देहरादून, किरनकांत शर्मा: इजराइल ईरान युद्ध को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है. दोनों देशों के बीच हो रहे युद्ध का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. इजराइल ईरान युद्ध से भारत के टूरिज्म सेक्टर पर असर पड़ा है. उत्तराखंड में हर साल इजराइल से हजारों टूरिस्ट ऋषिकेश पहुंचते हैं. युद्ध के कारण ये सब प्रभावित हुआ है.
ऋषिकेश में 70 फीसदी विदेशी इजराइल से ही आते हैं. युद्ध छिड़ने के बाद जो भी विदेशी टूरिस्ट ऋषिकेश में थे वह भी वापस लौट गए हैं. अब यहां पर काम करने वाले लोगों को यह लग रहा है कि अगर ऐसा ही रहा तो जुलाई, सितंबर, अक्टूबर और नवंबर का जो पीक सीजन होता था वह इस बार पूरी तरह से पिट जाएगा. पहले पहलगाम और अब इजरायल ईरान युद्ध ने यहां के बाजार बुरी तरह से प्रभावित हुये हैंं.
इजराइली टूरिस्ट (ETV BHARAT)
इजराइली योग और गंगा से करते हैं प्रेम: योग और अध्यात्म की विश्व राजधानी के रूप में प्रसिद्ध उत्तराखंड का ऋषिकेश, हर साल हजारों विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है. ऋषिकेश में इन दिनों इजरायली पर्यटकों की कमी है. इसका प्रमुख कारण इजरायल और ईरान के बीच चल रहा युद्ध है. ऋषिकेश में हर साल बड़ी संख्या में इजरायली पर्यटक योग, ध्यान, और आध्यात्मिक साधना के लिए आते हैं. लक्ष्मण झूला, राम झूला, जैसे क्षेत्रों में इनकी सबसे अधिक आमद रहती है. इन इलाको में इजरायली संस्कृति से प्रेरित कैफे, रेस्तरां, और गेस्ट हाउस उनकी पसंदीदा जगहें हैं.
प्रतीक ने इजराइल के 32 दौरे किये: ऋषिकेश में ज्योतिष और योग सेंटर चलाने वाले डॉ प्रतीक मिश्र पुरी कहते हैं वे साल 2000 से लेकर साल 2025 तक लगभग 32 बार इसराइल गये हैं. इस दौरान उनके कई शिष्य इजराइल में बने. हर साल लगभग 8 महीने ऐसे होते हैं जब इसराइल के लोग ऋषिकेश में समय बिताने के लिए आते हैं. यह लोग यहां पर योग धार्मिक गतिविधि के साथ-साथ अपने जीवन में कुछ आनंद लेने के लिए भी पहुंचते हैं.
प्रतीक मिश्र पुरी ने कहा इजराइल ईरान युद्ध छिड़ने के बाद इनकी संख्या शून्य हो गई है. उन्होंने बताया जो कुछ लोग यहां पर रुके हुए थे युद्ध की खबर मिलते ही तुरंत यहां से रवाना हो गए. ऋषिकेश में 70% अंग्रेज इजराइल से ही आते हैं. यहां के व्यापार को इनसे अच्छा खासा फायदा होता है.

गंगा घाट पर विदेश टूरिस्ट (ETV BHARAT)
ऋषिकेश पर पड़ रहा असर: प्रतीक इजराइली टूरिस्ट्स के बारे में गहरी जानकारी रखते हैं. वे बताते हैं ये किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करते. इजराइली अपनी और देश की बातें किसी से शेयर नहीं करते. ऋषिकेश में यह एक दो नहीं बल्कि पूरे समूह में घूमने आते हैं. इनका जब पूरा ग्रुप आता है तो होटल, रेस्टोरेंट या दुकान की अच्छी आमदनी होती है. यह सभी लोग इजरायली आर्मी से ताल्लुक रखते हैं.
इन्हें जैसे ही कुछ समय मिलता है तो ये ऋषिकेश, हरिद्वार, हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला, पर्वती वैली के अलावा गोवा, राजस्थान के पुष्कर में सबसे अधिक ट्रेवल करते हैं. उन्होंने बताया इजराइली सोच समझकर खर्चा करते हैं. आप इस बात का अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि ऋषिकेश में आने वाला एक फॉरेनर अपना बजट बनाकर लाता है. वह प्रतिदिन ₹4000 खर्च करता है. फिलहाल. इस युद्ध की वजह से ऋषिकेश में इजरायली फॉरेनर की संख्या जीरो हो गई है. अगर ऐसा ही रहा तो आने वाला सीजन पूरी तरह से पिट जाएगा.

