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बर्फबारी नहीं होने से काली दिख रही हैं पंचाचूली की चोटियां! वैज्ञानिकों ने बताया ये कारण


बर्फबारी न होने से हिमालय के कई हिस्सों में इन दिनों काले पर्वत दिख रहे हैं. (ETV Bharat)

पिथौरागढ़: इन दिनों उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में सुबह-शाम जहां हाड़ कंपा देने वाली ठंड पड़ रही है, वहीं दिन में चटक धूप निकल रही है. इस धूप से हिमालयी चोटियों की बर्फ तेजी से पिघल रही हैं. पंचाचूली चोटी सहित हिमालय के कई हिस्सों में इन दिनों काले पर्वत दिखाई दे रहे हैं. पिछले सप्ताह तक पंचाचूली की चोटी बर्फ से ढकी थी. अब चोटी से कुछ नीचे बर्फ पिघल चुकी है, और इस वजह से सालभर बर्फ की सफेद चादर से ढकी रहने वाली पिथौरागढ़ में स्थित हिमालय की 5 प्रमुख चोटियां अब काली पड़ने लगी हैं.

बर्फबारी नहीं होने से पहाड़ हुए काले: ग्लोबल वार्मिंग का असर इतना बढ़ गया है कि समुद्र तल से 6,334 मीटर से लेकर 6,904 मीटर ऊंचाई पर स्थित हिमालयन रेंज में स्थित पंचाचूली की चोटियां बर्फ विहीन हो गई हैं. हिमपात नहीं होने और दिन में धूप की तपिश से बर्फ तेजी से पिघल रही है. पंचाचूली की मुख्य चोटी के कुछ ही हिस्से में ही बर्फ दिखाई दे रही है. चार अन्य चोटियों की बर्फ पिघल चुकी है. इसके अलावा नेपाल तक के हिमालयी क्षेत्र की चोटियां भी काली दिखाई दे रही हैं.

पिथौरागढ़ में पंचाचूली की चोटियां बर्फ विही दिख रही हैं (Video- ETV Bharat)

पहाड़ों पर बर्फ नहीं दिखने से प्रकृति प्रेमी पर्यटक निराश: इससे पर्यावरण प्रेमी और पर्यटक निराश हैं. सफेद चमकती चोटियों का यह बदलाव केवल उत्तराखंड के पर्वतीय सौंदर्य का संकट नहीं, बल्कि एक गहरे जलवायु संकट की ओर संकेत करता है. पिछले कई वर्षों से हिमालय में मौसम चक्र परिवर्तन होने से समय पर हिमपात नहीं हो रहा है. अक्टूबर माह से जनवरी तक सफेद चादर में लिपटी रहने वाली इन चोटियों में हिमपात फरवरी अंतिम सप्ताह से लेकर अप्रैल तक हो रहा है. इसके चलते बर्फ जम नहीं पा रही है.

Panchachuli peaks Looking black

पहले नवंबर में पंचाचूली की चोटियां बर्फ से ढकी रहती थीं (Photo- ETV Bharat)

पर्यावरण विदों ने बताया कि धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिसकी वजह से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहाड़ों पर पहले की तुलना में बर्फबारी और बारिश में कमी दर्ज की जा रही है. सर्दियों में बारिश कम होने से वातावरण में गर्मी बढ़ रही है और बर्फ को जमने का कम समय मिल रहा है. इसी कारण ग्लेशियरों के पिघलने की दर तेजी पकड़ रही है.

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बर्फबारी नहीं होने से पंचाचूली की चोटियां काली दिखने लगी हैं (Photo- ETV Bharat)

नहीं गिर रही है बर्फ: पिछले दो-तीन दशकों में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में निर्माण कार्य बहुत बढ़े हैं. हिमालय तक सड़कों का पहुंचना, कार्बन उत्सर्जन बढ़ना और बुग्यालों को होने वाला नुकसान, ये सभी कारण बर्फ पिघलने की प्रक्रिया को तेज कर रहे हैं. वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी का सीधा असर यहां पड़ रहा है.

