रुद्रप्रयाग: हिमालय में सबसे ऊंचाई व चंद्रशिला की तलहटी में विराजमान तृतीय केदार तुंगनाथ धाम में तीर्थ यात्रियों का आंकड़ा धीरे-धीरे नया कीर्तिमान स्थापित करने जा रहा है. मंदिर समिति से मिली जानकारी के अनुसार तुंगनाथ धाम में मात्र 60 दिनों में 90 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने पूजा-अर्चना व जलाभिषेक कर विश्व समृद्धि की कामना की है. जबकि पिछले वर्ष यह आकंड़ा 86 दिनों में पार हुआ था. इस वर्ष तुंगनाथ धाम में भारी संख्या में तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों व सैलानियों की आवाजाही होने से तुंगनाथ घाटी के तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय में भारी इजाफा होने के साथ मंदिर समिति की आय में भी वृद्धि हुई है.
तुंगनाथ घाटी में इन दिनों मानसून लौटने के बाद तुंगनाथ धाम पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में हल्की गिरावट देखने को मिली है. लेकिन आगामी दो सप्ताह बाद शुरू होने वाले भगवान शिव के पवित्र सावन मास में शिव भक्तों की आवाजाही में भारी इजाफा होने की संभावना बनी हुई है. बता दें कि इस वर्ष विगत दो मई को तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये गये थे और मात्र 60 दिनों में तुंगनाथ धाम में 90 हजार श्रद्धालु पहुंचे हैं. मंदिर समिति के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि इस बार तुंगनाथ धाम में अधिक संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि कपाट बंद होने तक यह आंकड़ा दो लाख के पार पहुंच सकता है.
तुंगनाथ धाम प्रबंधक बलवीर सिंह नेगी ने बताया कि इस वर्ष भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलने के बाद से ही तीर्थ यात्रियों की आवाजाही भारी संख्या में शुरू हो गयी थी और अभी तक निरंतर जारी है. उन्होंने बताया कि मानसून लौटने के बाद तुंगनाथ धाम में आने वाले तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों व सैलानियों की आवाजाही में हल्की गिरावट देखने को मिल रही है, मगर सावन मास शुरू होते ही तीर्थ यात्रियों की आवाजाही में भारी वृद्धि होने की संभावना बनी हुई है. उन्होंने बताया कि चोपता से सीधे चंद्रशिला जाने वाले पर्यटकों व सैलानियों को मंदिर समिति के रिकार्ड में दर्ज नहीं किया गया है. मन्दिर समिति के रिकॉर्ड में उन्हीं तीर्थ यात्रियों को दर्ज किया गया है, जिन्होंने मंदिर में पहुंचकर पूजा-अर्चना व जलाभिषेक किया है.
लखनऊ निवासी प्रतिभा ने बताया कि इन दिनों भुजगली से चंद्रशिला के भूभाग में प्राकृतिक सौंदर्य पर चार चांद लगे हुए हैं. इसलिए तुंगनाथ घाटी से लौटने का मन नहीं कर रहा है. तुंगनाथ धाम के शीर्ष पर विराजमान चंद्रशिला की खूबसूरती से रूबरू होने के बाद इंदौर निवासी दिशा पाठक ने बताया कि चन्द्र शिला के शिखर से प्रकृति के दीदार का आनंद लिया. मंदिर समिति के चन्द्रमोहन बजवाल ने बताया कि भुजगली से चंद्रशिला का भूभाग हरियाली से आच्छादित होने से तीर्थयात्री, पर्यटक व सैलानी बुग्यालों की हरियाली से रूबरू होकर अपने को धन्य महसूस कर रहे हैं.
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