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देश में जनगणना को लेकर अधिसूचना जारी, उत्तराखंड में शिक्षक खुद को कर रहे अलग, जानिए क्यों?


देहरादून: भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने जनगणना को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है. इसके तहत देश में जनगणना 2027 से शुरू की जाएगी. हालांकि, कुछ राज्यों के क्षेत्रों में समय बदला गया है. ये उन राज्यों के क्षेत्र हैं, जो हिमाच्छादित रहते हैं. इधर, उत्तराखंड में पहले ही शिक्षक संगठन जनगणना से उन्हें अलग रखे जाने की मांग कर रहा है.

साल 2011 में हुई थी आखिरी जनगणना: बता दें कि देश में साल 2011 में जनगणना हुई और इसके बाद अब तक नहीं जनगणना नहीं हो पाई है. हालांकि, 2021 में 10 साल बाद जनगणना होनी थी, लेकिन कोरोना (Covid 19) के चलते इस प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सका. ऐसे में अब भारत सरकार अगली जनगणना की तैयारी कर रही है. इसके लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने अब अधिसूचना जारी की है.

अधिसूचना के अनुसार भारत की जनसंख्या की जनगणना साल 2027 के दौरान की जाएगी. पूरे देश में जनगणना का काम शुरू किया जाएगा. इसके लिए 1 मार्च 2027 से जनगणना (Census) शुरू किए जाने के लिए अधिसूचना जारी हुई है. हालांकि, यह पूरे देश में लागू होगा, लेकिन कुछ राज्यों के विशेष क्षेत्रों के लिए अलग समय तय किया गया है.

जनगणना को लेकर अधिसूचना (फोटो सोर्स- Home Ministry)

इन राज्यों में 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी जनगणना: देश में पर्वतीय राज्यों के कुछ इलाकों के लिए गैजेट यानी अधिसूचना में अलग समय तय किया गया है. इसमें संघ राज्य क्षेत्र लद्दाख, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के अलावा उत्तराखंड के हिमाच्छादित क्षेत्र के लिए 1 अक्टूबर 2026 से जनगणना शुरू की जाएगी.

उत्तराखंड में शिक्षकों ने की ये अपील: उधर, दूसरी तरफ उत्तराखंड के शिक्षक पहले ही जनगणना से किनारा करते हुए नजर आए हैं. शिक्षक संगठनों की मांग रही है कि सरकार शिक्षकों से केवल टीचिंग का काम ही कराए और जनगणना का काम उनसे ना लिया जाए.

“इसके लिए पहले ही विभाग और सरकार के सामने बात रखी जा चुकी है और शिक्षकों से केवल शैक्षणिक कार्यों को कराए जाने की मांग की गई है. जनगणना के काम में काफी वक्त लगता है और इससे शैक्षणिक कार्य भी प्रभावित होते हैं. इसलिए शिक्षकों को जनगणना से अलग रखना चाहिए.” – राम सिंह, राजकीय शिक्षक संघ

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