देहरादून: बीते कुछ दिनों से तोता घाटी में पड़ीं चौड़ी-गहरी दरारें सुर्खियों में हैं. गढ़वाल की ‘लाइफ लाइन’ कही जाने वाली तोता घाटी को लेकर भू-वैज्ञानिक भी चिंतित है. अब इस पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का बयान भी आया है. तोता घाटी खबर पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा उत्तराखंड में तोता घाटी जैसे और भी कई ऐसी जियोलॉजिकल साइट हैं जहां पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है.
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा तोता घाटी उत्तराखंड के लिए पिछले कई सदियों से एक बड़ा चैलेंज रहा है. आने वाले भविष्य के लिए भी प्रदेश के लिए बहुत बड़ा चैलेंज है. उन्होंने कहा राज्य सरकार को इसके वैकल्पिक स्वरूप पर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा अभी से अगर इसके समाधान के बारे में सोचा जाएगा तो यदि भविष्य में हमारे पास एक प्लान B होगा. उन्होंने कहा यह कई मायनों में बेहद चिंता का विषय है. उन्होंने कहा तोता घाटी सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण मार्ग है.
तोता घाटी पर त्रिवेंद्र रावत का बयान (ETV BHARAT)
कोटद्वार दुग्गडा मार्ग पर भी तोता घाटी जैसे हालात: त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा उत्तराखंड में दो ऐसे बड़े दर्रे हैं जो पहाड़ को मैदान से जोड़ते हैं. एक यहां ऋषिकेश तोता घाटी होते हुए देवप्रयाग जाने वाला मार्ग है. वहीं, दूसरा रामनगर में मौजूद है. इसके अलावा कोटद्वार वाले मार्ग को भी हम एक छोटा दर्रा मान सकते हैं. कोटद्वार वाला मार्ग भी आज बड़ी चुनौतियों से घिरा हुआ है. उन्होंने बताया कोटद्वार और दुगड्डा के बीच में सड़क मार्ग है वहां पर चट्टान कम, बोल्डर ज्यादा संख्या में हैं. धीरे-धीरे वह बोल्डर नीचे की तरफ स्लाइड कर रहे हैं. उन्होंने कहा वहां पर हर साल कुछ ना कुछ भौगोलिक गतिविधियां होती रहती हैं. उन्हें डर है कि भविष्य में कोई बड़ा भौगोलिक बदलाव यहां पर ना हो. उन्होंने कहा हमें तोता घाटी की तरह इस जगह पर भी इस तरह से एक रिपोर्ट बनानी चाहिए.
तोता घाटी के बारे में जानिये (ETV BHARAT)
उत्तरकाशी का सुखी टॉप भविष्य की चुनौती: इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा चारधाम यात्रा मार्ग पर उत्तरकाशी जिले में पड़ने वाला सुखी टॉप भी आने वाले भविष्य के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकता है. उन्होंने कहा हर्षिल वैली बेहद सुंदर और मनमोहक है. यहां 1750 में हुई एक भौगोलिक घटना के बाद ऐसा हुआ है. उन्होंने बताया 1750 में उत्तरकाशी के सुखी टॉप में एक पूरा पहाड़ खिसक कर नीचे आया. उसने भागीरथी का प्रभाव रोक दिया. इसके बाद घाटी में मलबा पहाड़ों का ऊपर से आया. वह जमने लगा. उसके बाद वहां पर मलबे का मैदान सा बन गया. समय के साथ-साथ इसने एक समतल भूमि का रूप ले लिया. उन्होंने कहा सुखी टॉप पर आज भी लगातार पिछले कुछ सालों से भौगोलिक गतिविधियां देखी जा रही हैं. उन्होंने कहा यहां लगातार हिम खंडों के साथ खिसक कर नीचे आ रहा है.

तोता घाटी (ETV BHARAT)
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा हमें अभी से इनके समाधान को लेकर रणनीति बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा यह सभी हमारी बॉर्डर एरिया को कनेक्ट करते हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा सबसे पहले हमें वैकल्पिक समाधानों के बारे में सोचना चाहिए.
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