देहरादून: अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति डकारने के मामले में सेकंड राउंड वेरिफिकेशन शुरू कर दिया गया है. इसके तहत उत्तराखंड के 72 कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों की स्थिति को दोबारा से देखा जाएगा. इससे पहले प्रदेश के 17 कॉलेजों में छात्रों की छात्र संख्या को लेकर फर्जीवाड़ा सामने आया था. जिस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच के आदेश भी दे दिए हैं.
जांच के लिए कमेटी का गठन: राज्य में अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति को डकारने का मामला सबसे पहले ईटीवी भारत ने उजागर किया था. इसके बाद जिला स्तर पर इस मामले में एक कमेटी गठित कर जांच के आदेश दिए गए थे, हालांकि बाद में यह भी पता चला कि संघ से जुड़े शिशु मंदिर जैसे संस्थान के नाम का सहारा गड़बड़ी के लिए लिया गया.
दूसरे चरण का वेरिफिकेशन: खास बात यह है कि अब अल्पसंख्यक विभाग वेरिफिकेशन के दूसरे चरण को शुरू हो गया है. जिसमें राज्य के सभी 72 कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों की धरातल पर स्थिति को देखेगा, ताकि फर्जीवाड़ा होने पर ऐसे कॉलेजों पर कार्रवाई की जा सके.
आधार कार्ड और सर्टिफिकेट का भी होगा वेरीफिकेशन: अल्पसंख्यक विभाग से जुड़े अधिकारी राज्य के तमाम संबंधित कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के आधार कार्ड को भी वेरीफाई करेगा, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि फर्जी तरीके से आधार कार्ड ना बनाए गए हो साथ ही बाकी सर्टिफिकेट को भी देखा जाएगा. जिस किसी भी तरह की अनियमितता को पकड़ा जा सके.
केंद्र के पोर्टल से इस तरह के फर्जीवाड़े को पकड़ा गया था. जिसके बाद राज्य ने भी इस पर गंभीर एक्शन लिया है. मुख्यमंत्री ने इस पर जांच के आदेश दिए हैं और अब दूसरे चरण के वेरिफिकेशन में और भी गहनता से ऐसे संस्थाओं की जांच की जा रही है.
पराग मधुकर धकाते, विशेष सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग
बाहरी राज्यों के छात्रों का रजिस्ट्रेशन: राज्य में जिन 17 कॉलेज में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है, उनमें यह बात सामने आई है कि उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश बिहार पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के छात्रों का भी इन कॉलेज में रजिस्ट्रेशन करवाया गया था. यह भी स्पष्ट हुआ है कि यह रजिस्ट्रेशन फर्जी तरीके से करवाए गए, हालांकि इस पूरे मामले में फिलहाल जांच के आदेश दिए गए हैं और विस्तृत रूप से इस पूरे प्रकरण का खुलासा इस जांच के बाद ही हो पाएगा.
पहाड़ी जिलों में भी फर्जीवाड़ा: हैरानी की बात यह है कि रुद्रप्रयाग जैसे पर्वतीय जिले में भी संस्कृत महाविद्यालय के नाम से चल रहे संस्थान में बंगाल के दो छात्रों का रजिस्ट्रेशन करवाया गया है. इसे प्रथम दृष्टया फर्जीवाड़े के रूप में विभाग देख रहा है और इसकी और भी गहनता से जांच की जा रही है. हैरानी इस बात की है कि पर्वतीय जनपदों तक भी इस तरह के फर्जीवाड़े का जाल बिछाया गया और इसमें फर्जी रजिस्ट्रेशन की बात विभाग कह रहा है.
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