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जापानी मियावाकी तकनीक से पौधरोपण की होगी जांच, प्रस्ताव में खामियों पर वन मंत्री ने दिया आदेश


देहरादून: जापान की मियावाकी तकनीक का प्रस्ताव बड़ी गड़बड़ियों को लेकर चर्चा में हैं. मामला देहरादून और मसूरी डिवीजन का है. यहां इस तकनीक के जरिए पौधारोपण किया जाना था. लेकिन प्रस्ताव में ही बजटीय प्रावधान पर सवाल खड़े होने लगे, जिसके चलते अब ये पूरा प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है. बड़ी बात यह है कि विभागीय मंत्री ने भी अब इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं.

जापानी तकनीक से पौधारोपण पर होगी जांच: देहरादून और मसूरी डिवीजन में पौधारोपण का एक बड़ा प्रोजेक्ट फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है. मामला तब खुला जब अनुसंधान विंग में CCF संजीव चतुर्वेदी ने इससे जुड़ा पत्र वन मुख्यालय को भेज कर प्रोजेक्ट में किए गए बजटीय प्रावधान पर सवाल खड़े कर दिए. इसके बाद तो पूरे विभाग में हड़कंप मच गया और ये प्रोजक्ट रुकने की स्थिति में पहुंच गया.

प्रस्ताव में दिख रही खामियां: मसूरी वन विभाग में जापानी तकनीक मियावाकी के जरिए छह रेंजों में पौधा रोपण की योजना थी. इसमें करीब 4.5 करोड़ रुपए की लागत प्रस्तावित थी. बड़ी बात यह है कि इस प्रोजेक्ट में प्रस्तावित बजट को बेहद ज्यादा बताया गया. तकनीक के जरिए पूर्व में हुए कामों में इसे बेहद कम खर्च किए जाने की बात भी कही गई. जाहिर है कि यह बात सामने आते ही यह पूरा प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया और प्रस्तावित बजट को भी सरेंडर कर दिया गया.

रोका गया काम: इसी तरह देहरादून वन विभाग में भी 52.40 लाख रुपए खर्च करने का प्रस्ताव था, जिसे तकनीक के माध्यम से होने वाले पौधारोपण के लिए ज्यादा बताया गया. इसके बाद यह पूरी प्रक्रिया और प्रस्ताव ही संदेह के घेरे में आ गया और इस पर होने वाला काम भी रोक दिया गया.

वन मंत्री ने दिए जांच के आदेश: प्रकरण के सामने आने के बाद वन मंत्री सुबोध उनियाल ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. मामले की जांच कपिल लाल को दी गई है, जिसके जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है.

ठंडे बस्ते में जाएगा मियावाकी तकनीक का प्रस्ताव: हालांकि इस मामले में अभी जहां मसूरी वन विभाग में प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाने के कारण कोई वित्तीय नुकसान नहीं हुआ है, इसी तरह देहरादून वन प्रभाग में भी अभी यह प्रोजेक्ट शुरुआती चरण में है. माना जा रहा है कि अब यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाएगा और प्रस्ताव में ही आई गड़बड़ी के कारण इसे ठंडे बस्ते में जाना पड़ेगा.

वन मंत्री ने क्या कहा: इस मामले पर वन मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि-

प्रकरण उनके संज्ञान में आ गया है. इसके लिए उनकी तरफ से जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं. जल्द ही जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके अनुसार ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.
-सुबोध उनियाल, वन मंत्री, उत्तराखंड-

क्या है मियावाकी तकनीक: वनों के लिए मियावाकी पौधरोपण एक अनूठी तकनीक है. इस विधि में एक छोटे से क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के देशी वृक्षों को लगाया जाता है. ये बाद में एक घने और बहुस्तरीय जंगल में विकसित होता है. इस तकनीक का उद्देश्य एक ऐसा जंगल बनाना है, जिसमें उच्च स्तर की जैव विविधता हो. ये जैव विविधता जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करती है. मियावाकी तकनीक तेजी से जंगल विकसित करने की अपनी क्षमता के लिए जानी जाती है. इसमें पेड़ पारंपरिक जंगलों में पाए जाने वाले पेड़ों की तुलना में छोटे लेकिन चौड़े होते हैं. इसे जापान में अकीरा मियावाकी नामक वनस्पतिशास्त्री ने विकसित किया था, इसलिए इसे मियावाकी तकनीक कहते हैं.

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