नैनीताल: बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाले प्रभावितों को लेकर एक बार फिर से पुनर्विचार किया जाएगा. इस बार फोकस विशेष रूप से उन लोगों पर रहेगा, जो पहले हुए सर्वेक्षण में किसी कारणवश छूट गए थे. इन छूटे हुए परिवारों और व्यक्तियों के नामों की दोबारे जांच के लिए प्रशासन ने एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है.
नैनीताल अपर जिलाधिकारी शैलेंद्र नेगी ने जमरानी सिंचाई विभाग अधिकारियों के साथ बैठक कर कमेटी गठित की है. जिसमें नैनीताल एसडीएम, तहसीलदार और जमरानी सिंचाई खंड के अधिकारी शामिल हैं. यह कमेटी गांव-गांव जाकर भौतिक सत्यापन करेगी और उन सभी मामलों की जांच करेगी, जहां से शिकायतें मिली हैं कि वास्तविक प्रभावितों को पूर्व सूची में शामिल नहीं किया गया.
जमरानी बांध पुनर्वास और मुआवजे को लेकर बैठक (फोटो- ETV Bharat)
“कई ग्रामीणों की ओर से शिकायतें मिली हैं कि वे बांध के डूब क्षेत्र में आते हैं, लेकिन पहले सर्वे में उनका नाम नहीं जोड़ा गया. इसलिए ये तय किया गया है कि एक विशेष सत्यापन कमेटी बनाकर दोबारा सर्वेक्षण कराया जाए. ताकि, किसी भी पात्र व्यक्ति को योजना के लाभ से वंचित न रहना पड़े.”– शैलेंद्र नेगी, अपर जिलाधिकारी, नैनीताल
पात्रों का किया जाएगा भौतिक सत्यापन: अपर जिलाधिकारी शैलेंद्र नेगी का कहना है कि प्रशासन का प्रयास है कि पारदर्शिता के साथ न्यायपूर्ण ढंग से पुनर्वास और मुआवजे की प्रक्रिया को पूरा किया जाए. जो भी व्यक्ति भौतिक सत्यापन में पात्र पाए जाएंगे, उन्हें सूची में शामिल कर उन्हें नियमानुसार लाभ दिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि जमरानी क्षेत्र के करीब 25 स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि सत्यापन का कार्य समयबद्ध और निष्पक्ष तरीके से किया जाए. पिछले सर्वेक्षण में टीम जब गांव पहुंची थी, उस समय कुछ लोग बाहर काम पर थे, जिस कारण उनका नाम नहीं जुड़ सका.
जमरानी बांध परियोजना है खास: बता दें कि जमरानी बांध परियोजना कुमाऊं क्षेत्र की एक महत्त्वपूर्ण योजना है, जिससे हल्द्वानी, रुद्रपुर समेत पहाड़ क्षेत्रों को पेयजल और सिंचाई सुविधा मिल सकेगी. इसके साथ ही यह परियोजना ऊर्जा उत्पादन में भी सहायक होगी. गौला नदी पर बनने वाली जमरानी बांध परियोजना की लागत 3700 करोड़ रखी गई है.
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