हैदराबाद : संयुक्त आंध्र प्रदेश के एक सामान्य परिवार में जन्मे रामोजी राव ने साधारण व्यक्ति के रूप में जीवन की शुरुआत की थी, लेकिन बहुत जल्द ही वह तेलुगु समाज में प्रेरणा स्रोत बन गए. उनका जीवन अथक संघर्षों की एक लंबी कहानी है. उनकी हर लड़ाई जीत का सबक बनी. वह समय के साथ लगातार अपने आप को बदलते रहे. उनकी सोच का दायरा विस्तृत था. वे निरंतर सीखते रहते थे. वो एक ऐसे व्यक्ति थे, जो अकेले ही हजारों हाथों और हजारों दिमागों के बराबर काम करने में सक्षम थे. संस्थान खोलने और उसको मुकाम तक पहुंचाने के मामले में वो एक बाहुबली थे. वो एक ऐसे नेतृत्वकर्ता थे, जिन्होंने अपनी टीम को आत्मविश्वास से लबरेज कर दिया. उन्होंने सत्य को अपना हथियार बनाया और बड़ी-बड़ी व्यवस्थाओं को सीधे चुनौती दी.
क्या एक व्यक्ति इतनी विविधतापूर्ण उपलब्धियां एक ही जीवनकाल में हासिल कर सकता है? क्या एक व्यक्ति इतनी बड़ी सफलता देख सकता है? रामोजी राव का विजयी पथ वास्तव में आश्चर्यजनक और अद्भुत है.
रामोजी ग्रुप के संस्थापक रामोजी राव की पहली पुण्यतिथि पर विशेष भेंट , देखें वीडियो (ETV Bharat)
एक विनम्र और सामान्य किसान परिवार में जन्मे रामोजी राव ने निडरता के साथ जीवन के कदम बढ़ाते हुए खुद को एक संस्था के रूप में विकसित किया. कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने जो कुछ भी छुआ, वह सोना बन गया. मगर वास्तविकता ये है कि उनकी प्रत्येक उपलब्धि के पीछे विचार, रणनीति, संघर्ष, प्रयास और दृढ़ता की गहराई थी. उनमें पत्थर को रत्न में बदलने और चट्टान को मूर्ति में बदलने की गजब की प्रतिभा थी. रामोजी राव में प्रतिकूल परिस्थितियों को भी सकारात्मक अवसरों में बदलने की अद्वितीय क्षमता थी. उनका एकमात्र मंत्र था कि परिस्थितियों की परवाह किए बिना और पीछे हटे बिना आगे बढ़ते रहना. उनका मंत्र था कि चाहे कोई भी क्षेत्र हो, वह शिखर तक पहुंचने तक कभी नहीं रुके. वह एक असाधारण नेता थे, जो अपनी दृष्टि से पूरी टीम को साथ लेकर चलने की बड़ी काबिलियत रखते थे.
रामोजी राव ने ईनाडु अखबार के जरिए तेलुगु सूचना जगत में क्रांति ला दी. उन्होंने पत्रकारिता में अनगिनत नवाचार लाए और अपने पूरे जीवन में उच्चतम मानकों को बनाए रखा. उन्होंने भारतीय मीडिया के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी. ईनाडु ने रंगीन हेडलाइंस, मनमोहक तस्वीरें, जिला संस्करण, फुल-आउट, विशेष पृष्ठ, महिलाओं के लिए वसुंधरा आदि को बेहतरीन तरीके से पेश किया. पुस्तक के रूप में ईनाडु का रविवारीय परिशिष्ट अपने आप में एक सनसनी थी. चडुवु (शिक्षा), सुखीभव, ई-नाडु, सिरी, ई-तारम, हाय बुज्जी, मकरंदम और अहा जैसी पहलों के साथ, ईनाडु ने तेलुगु पाठकों की जरूरतों को समझा और उन्हें अच्छी तरीके से पूरा भी किया.
