देहरादून: उत्तराखंड में भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की कमी किसी से छुपी नहीं है. इस बीच नई चिंता अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति को लेकर है. कुछ अधिकारी प्रतिनियुक्ति की समय सीमा खत्म होने के बाद भी लौटना नहीं चाहते हैं. वहीं, कुछ ऐसे अधिकारी हैं जो प्रतिनियुक्ति को लेकर आवेदन कर रहे हैं.
प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन करने वाले अधिकारी: उत्तराखंड में IFS कैडर के अधिकारियों की बेहद कमी है. नई परेशानी इस बात को लेकर है कि बड़ी संख्या में अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर बने हुए हैं. हाल ही में एपीसीसीएफ स्तर के अधिकारी निशांत वर्मा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए हैं, जबकि पहले से ही प्रतिनियुक्ति पर मौजूद अधिकारी अपनी सेवा को बढ़ाने के इच्छुक हैं. IFS चंद्रशेखर सनवाल भी इन्हीं में से एक हैं. चंद्रशेखर सनवाल डिप्टी CEO, NMPB पद से प्रतिनियुक्ति पूरी कर राज्य में वापस लौटे हैं. उन्होंने एक बार फिर केंद्र में ICFRE के लिए प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन किया है. IFS बीके गांगटे भी केंद्रीय प्रति नियुक्ति पर हैं. उन्होंने केंद्र में ही दूसरे पद के लिए प्रतिनियुक्ति के लिए इच्छा जाहिर की है. इसी तरह उत्तराखंड में IFS एसपी सुबुद्धि ने भी WII में निदेशक पद के लिए प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन किया है.
संजीव चतुर्वेदी का केंद्रीय इंपैनल नहीं हुआ मंजूर: IFS संजीव चतुर्वेदी ने भी केंद्र में JS के लिए इंपैनल का आवेदन किया था. केंद्र ने उनके इस आवेदन को नामंजूर कर दिया है. इसके कारण संजीव चतुर्वेदी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं जा पाएंगे.
सीनियर IFS अफसरों के पास एक से ज्यादा जिम्मेदारी: प्रदेश में आईएफएस अधिकारियों की कमी है. खासतौर पर सीनियर लेवल पर राज्य के पास अधिकारी मौजूद नहीं हैं. शायद यही कारण है कि विभिन्न अधिकारियों को एक से ज्यादा जिम्मेदारियां का निर्वहन करना पड़ रहा है. खुद प्रमुख वन संरक्षक हॉफ के पास एक से ज्यादा जिम्मेदारी है. वह वन विभाग के मुखिया के अलावा कैंपस की जिम्मेदारी भी देख रहे हैं. बड़ी बात यह है कि विभाग में ऐसे कई अधिकारी हैं जो राज्य प्रतिनियुक्ति के पद पर हैं लेकिन उन्हें वन विभाग में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है.
विभाग में कुछ अधिकारी तो ऐसे हैं जिनके पास 4 से 5 महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हैं. कुल ढांचे को देखें तो भारतीय वन सेवा का राज्य में 112 का ढांचा है. जिसमें से अभी राज्य में केवल 66 IFS अधिकारी ही तैनात हैं. इसमें से 6 अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. आठ अधिकारी राज्य प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए हैं. उधर दूसरी तरफ राज्य प्रतिनिधि पर पिछले लंबे समय से रहने वाली नीना ग्रेवाल को अभी बाध्य प्रतिक्षा में रखा गया है. इस तरह राज्य में अभी कुल 52 भारतीय वन सेवा के अधिकारी विभिन्न पदों पर काम कर रहे हैं.
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