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उत्तराखंड में 3 हादसों में 16 लोग लापता, मिलने की टूटती जा रही उम्मीद, तलाश आज भी जारी


किरनकांत शर्मा, देहरादून: उत्तराखंड में मानसून से लगातार हालात खराब हो रहे हैं. आलम ये है कि बीते 7 दिनों में अलग-अलग घटनाओं में कई लोगों की मौत हो चुकी है. अभी पूरी जुलाई की बारिश बाकी है. ऐसे में बारिश का यह तांडव अभी यह हाल कर रहा है तो आगे क्या होगा? इसको लेकर सरकार चिंता में है. उधर, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में हुए हादसों में 16 लोगों की तलाश अभी भी जारी है. दोनों ही जिलों में युद्ध स्तर पर लापता लोगों को बचाने का काम चल रहा है.

समय के साथ टूट रही है उम्मीद: बीती 26 जून को रुद्रप्रयाग जिले में घोलतीर के पास अलकनंदा में समाई बस का अभी तक एक पुर्जा भी नहीं मिला है. इसके साथ ही जो लोग बस हादसे का शिकार हुए हैं, उन 7 लोगों का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है. राहत और बचाव कार्य में टीम जुटी हुई है, लेकिन आसमान बार-बार इस रेस्क्यू ऑपरेशन का रास्ता रोक रही है.

अलकनंदा नदी में बढ़ते जलस्तर और मटमैला पानी के वजह से गोताखोरों के लिए अंदर तक जाना भी मुश्किल हो रहा है. शायद यही वजह है कि घटना के कई दिन बीत जाने के बाद भी बस और लापता लोगों का अता-पता नहीं लग पाया है.

रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने इस मामले में एक टीम का गठन तो किया है, लेकिन मौसम अगर ऐसा ही रहा तो चुनौतियां पेश आएंगी. अभी कुछ दिन और इसी तरह का ऑपरेशन प्रशासन को चलाना पड़ सकता है. इधर, जिला प्रशासन के ऊपर केदारनाथ यात्रा को सुरक्षित तरीके से संचालित कराने की भी बड़ी जिम्मेदारी है.

उत्तरकाशी में लापता मजदूरों की तलाश जारी (फोटो- Police)

मौसम दे रहा है चुनौती: डीएम प्रतीक जैन का कहना है कि मौसम खुलते ही केदारनाथ की यात्रा को शुरू कर दिया गया है, जो लोग दर्शन कर चुके हैं, उन्हें एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की निगरानी में नीचे उतारा जा रहा है.

कोशिश की जा रही है कि मौसम खराब होने पर यात्रा में जाने वाले श्रद्धालुओं को समझा कर रोका जाए. फिलहाल, जैसे ही बारिश की वजह से रास्ता बंद हो रहा है, वैसे ही खोल दिया जा रहा है. इसके लिए अनुभवी कर्मचारी हर उस जगह पर तैनात हैं, जहां पर इस तरह की घटना बार-बार हो रही है.

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बारिश से सड़कें बंद (फोटो- Police)

उत्तरकाशी जिले में भी चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन: उधर, बीती 23 जून को उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री धाम के पैदल मार्ग पर भूस्खलन हादसे में लापता दो लोगों की तलाश जारी है. जिनका अभी तक कोई अता-पता नहीं लग पाया है.

अब संभावना पूरी तरह से यही है कि यमुनोत्री के पैदल मार्ग पर हुए भूस्खलन में जो लोग लापता हुए हैं, वो नदी के तेज बहाव में बहकर आगे निकल गए हो. लिहाजा, अब जिला प्रशासन नदी पर नजर रखने के लिए राफ्टिंग में बैठकर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ गोताखोरों को लापता लोगों की तलाश में नदी में उतार दिया गया है.

उत्तरकाशी जिलाधिकारी प्रशांत कुमार आर्य के मुताबिक, यमुनोत्री पैदल मार्ग पर हुए हादसे में लापता दो लोगों की तलाश लगातार जारी है. इसके अलावा बड़कोट क्षेत्र के सिलाई बैंड में अतिवृष्टि (भूस्खलन) की चपेट में आए मजदूरों की तलाश भी की जा रही है. ये मजदूर रविवार तड़के भूस्खलन की वजह से लापता हो गए थे.

उत्तरकाशी सिलाई बैंड के पास लापता मजदूरों की तलाश जारी: बीती 29 जून को बड़कोट क्षेत्र के सिलाई बैंड के पास मजदूरों के कैंप भूस्खलन की चपेट में आ गया था. जहां 29 मजदूर रह रहे थे, जिनमें 20 मजदूर सुरक्षित बच गए. जबकि, बाकी 9 बह गए. जिनमें से 2 शव कल ही बरामद लिया गया था. जबकि, अभी भी 7 लोग लापता हैं.

वहीं, लापता लोगों के जीवित रहने की उम्मीद बेहद कम होती जा रही है. लापता लोगों की तलाश भी युद्ध स्तर पर की जा रही है. उत्तरकाशी जिले में बारिश से मार्ग बाधित हो रहे हैं. जिससे आवाजाही प्रभावित हो रही है. संबंधित विभाग मार्ग को खोलकर यात्रा में आए लोगों को वापस सुरक्षित स्थान पर लाने की कवायद में जुटा है.

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सड़क को खोलने का काम (फोटो- Police)

यात्रियों को निकालने का काम जारी: उप जिलाधिकारी बृजेश तिवारी के मुताबिक, उत्तरकाशी में जो मार्ग बंद हैं और जहां पर भूस्खलन की वजह से लोग लापता हुए हैं, दोनों ही जगह पर लगातार काम किया जा रहा है. बात अगर यात्रियों की जाए तो यमुनोत्री धाम में लगभग 500 श्रद्धालु अभी रुके हुए हैं. उन्हें होटल और अन्य जगहों पर रोका जा रहा है. जैसे ही मार्ग खुलेगा, वैसे ही सभी को सुरक्षित वापस लाया जाएगा.

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