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पतंजलि समूह के डायरेक्टर को पासपोर्ट मामले में नहीं मिली राहत, HC ने केंद्र-राज्य सरकारों से मांगा जवाब


नैनीताल हाईकोर्ट (File Photo- ETV Bharat)

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पतंजलि समूह के डायरेक्टर राम भरत का पासपोर्ट जारी करने के मामले पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने उनको कोई राहत नहीं दी. अदालत ने उनसे कहा कि निचली अदालत में इसको जारी करने के लिए आवेदन करें.

पतंजलि समूह के डायरेक्टर के पासपोर्ट जब्ती मामले पर सुनवाई: इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई हेतु कोर्ट ने 12 जनवरी 2026 की तिथि नियत की है. सोमवार को हुई सुनवाई पर अपोजिशन की तरफ से कहा गया कि इनके खिलाफ एक धारा 302 का मुकदमा वर्ष 2019 से एडीजे कोर्ट हरिद्वार में विचाराधीन है, जिसका ट्रायल चल रहा है. इसलिए अपने पासपोर्ट को रिलीज कराने के लिए उन्हें वहीं प्रार्थना पत्र देना चाहिए.

पतंजलि समूह के डायरेक्टर का प्रार्थना पत्र निरस्त: 2019 में जारी विदेश मंत्रालय की अधिसूचना में स्पष्ट प्रावधान हैं कि यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज है, तो वह अपने पासपोर्ट को रिलीज कराने के लिए उसी कोर्ट में आवेदन कर सकता है, न कि किसी अन्य कोर्ट में. जबकि इसकी पुष्टि एसएसपी हरिद्वार की रिपोर्ट में भी हुई है. जिसकी वजह से एडीजे कोर्ट ने उनका आवेदन निरस्त कर दिया था.

राम भरत ने एडीजे कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी: सोमवार को एडीजे कोर्ट के आदेश को याचिकाकर्ता की तरफ से उच्च न्यायलय में चुनौती दी गयी थी. चुनौती देती याचिका में कहा गया कि उनका पासपोर्ट रिलीज कराने का आदेश संबंधित विभाग को दिया जाए.

पतंजलि समूह के डायरेक्टर ने ये तर्क रखा था: मामले के अनुसार पतंजलि ग्रुप के डायरेक्टर राम भरत ने उच्च न्यायलय में याचिका दायर कर कहा है कि उनका पासपोर्ट, पासपोर्ट विभाग द्वारा बिना किसी कारण के जब्त कर दिया गया है. उनको कंपनी के जरूरी कार्यों के लिए बाहर जाना पड़ता है. जब से पासपोर्ट जब्त हुआ है, कंपनी के कई कार्य नहीं हो पा रहे हैं. लिहाजा उनका पासपोर्ट रिलीज कराने के आदेश दे दिए जाएं.

हाईकोर्ट ने नहीं माना तर्क: इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उनके प्रार्थना पत्र को निरस्त करते हुए कहा है कि इसके लिए वे संबंधित कोर्ट में आवेदन कर सकते हैं. क्योंकि उनके खिलाफ संबंधित कोर्ट में 302 का एक मुकदमा वर्ष 2019 से विचाराधीन है. इसलिए मामले में केंद्र सरकार व राज्य सरकार चार सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करें.
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