सिद्धांत उनियाल, पौड़ी: उत्तराखंड में जहां एक ओर पलायन चिंता का विषय बना हुआ है तो वहीं अब कुछ लोग पहाड़ लौटकर स्वरोजगार की मिसाल भी पेश कर रहे हैं. पौड़ी मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित गौरीकोट गांव की सविता रावत ने भी ऐसा ही कदम उठाया है. सविता रावत ने 12 साल तक दिल्ली में एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी की, लेकिन शहरी जीवन की आपाधापी से अलग उन्होंने साल 2018 में पहाड़ लौटने का फैसला किया. अब वे पूरी तरह कृषि और बागवानी में जुड़ी हुई हैं.
दिल्ली में 12 सालों तक नौकरी की, फिर गांव लौटकर बन गईं आत्मनिर्भर: पौड़ी जिले की सविता रावत ने रिवर्स माइग्रेशन का सफल उदाहरण पेश किया है. दिल्ली में 12 सालों तक फार्मा मार्केटिंग में नौकरी करने के बाद साल 2018 में सविता रावत अपने गांव लौटी. जहां सविता ने कृषि और बागवानी को अपना जीवन बनाया. आज उनके पास 2000 सेब और 100 से ज्यादा कीवी के पेड़ हैं, जिनसे अब अच्छी फ्रूटिंग होने लगी है. बीते तीन सालों से सेब की खेती से उन्हें अच्छी आय हो रही है.
सविता रावत ने नौकरी छोड़ पहाड़ में शुरू की फॉर्मिंग (Video-ETV Bharat)
“मैंने पहले डेढ़ साल तक सब्जियां उगाई, उसमें ज्यादा फायदा नहीं हुआ. फिर सेब और कीवी की खेती की ओर कदम बढ़ाया. जिसमें 1500 हाई डेंसिटी और 500 सीडिलिंग सेब के पौधे लगाए हैं. जो 25 नाले में लगाए हैं. अब फल देने लगे हैं. इसके अलावा कीवी समेत अन्य फल भी लगाए हैं. पिछले साल काफी नुकसान हुआ है, लेकिन इस बार उम्मीद है कि अच्छी आय होगी. अगर सभी पौधे फल देने लगे तो 6 से 7 लाख की आय हो जाएगी.” – सविता रावत, कृषक
60 से 70 लाख रुपए का किया निवेश, कई लोगों को मिला रोजगार: सविता ने बताया कि अब तक वो 60 से 70 लाख रुपए का निवेश अपने बागवानी प्रोजेक्ट में कर चुकी हैं. उनके साथ गांव का एक स्थानीय व्यक्ति हमेशा काम करता है. जबकि, सीजन के अनुसार 4-5 अन्य लोगों को भी रोजगार मिल रहा है. उनके परिवार ने शुरू से उनका साथ दिया और अब शादी के बाद उनके पति भी इस काम में पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं.
सेब के प्लांट के बीच सविता रावत (फोटो- ETV Bharat)
एप्पल मिशन के तहत लगाए सेब के पौधे: सविता ने बताया कि साल 2020 में एप्पल मिशन के तहत उन्होंने 1500 सेब के पौधे लगाए. जबकि, 500 पौधे बाद में रोपे. उन्होंने गाला, रेड डेलिशियस, स्निको रेड, किंग रोट आदि वैरायटी के पौधे लगाए हैं. साल 2023 में पहली बार सेब की बिक्री से 1.5 लाख रुपए का मुनाफा हुआ. जबकि, 2024 में मौसम और अन्य कारणों से यह मुनाफा घटकर 50 हजार रुपए रह गया. हालांकि, इस साल उन्हें अच्छी आमदनी की उम्मीद है.
होम स्टे भी संचालित कर रहीं सविता रावत: सविता रावत ने बताया कि उनके इस सफर में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य होता चला गया. सविता ने अपने गांव में एक होमस्टे भी शुरू कर दिया है. जहां आने वाले पर्यटकों को पहाड़ी संस्कृति और पारंपरिक व्यंजन का स्वाद भी मिलता है. इसके साथ ही योग भी सिखाया जाएगा.

सविता रावत का बाग (फोटो- ETV Bharat)
“पहाड़ छोड़कर शहरों में बसने का सपना हर किसी का होता है, लेकिन शहरों की भागदौड़ और तनाव से परेशान होकर लोग अब रिवर्स माइग्रेशन की ओर लौट रहे हैं. यदि आपकी आमदनी बहुत ज्यादा नहीं है तो गांव में स्वरोजगार कर आप न केवल सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं, बल्कि मानसिक व शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रह सकते हैं.”– सविता रावत, कृषक
पहाड़ में भी लहलहा सकती सपनों की फसल: सविता बताती हैं कि उन्होंने अपने खेतों में सेब, कीवी जैसे बागवानी उत्पादों के साथ विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती शुरू की है. आज वो युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं. सविता रावत ये संदेश देती है कि यदि संकल्प मजबूत हो तो पहाड़ में भी सपनों की फसल लहलहा सकती है. इसके लिए सही सोच और मेहनत की जरूरत है. जिससे पहाड़ में भी आत्मनिर्भर बनकर आजीविका की जा सकती है.

सविता रावत के खेत में लगे सेब (फोटो- ETV Bharat)
“पौड़ी जिले में करीब 250 किसान सेब और कीवी की खेती में जुड़े हैं. उद्यान विभाग की ओर से एप्पल मिशन के तहत किसानों को सब्सिडी भी दी जा रही है. खास बात ये है कि कीवी के पौधों को जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुंचाते, जिससे यह किसानों के लिए सुरक्षित विकल्प बनता जा रहा है. उद्यान विभाग लगातार किसानों से संपर्क कर उन्हें प्रोत्साहित कर रहा है. ताकि, पहाड़ में बागवानी और फल उत्पादन के जरिए आजीविका के नए रास्ते खुल सकें.”– राजेश तिवारी, जिला उद्यान अधिकारी, पौड़ी
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