योग के बारे में जानकारी लेते (ETV BHARAT)
इजराइल के लोगों को ऋषिकेश कितना पसंद है इस बात का अंदाजा आप ऐसे भी लगा सकते हैं कि आज ऋषिकेश में इजराइल के लोगों के लिए खास तरह के रेस्टोरेंट योगा सेंटर उन्हीं की भाषा में काम करने वाले लोग यहां पर बड़ी संख्या में आपको मिल जाएंगे. इजराइल में युद्ध छोड़ने के बाद इजरायली रेस्टोरेंट होटल में काम करने वाले लोग भी यहां से अपने-अपने राज्य और शहरों के लिए निकल गए हैं.
इजराइली टूरिस्टों के गाइड क्या बोले: इसी तरह से साल 2000 से लेकर साल 2005 तक इजराइली ग्रुप के साथ गाइड के रूप में काम कर चुके और मौजूदा समय में ट्रैवल एजेंसी चलाने वाले सचिन बताते हैं युद्ध के बाद हमें ढूंढने से भी एक भी फॉरेनर नहीं मिल रहा है. तीन दिन पहले एक फॉरेनर लक्ष्मण झूला क्षेत्र में जरूर मिली थी, जब मैंने उससे बात की तो मैंने पूछा कि तुम यहां पर कैसे हो? उसने बताया मैं जिस शहर में रहती हूं वहां की फ्लाइट पूरी तरह से बंद हो चुकी है, ना मैं इंडिया से सीधे दुबई जाकर इसराइल जा सकती हूं. उसने बताया मेरे देश के हालात फिलहाल ठीक नहीं हैं. अभी मेरे पास भारत में रुकने का समय है.
युद्ध नहीं रुका तो दो महीने बाद पड़ेगा बड़ा असर: ऋषिकेश में ही अंग्रेजों का सामान जनरल स्टोर चलाने वाले पंकज अरोड़ा कहते हैं जून और जुलाई में अंग्रेजों की संख्या कम ही रहती है. सीजन सितंबर,अक्टूबर,नवंबर और दिसंबर में सबसे अधिक होता है. हमें अभी का डर नहीं है. उन्होंने कहा अगर युद्ध नहीं रुका तो दो महीने बाद ऋषिकेश पर इसका बड़ा असर पड़ेगा.

इजराइली योग और गंगा से करते हैं प्रेम (ETV BHARAT)
स्थानीय योग केंद्र और आश्रम भी इस युद्ध से अछूते नहीं हैं. ऋषिकेश के अलग अलग जगह पर योग प्रशिक्षक का काम करने वाले आचार्य विक्रम कहते हैं इजरायली पर्यटक लंबे समय तक रुककर योग और ध्यान सीखते हैं. उनकी ऊर्जा और उत्साह हमारे केंद्र को जीवंत बनाते हैं. हमें लगता है कि आने वाले महीने में बुकिंग में भारी कमी आ जाएगी. अगर ऐसे ही युद्ध चलता रहा तो हमारा खर्च चलाना मुश्किल हो सकता है.
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर संकट: ऋषिकेश की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर है. इजरायली पर्यटकों की कमी होटल, गेस्ट हाउस, टूर ऑपरेटर, और स्थानीय दुकानदारों को प्रभावित कर सकी है. पहले पहलगाम, उसके बाद अब कांवड़, मानसून और फिर दो देशों का युद्ध, जिसका असर ऋषिकेश जैसे पर्यटक स्थल पर आसानी से देखा जा सकती है.
हर साल कितने विदेशी पहुंच रहे उत्तराखंड: पर्यटन विभाग के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि साल 2015 में 111094 विदेशी टूरिस्टट उत्तराखंड पहुंचे. साल 2016 में यह आंकड़ा 112799 रहा. साल 2017 की बात करें तो इस साल भी 142102 पर्यटक विदेशी धरती से उत्तराखंड पहुंचे. साल 2018 में 154526 टूरिस्ट उत्तराखंड आए. साल 2019 में 158964 टूरिस्ट उत्तराखंड पहुंचे. साल 2020 में 38763 टूरिस्ट उत्तराखंड पहुंचे. इसी तरह साल 2021 में 15410 अंग्रेज उत्तराखंड पहुंचे. साल 2022 में 64489, साल 2023 में 148412, साल 2024 176408 विदेशी टूरिस्ट उत्तराखंड पहुंचे.
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