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बस एक कागज ने पंचायत चुनाव पर कराई सरकार की किरकिरी! नैनीताल रवाना हुआ यह डॉक्यूमेंट, कल कोर्ट में होगा पेश


धीरज सजवाण, देहरादून: उत्तराखंड में इस समय पंचायत चुनाव होगा या नहीं? ये सबसे बड़ा सवाल है तो वहीं सरकार की तरफ से दलील दी जा रही है कि हाईकोर्ट ने जिस कागज के न होने के चलते चुनाव प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया है, उस कागज को आज ही नैनीताल भेज दिया गया है. जिसे कल कोर्ट में पेश किया जाएगा.

उत्तराखंड में कल तक जहां पंचायत चुनाव को लेकर के सियासी पारा हाई था तो वहीं आज सुबह-सुबह नैनीताल हाईकोर्ट से आई एक खबर में पंचायत चुनाव के सारे जोश को ठंडा कर दिया. दरअसल, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जहां राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में आचार संहिता लागू कर दी थी तो 25 जुलाई से नॉमिनेशन प्रक्रिया शुरू होनी थी, लेकिन चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही आरक्षण सूची में आपत्तियों का मामला कोर्ट जा पहुंचा था.

आरक्षण की अधिसूचना पर फंसा था पेंच: इधर, राज्य निर्वाचन आयोग अपनी चुनाव की तैयारी में लगा था, लेकिन चुनाव की अधिसूचना से पहले पंचायती राज विभाग की ओर से 14 जून को जारी की गई आरक्षण की अधिसूचना पर अब भी कुछ पेंच फंसा हुआ था. जिस पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी.

इसी सुनवाई को लेकर 23 जून को हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर जारी की गई अधिसूचना में कुछ खामियां बताते हुए चुनाव प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया. इसके बाद पूरे प्रदेश भर में पंचायत चुनाव पर लगे स्टे की खबर आग की तरह फैल गई. नैनीताल हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया तो निश्चित तौर से सरकार के भी हाथ पांव फूल गए.

जानकारी की जुटाई गई कि आखिर क्यों कोर्ट ने इस तरह का फैसला लिया है? जिस पर पंचायती राज सचिव ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि कोर्ट ने आरक्षण की अधिसूचना को लेकर जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन की ओरिजिनल प्रति न होने के चलते सरकार के आरक्षण अधिसूचना पर सवाल खड़े किए हैं.

सरकारी गजट (फोटो सोर्स- Government Official)

कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अधिसूचना जारी हुई तो उसका गजट नोटिफिकेशन कहां है? यानी की साफ है कि सरकार के वकील की अधूरी तैयारी ने एक तरफ जहां कोर्ट में सरकार की किरकिरी कराई तो दूसरी तरफ पूरे प्रदेश भर में पंचायत चुनाव के लिए दम भर रहे लोगों में भी यह एक निराशा का विषय बन गया.

“विभाग की ओर से 14 जून को ही जिस दिन आरक्षण सूची जारी की गई थी, उस दिन ही अधिसूचना जारी कर इसे रुड़की सरकारी प्रेस में छपने के लिए भेज दिया था, लेकिन कुछ जरूरी फाइल कॉपी छपने के बाद बड़ी संख्या में जो गजट नोटिफिकेशन छपता है, जो कि हर जगह सर्कुलेट किया जाता है और इसकी संख्या तकरीबन हजार कॉपी में होती है, वो नहीं छप पाई थी.” – चंद्रेश यादव, सचिव, पंचायती राज उत्तराखंड

उत्तराखंड पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव की मानें तो सरकारी वकील की भूल से भी स्टे लगा. जानिए उन्होंने आगे क्या कहा?

“सरकारी वकील की ओर से भी कोर्ट में सरकार की जारी की गई अधिसूचना की कॉपी जमा कराई गई. जबकि, कोर्ट में जन सामान्य के लिए जारी होने वाले गजट नोटिफिकेशन की प्रति जमा करनी होती है. कोर्ट को सरकारी वकील की ओर से गजट नोटिफिकेशन की प्रति जमा न होने के चलते कोर्ट ने इस पूरे मामले पर स्टे कर दिया और केवल यही एक बिंदु है, जिस पर कोर्ट ने स्टे दिया था.”– चंद्रेश यादव, सचिव, पंचायती राज उत्तराखंड

पंचायत राज सचिव चंद्रेश कुमार यादव का कहना है कि ‘रुड़की प्रेस से सत्यापित गजट नोटिफिकेशन की प्रति छाप कर नैनीताल हाईकोर्ट को भेज दी गई है और कल यह प्रति कोर्ट में पेश की जाएगी और माननीय न्यायालय से अपील की जाएगी कि प्रदेश में चुनाव की प्रक्रिया पर लगे स्टे को हटाकर चुनाव की प्रक्रिया को जारी रखें.

वहीं, इसके अलावा कुछ लोगों का ये भी मानना है कि गजट नोटिफिकेशन जब कोर्ट में जाएगा तो उस पर कोर्ट चर्चा करेगी, लेकिन विभागीय अधिकारियों का कहना है कि आरक्षण अधिसूचना को लेकर सरकार की ओर से कैबिनेट में फैसला लिया गया है. यह नियमावली सरकार की ओर से बनाई गई है. सरकार को इसे बनाने का अधिकार है, उम्मीद है कि इस पर हाईकोर्ट को किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं होगी.

गजट नोटिफिकेशन न छापने के पीछे किसकी लापरवाही है? इस पर जवाब देते हुए पंचायत राज सचिव चंद्रेश कुमार ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि सरकार के कई विभागों की अधिसूचनाओं को एक साथ रुड़की प्रेस में भेजा जाता है. रुड़की प्रेस जब कुछ गजट नोटिफिकेशन इकट्ठे हो जाते हैं तो एक साथ उन्हें छापती है, इस केस में भी 14 जून को ही रुड़की प्रेस में अधिसूचना भेज दी गई थी, लेकिन प्रेस की तरफ से छपने में देरी हुई है.

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