किरनकांत शर्मा, देहरादून: उत्तराखंड में मानसून की बौछार पड़ते ही आफत बरसनी शुरू हो गई है. इसकी तस्दीक बीते दिनों हुए वो हादसे हैं जिसकी चर्चाएं पूरे देश में है. पहला हादसा यमुनोत्री पैदल मार्ग का है तो दूसरा केदारनाथ हाईवे का है. जिसमें कई लोगों की जान असमय ही चली गई. जबकि, अभी भी 23 जून को हुए यमुनोत्री लैंडस्लाइड हादसे में 2 लोग लापता हैं तो 26 जून को रुद्रप्रयाग बस हादसे में 7 लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है.
बता दें कि ये हादसे उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जिले में हुए हैं. दोनों ही जिले की पुलिस और प्रशासन रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर लोगों की तलाश में जुटा हुआ है, लेकिन रुद्रप्रयाग में 24 घंटे और उत्तरकाशी में 5 दिन बीत जाने के बाद भी अब तक लापता लोगों का कोई सुराग नहीं मिला है. आखिरकार कैसे किया जा रहा है रेस्क्यू? इसके जानकारी से रूबरू करवाते हैं.
अलकनंदा नदी में रेस्क्यू अभियान (फोटो सोर्स- SDRF)
यमुनोत्री पैदल मार्ग पर भूस्खलन हादसे में 2 लोग लापता: बीती 23 जून को उत्तरकाशी के यमुनोत्री धाम पैदल मार्ग पर नौ कैंची बैंड के पास चट्टान के साथ पहाड़ी दरक गई थी, जिसकी चपेट में 5 यात्री आ गए थे. यह हादसा इतना खतरनाक था कि यात्रा को रोकना पड़ा. यात्रा को रोकने के बाद राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया.
The search operation is underway for the two people missing in the landslide accident near Bhairav Temple Nau Kachi on the Yamunotri foot way. The search team is also searching the Yamuna river with Sniffer Dogs.#RescueUpdate pic.twitter.com/jAcdSwFZo1
— Uttarkashi Police Uttarakhand (@UttarkashiPol) June 26, 2025
इस हादसे में 1 घायल यात्री (रसिक भाई) का रेस्क्यू कर लिया गया था. जबकि, 2 लोगों (हरिशंकर और ख्याति) की मौत हो गई. वहीं, 2 लोग (भाविका शर्मा और कमलेश जेठवा) अभी भी लापता चल रहे हैं. उनकी खोजबीन के लिए मलबे को हटाया गया. इसके अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों ने अपनी जान जोखिम में डालकर रस्सी के सहारे खाई में उतर कर खोजबीन की.

यमुनोत्री पैदल मार्ग पर हुआ था हादसा (फोटो सोर्स- SDRF)
वहीं, रेस्क्यू में स्निफर डॉग (Sniffer Dog) की भी मदद ली गई. इसके अलावा यमुना नदी में सर्च अभियान चलाया गया, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है. इस हादसे के बाद यमुनोत्री के यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोक दिया गया. उधर, हालात सामान्य होने पर यात्रा को भंडेलीगाड़ से ढाई किमी लंबे वैकल्पिक मार्ग से संचालित करवाई गई.
यमुनोत्री में चल रहे रेस्क्यू अभियान को आज पूरे 5 दिन बीत गए हैं. हालांकि, प्रशासन ने अब यमुनोत्री पैदल मार्ग को तत्काल प्रभाव से दुरुस्त कर यात्रियों के आवागमन के लिए खोल दिया है. जिसके बाद से अभी यात्रा सुचारू रूप से चल रही है. आलम ये है कि एक दिन में 4,500 से ज्यादा श्रद्धालु मां यमुना के दर्शन करने पहुंच रहे हैं.

अलकनंदा नदी में गोताखोर (फोटो सोर्स- SDRF)
इस रेस्क्यू अभियान में प्रशासन ने न केवल ड्रोन की मदद ली है, बल्कि डॉग स्क्वाड को भी मौके पर ले जाकर इसकी तस्दीक की गई है कि कहीं आसपास कोई शव न फंसा हो. खुद पूरे रेस्क्यू अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. हर 2 घंटे बाद का रिव्यू किया जा रहा है. मौजूदा समय में टीम को पहाड़ी से हटाकर अब नदी की तरफ मूव किया है.
फिलहाल, अभी अभियान नदी की तरफ चल रहा है. संभावना ये भी हो सकती है कि भूस्खलन के बाद लोग नदी की तरफ छिटक गए हों. लिहाजा, ऐसे में सभी पहलुओं और हालातों पर निगरानी रखते हुए सर्च अभियान चलाया जा रहा है.
– प्रशांत कुमार आर्य, जिला अधिकारी, उत्तरकाशी –
रुद्रप्रयाग में गत दिवस हुए हृदय विदारक हादसे (बस दुर्घटना) में दूसरे दिवस भी लापता चल रहे लोगों की तलाश हेतु सर्च एवं रेस्क्यू अभियान निरन्तर जारी। pic.twitter.com/2cG1owsz3Y
— Rudraprayag Police Uttarakhand (@RudraprayagPol) June 27, 2025
रुद्रप्रयाग हादसे में 7 लोग लापता, बस कहां गई पता नहीं? उधर, 26 जून को रुद्रप्रयाग जिले में घोलतीर के पास यात्रियों से भरी एक बस हादसे का शिकार हो गई. केदारनाथ के दर्शनों के लिए जा रही यात्रियों से भरी यह बस अलकनंदा नदी में समा गई थी. इस हादसे में अभी तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि, 8 घायल तो 7 लोग अभी भी लापता चल रहे हैं.
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के आदेश पर इस पूरे रेस्क्यू अभियान की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. अभी तक जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक बस में 20 लोग सवार थे. जिसमें से 8 घायल और 5 की मौत हो चुकी है. जबकि, 7 लोग अभी भी लापता हैं.
राजस्थान और अन्य प्रदेशों से जो मृतक के परिजन आए थे, उन्हें शव वाहन के साथ रवाना कर दिया है. इसके साथ ही युद्ध स्तर पर लापता लोगों को ढूंढने का अभियान चलाया जा रहा है.
– प्रतीक जैन, जिलाधिकारी, रुद्रप्रयाग –

बस हादसे में घायलों का एयरलिफ्ट (फोटो सोर्स- SDRF)
रेस्क्यू में कितने लोग जुटे? डीएम प्रतीक जैन की मानें तो इस पूरे रेस्क्यू अभियान में 5 टीम एसडीआरएफ (SDRF) जिसमें प्रत्येक टीम में 7-7 लोग शामिल हैं. जबकि, 2 टीम एनडीआरफ (NDRF) जिसमें 8-8 लोग शामिल हैं. इसके अलावा 1 गोताखोर की टीम भी शामिल है. जिसमें 8 लोग शामिल हैं. उन्हें रुद्रप्रयाग से लेकर श्रीनगर बैराज तक रेस्क्यू अभियान के लिए लगाया गया है. इसके साथ ही अलग-अलग माध्यम से भी लापता लोगों और बस की तलाश की जा रही है.
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