इस समय वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) सक्रिय नहीं है, जिसके कारण बारिश और बर्फबारी नहीं हो रही है. पश्चिमी विक्षोभ सर्दियों में उत्तर भारत में बारिश व बर्फबारी कराता है. इसके सक्रिय न होने से मौसम शुष्क बना हुआ है और निकट भविष्य में भी बदलाव के आसार कम हैं.

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पंचाचूली की सिर्फ एक चोटी पर बर्फ दिख रही है (Photo- ETV Bharat)

बर्फबारी नहीं होने से माइग्रेशन का समय भी बदला: पिथौरागढ़ के धारचूला और मुनस्यारी के सैकड़ों परिवार हर साल माइग्रेशन पर अपने मूल गांवों में जाते हैं. अप्रैल में बर्फ पिघलने पर पशुओं के साथ उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जाते हैं. पहले यह परिवार वहां पर खेती करने के बाद अक्टूबर अंतिम सप्ताह तक लौट आते थे. पिछले कुछ सालों से बर्फबारी देरी से होने के कारण माइग्रेशन की अवधि भी बढ़ गई है.

धारचूला की दारमा, व्यास और मुनस्यारी के मल्ला जोहार के अब कई परिवार नवंबर अंतिम सप्ताह में घाटियों की ओर लौट रहे हैं. वहीं बर्फ के पहाड़ को देखने के लिए पहुंच रहे पर्यटक भी हिमालय में बर्फबारी नहीं होने से निराश हैं, जिससे पर्यटन पर भी प्रभाव पड़ रहा है.

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कम बर्फ बारी के कारण पहाड़ों की चोटियां बेरंग दिख रही हैं (Photo- ETV Bharat)

पूर्व डायरेक्टर-इंस्टीट्यूट ऑफ अर्थ एंड एनवायर्नमेंटल साइंसेज, डॉ. राममनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी, अयोध्या, और मेंबर-इंडियन साइंटिफिक एक्सपीडिशन टू अंटार्कटिका एंड आर्कटिक के तौर पर काम कर चुके पर्यावरण प्रदूषण और प्रबंधन वैज्ञानिक प्रोफेसर जसवंत सिंह ने बताया कि,

बर्फ विहीन पहाड़ों के काला दिखने के तीन कारण हो सकते हैं. पहला- ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ पिघलने इसका कारण हो सकता है. दूसरा- वायु प्रदूषण के वेस्ट पार्टिकल पहाड़ पर होने से वो काले दिख सकते हैं. तीसरा- पूरी दुनिया में ग्लेशियर पिघल रहे हैं, इस कारण पहाड़ बर्फ विहीन यानी खाली हो रहे हैं. पहाड़ों पर लगी काई जो एक तरह की वनस्पति है उसके काले पड़ने से भी पहाड़ ऐसे दिख रहे होंगे.
– प्रोफेसर जसवंत सिंह, पर्यावरण प्रदूषण और प्रबंधन वैज्ञानिक –

प्रोफेसर जसवंत सिंह आगे बताते हैं कि, अंटार्कटिका में अभियान के दौरान उन्होंने देखा कि गर्मियों के दौरान बर्फ पिघलने के कारण वहां कुछ पर्वत शिखर चट्टानों की तरह काले हो जाते हैं. सर्दियों में यही पर्वत शृंखलाएं फिर से पूरी तरह बर्फ से ढक जाती हैं और फिर से सफेद दिखाई देती हैं. उन्होंने बताया कि, अंटार्कटिक पर्वत शिखरों को बर्फ के बगैर भी देखा है, क्योंकि क्लाइमेट चेंज के कारण सारी बर्फ पिघल गई है. दरअसल, क्लाइमेट चेंज की वजह से ग्लेशियर पिघलते हैं और बर्फ स्थायी रूप से हट जाती है. कभी-कभी छोटी वनस्पतियों के बिखरे हुए पैच के साथ बंजर चट्टानें देखी जा सकती हैं.

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ग्लोबल वार्मिंग ने पहाड़ों का सौंदर्य छीना (Photo- ETV Bharat)

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