हल्द्वानी: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. प्रदेश के प्राथमिक विद्यालय साल दर साल छात्र विहीन होते जा रहे हैं. खास बात है कि शिक्षा विभाग ने एक शिक्षक पर 40 बच्चों की जिम्मेदारी निर्धारित की है. लेकिन छात्रों की घटती संख्या के कारण चंद छात्रों पर कई शिक्षक अपनी जिम्मदारी निभा रहे हैं.
नैनीताल जिले के खंड शिक्षा हल्द्वानी कार्यालय से महज 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूल है, जो छात्र विहीन हो गया है. हल्द्वानी के हल्दूचौड़ स्थित देवरामपुर प्राथमिक विद्यालय में महज 3 बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक के साथ एक भोजन माता को नियुक्त किया गया है. कई बार ऐसा होता है कि एक भी बच्चा स्कूल में पढ़ने नहीं आता है.
छात्र विहीन होते उत्तराखंड के विद्यालय! (VIDEO-ETV Bharat)
इसी तरह देवरामपुर प्राथमिक विद्यालय से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर बिंदुखत्ता शहीद मोहन नाथ गोस्वामी राजकीय माध्यमिक विद्यालय है. स्कूल में बच्चों को पढ़ने के लिए चार शिक्षकों के साथ एक भोजन माता की नियुक्ति की गई है. स्कूल की प्रिंसिपल पुष्पा बिष्ट का कहना है कि उनके विद्यालय में 31 बच्चों का एडमिशन है.
स्थिति यह है कि स्कूलों में इनकी समीक्षा करने वाले अधिकारियों की लाइन लंबी है. बावजूद इसके, नौनिहालों के लगातार स्कूल छोड़ने की समस्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में स्पष्ट हो रहा है कि इन बच्चों की सरकारी स्कूल में पढ़ाई के नाम पर शिक्षकों के तनख्वाह पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं.
पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा हर्ष बहादुर चंद का कहना है कि सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर शिक्षा विभाग लगातार काम कर रहा है. जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वहां पर शिक्षकों को भेजा जा रहा है. जहां पर शिक्षक अधिक हैं, वहां पर शिक्षकों को कम किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि ऐसे कई विद्यालय हैं, जहां बच्चों की संख्या कम है. लेकिन शिक्षा व्यवस्था को चालू रखने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति की गई है. कुछ विद्यालय ऐसे भी हैं जिनका समायोजन होना है. अगर इस तरह का मामला है, तो इसकी समीक्षा की जाएगी और आवश्यकता पड़ी तो विद्यालय को समायोजित किया जाएगा.
गौर है कि उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में एक शिक्षक पर 40 बच्चों का जिम्मा निर्धारित किया है. ऐसे में छात्रों की घटती संख्या के कारण 3 छात्रों पर एक शिक्षक और 31 छात्रों पर 4 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है.
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