समाज को जागरूक करने के लिए रामोजी राव ने दैनिक समाचार पत्रों से लेकर साप्ताहिक और मासिक पत्रिकाओं तक, बहुभाषी टीवी चैनलों से लेकर वेबसाइटों तक, कई मंचों का भरपूर इस्तेमाल किया. तेलुगु लोगों के बीच जन जागरूकता फैलाने, उनमें राजनीतिक चेतना जगाने और उनमें ज्ञान बढ़ाने में उनकी भूमिका बहुत अहम रही. इस तरह से उन्होंने अकल्पनीय मुद्दों को लोगों के सामने लाकर तेलुगु समाज को जागृत किया. वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने समाचार पत्रों में तस्वीरों के महत्व को सही मायने में पहचाना. उन्होंने सुनिश्चित किया कि तस्वीरें नेचुरल हों. इस तरह से उन्होंने कई बार हजारों विकल्पों में से व्यक्तिगत रूप से तस्वीरें चुनीं. अगले दिन, ऐसी तस्वीरें शहर में खूब चर्चित हुईं. यहां तक कि ये तस्वीरें चौक-चौराहों, आम बैठकों से लेकर असेंबली तक में भी चर्चा का विषय बन गईं. उनके बाद आज तक कोई भी इस कला में उतना निपुण नहीं हो पाया है, जितना वो थे.
रामोजी ग्रुप के संस्थापक रामोजी राव (ETV Bharat)
रामोजी राव ने समाचार पत्रों को लोगों के हाथों में हथियार बना दिया. उन्होंने तेलुगु समाज में बड़े सुधारों के लिए अखबार को एक माध्यम बना दिया. साल 1983 में उन्होंने साहसपूर्वक तेलुगु देशम पार्टी को समर्थन देने का एलान किया. इसने आंध्र प्रदेश की राजनीतिक किस्मत ही बदल दी. जब यह मिशन पूरा हुआ, तो उन्होंने यह साफ कर दिया कि वो अब वे लोगों के साथ हैं.
वर्ष 1984 के लोकतांत्रिक सुधारों में ईनाडु अखबार ने एक अनूठी भूमिका निभाई. चाहे वह सामग्री व्यावसायिकता की हो, रिपोर्टिंग की रही हो, रामोजी राव ने नैतिकता, उत्पादन गुणवत्ता, संचलन, वितरण या विज्ञापन, हर क्षेत्र में एक के बाद एक मानक स्थापित किए. उन्होंने जोर देकर कहा कि पत्रकारिता में योग्यता और प्रयास ही एकमात्र मानक है. उन्होंने अपने अखबार को इस तरह से चलाया कि व्यक्तियों पर निर्भरता से बचा जा सके.
रामोजी का मानना था कि भले ही एक व्यक्ति बूढ़ा हो जाए, लेकिन अखबार को कभी बूढ़ा नहीं होना चाहिए. उसे हमेशा नया और ताजा बने रहना चाहिए. उनकी चेतावनी संस्थाओं के लिए उतनी ही वैध थी, जितनी की व्यक्तियों के लिए. उनका साफ कहना था कि बदलाव के लिए तैयार नहीं होने वाले संगठन नष्ट हो जाते हैं. इस तरह से ईनाडु अखबार को 5 दशकों से अधिक समय तक टॉप पर बनाए रखने वाली चीज निरंतर नवाचार और उसकी गति थी. उनका मानना था कि एक अखबार को रिपोर्टिंग से आगे बढ़कर काम करना चाहिए. इसे संकट के समय आगे बढ़कर नेतृत्व करना चाहिए. हजारों पत्रकारों और पेशेवरों ने उनके मीडिया संस्थानों के माध्यम से अपना मुकाम पाया. आज भारत के अधिकतर प्रमुख मीडिया प्रोफेशनल की जड़ें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ईनाडु या ईटीवी से जुड़ी हैं. इस तरह से ये यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि शायद ही कोई भारतीय पत्रकार इन दोनों के प्रभाव से अछूता रहा हो.

रामोजी ग्रुप के संस्थापक रामोजी राव (ETV Bharat)
ईनाडु के संपादक के रूप में, रामोजी राव एक निडर योद्धा थे. उन्होंने प्रेस की आजादी पर कभी समझौता नहीं किया. जहां भी मीडिया के अधिकारों को चुनौती दी गई, उन्होंने जमकर लड़ाई लड़ी. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने उन प्रेस की स्वतंत्रताओं की रक्षा में खास भूमिका निभाई. गौर करें तो पत्रकारिता में उनका सफर ईनाडु से पहले ही अन्नदाता से शुरू हो गया था. अन्नदाता उनकी कृषि पृष्ठभूमि पर आधारित एक पत्रिका थी. इसने तेलुगु किसानों को दुनिया भर की कृषि संबंधी जानकारी दी.
