एमडी, उत्तराखंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड –

खूबसूरत गांवों में होंगे सात फेरे: वहीं, उत्तराखंड सरकार में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि पिछले 3 सालों से सरकार इस दिशा में काम कर रही है. सरकार खाली हो चुके गांवों को विकसित करने की कोशिश कर रही है. सरकार की इस पहल से रिवर्स पलायन के साथ ही रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा. महाराज ने कहा कि, हमारे पास ऊपरी इलाकों में इतने खूबसूरत गांव हैं, जहां पर जो भी गया वह उसकी खूबसूरती को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया, लेकिन अब वह गांव सुविधा के अभाव में या फिर वहां रहने वाले लोग कामकाज के चक्कर में अन्य शहरों में चले गए हैं. हालांकि, आज भी वह गांव पूरी तरह से सुरक्षित हैं.

हम ऐसे गांव को इसलिए खाली नहीं छोड़ सकते क्योंकि यह सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण गांव हैं. कई गांव हमारे सीमा क्षेत्र में मौजूद हैं. हम इन गांवों को आबाद करने के लिए जो भी काम होगा उसे उठाने में कोई परहेज नहीं करेंगे. हमें उम्मीद है कि सरकार अगर इस तरह के काम खाली हो चुके गांव में करेगी तो उसे गांव को छोड़ चुके लोग भी दोबारा से रिवर्स पलायन करेंगे. वेडिंग डेस्टिनेशन से आसपास के गांव के युवाओं को रोजगार मिलेगा.
– सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री –

उदहारण है ये गांव: सतपाल महाराज ने कहा रुद्रप्रयाग जिले में स्थित त्रिजुगीनारायण में सुविधाओं को विकसित किया गया है. आज त्रिजुगीनारायण में एक बड़ा वेडिंग डेस्टिनेशन है. यहां शादियों के सीजन में कई शादियां हो रही हैं, जिससे आसपास के कई गांवों को इससे रोजगार बढ़ा है. अब उत्तराखंड के 1700 में से कुछ गांवों को भी वेडिंग डेस्टिनेशन के साथ जोड़ने की कोशिश हो रही है.

बता दें, इस साल अप्रैल माह तक त्रिजुगीनारायण में करीब 500 शादियां हो चुकी हैं.

2024 में कुल 600 शादियां ही हुई.

अब तक यहां इसरो के एक वैज्ञानिक, अभिनेत्री चित्रा शुक्ला, कविता कौशिक, निकिता शर्मा, गायक हंसराज रघुवंशी, यूट्यूबर आदर्श सुयाल, गढ़वाली लोकगायक सौरभ मैठाणी के साथ ही कई जानी मानी हस्तियां सात फेरे ले चुके हैं.

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