पत्रकारिता में ईनाडु ने अनगिनत नवाचार किए. इसने जिस तरह से टेलीविजन मीडिया को नया रूप दिया, वह बेमिसाल है. ईनाडु घर-घर में सुबह की कॉफी के साथ पढ़ने, रात के खाने के दौरान ईटीवी समाचार देखने का चलन बन गया. ये सब तेलुगु घरों में एक आदत बन गई है. ईटीवी के 24 घंटे के समाचार चैनलों ने सनसनीखेज खबरों से मुक्त, वास्तविकता के करीब रहते हुए एक अनूठी शैली बनाए रखी. ईटीवी अभिरुचि, ईटीवी हेल्थ, ईटीवी लाइफ, ईटीवी प्लस और सिनेमा जैसे चैनलों ने विविधता को जोड़ा. ईटीवी बाल भारत ने बच्चों तक ज्ञान पहुंचाया. रामोजी राव ने पूरे भारत में क्षेत्रीय भाषा के चैनलों की शुरुआत की और ईटीवी और ईटीवी भारत (Etv Bharat) के माध्यम से एक मजबूत समाचार नेटवर्क बनाया.
रामोजी राव का दिल तेलुगु भाषा के लिए धड़कता था. वे इसके आधुनिक युग के समर्थक थे. अंग्रेजी के बढ़ते प्रभुत्व के दौर में, उन्होंने प्रिंट और प्रसारण के माध्यम से शुद्ध तेलुगु भाषा को बढ़ावा दिया. मासिक पत्रिकाएं विपुला और चतुरा ने आसानी से समझ में आने वाली भाषा में साहित्य और कहानियां पेश कीं. उन्होंने तेलुगु वेलुगु, बाला भारतम प्रकाशित किया. इतना ही नहीं एक तेलुगु बोलचाल का शब्दकोश भी जारी किया. उन्होंने सिनेमा कवरेज के लिए सितारा पत्रिका और अंग्रेजी समाचार पत्र न्यूजटाइम भी चलाया.
जनता की प्रतिक्रिया उनके लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण थी. उन्होंने व्यक्तिगत रूप से आलोचनाओं का जवाब दिया. मान्य आलोचनाओं को स्वीकार किया और गलतियों को सुधारा. हजारों लोग आज भी उनके हस्ताक्षर वाले पत्रों को संभाल कर रखे हुए हैं. उन्होंने स्टाफ के इनपुट पर भी उतना ही ध्यान दिया और विस्तृत रिपोर्ट में हर शब्द को पढ़ा और उसका विश्लेषण किया, ताकि विचारों के छिपे हुए रत्नों को उजागर किया जा सके.

रामोजी ग्रुप के संस्थापक रामोजी राव (ETV Bharat)
चिट फंड व्यवसाय को कॉर्पोरेट मानकों तक पहुंचाने में रामोजी राव का बड़ा योगदान रहा. वर्ष 1962 से उनकी कंपनी मार्गदर्शी ने दक्षिण भारत में लाखों लोगों की सेवा की है. मार्गदर्शी आज देश में नंबर 1 चिट फंड कंपनी है. यहां तक कि जब राजनीतिक शक्तियों ने इसे गलत तरीके से निशाना बनाया, तब भी वे दृढ़ रहे. ऐसे दौर में जब अफवाहों के कारण वित्तीय संस्थान ढह रहे थे, मार्गदर्शी और रामोजी राव पर लोगों का भरोसा अडिग रहा, जो अद्वितीय था.
खाद्य उद्योग (Food Industry) में उनका योगदान भी उतना ही महत्वपूर्ण था. प्रिया पिकल्स (Priya Pickles) ने एक पारंपरिक घरेलू उत्पाद को वैश्विक निर्यात ब्रांड में बदल दिया. विशाखापत्तनम में डॉल्फिन होटल के माध्यम से आतिथ्य क्षेत्र में उनके प्रवेश ने नए मानक स्थापित किए. वर्षों से आधुनिकीकरण के साथ डॉल्फिन इस क्षेत्र में सबसे बेहतरीन में से एक बन गया. इसके जरिए रामोजी फिल्म सिटी के मेहमानों की मेजबानी भी की.
फिल्म सिटी की बात करें तो यह रामोजी राव का ड्रीम प्रोजेक्ट था. शहर से दूर बंजर, पथरीली जमीन पर बना यह शहर सिनेमाई उत्कृष्टता का वैश्विक प्रतीक बन गया है. “यहां स्क्रिप्ट लेकर आएं, फाइनल प्रिंट लेकर जाएं”, यह वादा RFC (Ramoji Film City) में हकीकत बन गया. 3,000 से अधिक फिल्मों की मेजबानी करने वाले इस केंद्र ने दुनिया के सबसे बड़े फिल्म निर्माण केंद्र के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपनी जगह बनाई है. यहां फिल्म ही नहीं धारावाहिक और वेब सीरीज का भी निर्माण होता है. आज, हर साल लगभग 15 लाख पर्यटक रामोजी फिल्म सिटी (RFC) घूमने आते हैं. ये आरएफसी हैदराबाद के मुकुट में एक रत्न की तरह है.
रामोजी ने 1983 में उषा किरण मूवीज के साथ फिल्म निर्माण को फिर से परिभाषित किया. इसमें संदेश-संचालित, संपूर्ण मनोरंजन पर ध्यान केंद्रित किया गया. मयूरी, मौनपोरतम और प्रतिघातना जैसी उनकी फिल्मों ने इतिहास रचा. चित्रम और नुव्वे कावली ने साबित कर दिया कि कम बजट की फिल्में भी बड़ी सफलता अर्जित कर सकती हैं. उन्होंने सैकड़ों नए फिल्मी सितारों और तकनीशियनों को पेश किया. ईटीवी विन (ETV WIN) के लॉन्च के साथ उनका समूह सफलतापूर्वक OTT में प्रवेश कर गया. और आज ये ग्रुप E-FM भी चलाता है.
“कठिन” और “असंभव” जैसे शब्दों के लिए रामोजी की शब्दावली में कोई जगह नहीं थी. उनका मानना था कि चुनौतियों के बिना जीवन अधूरा है. उन्होंने चुनौतियों का डटकर सामना किया और सभी को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया. उनका ये जादू ही था कि उनके एक ही भाषण से, आलसी मेहनती और शर्मीले लोग आत्मविश्वासी वक्ता बन जाते थे. उनका मानना था कि दृढ़ता डिग्री से अधिक महत्वपूर्ण है. अगर उन्हें किसी में कोई चमक दिखाई देती, तो वे उसे पोषित करते और निखारते थे. उनका नेतृत्व अपने आप में एक प्रबंधन विद्यालय था. उनका मार्गदर्शन मास्टर क्लास था.
रामोजी राव कभी न थकने वाले विचारक थे. उन्होंने जीवन में आए अवसरों को भुनाया. प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना बड़े ही संयम और धैर्य से किया. इसके साथ ही खुद को एक विशाल वट वृक्ष में बदल दिया. इस तरह से उनके द्वारा बनाए गए इस बरगद के पेड़ ने हजारों लोगों को आश्रय दिया. लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. आधी सदी से अधिक समय तक तेलुगु राजनीति, मीडिया और समाज पर उनका प्रभाव बेमिसाल है और ये आगे भी जारी रहेगा. उन्होंने अपने 6 दशक के उद्यमशीलता के सफर के दौरान हजारों परिवारों को प्रभावित करते हुए एक व्यापारिक साम्राज्य खड़ा किया. केवल कुछ ही भारतीय व्यवसायी ऐसे हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में इतनी व्यापक छाप छोड़ी है. रामोजी राव के विविध क्षेत्रों में किए गए उनके योगदान के सम्मान में भारत सरकार ने उन्हें साल 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. इसके अलावा भी उन्हें कई अवॉर्ड मिले थे.
रामोजी राव एक कर्मयोगी थे. जहां भी परिवर्तन हुआ, उन्होंने वहीं अपना उत्थान किया. जहां भी अंधकार छाया, उन्होंने ज्ञान का दीपक जलाया. उन्होंने सिर्फ जीवन ही नहीं, बल्कि विरासत (Legacy) भी दी है. बीते साल 8 जून 2024 को 87 साल की उम्र में वो परलोक सिधार गए. मगर लाखों-करोड़ों लोगों में वो जान फूंक गए हैं और आगे भी फूंकते रहेंगे.
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