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ऊर्जा निगमों और उपनल के एमडी को मानवाधिकार आयोग ने भेजा नोटिस, कर्मचारियों के उत्पीड़न का आरोप


देहरादून: उत्तराखंड में ऊर्जा निगमों के प्रबंध निदेशकों समेत उपनल (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लि.) के एमडी को नोटिस जारी किया गया है. मानवाधिकार आयोग ने नोटिस संविदा कर्मचारियों की शिकायत पर दिया है. जिस पर अब इन निगमों को जवाब देना है. मामला संविदा कर्मियों की सुविधाओं में बड़ी लापरवाही का है.

ऊर्जा निगमो में संविदा कर्मचारियों को मेडिकल सुविधा से महरूम रखा जा रहा है. यह स्थिति तब है, जब यह एक इमरजेंसी सेवा है और इसमें कई कर्मचारी भारी रिस्क के बीच काम करते हैं. ऊर्जा निगमों के संविदा कर्मचारियों ने खुद किसी भी चिकित्सीय सुविधा के नहीं मिलने का दावा किया है. इसके लिए बाकायदा उन्होंने मानवाधिकार आयोग का दरवाजा भी खटखटाया है.

विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष विनोद कवि के आरोप. (ETV Bharat)

राज्य में उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड, उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड और पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ़ उत्तराखंड लिमिटेड में संविदा कार्मियो को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. विद्युत संविदा एकता मंच ने इस मामले में मानव अधिकार आयोग में भी शिकायत की है. अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को ग्रुप इंश्योरेंस, कैशलेस गोल्डन कार्ड की सुविधा या असीमित खर्च पर कैशलेस मेडिकल सुविधा नहीं मिल पा रही है. ऐसे में आयोग, निगमों को निर्देश जारी करते हुए कर्मचारियों को मेडिकल सुविधा दिलवाए.

निगमों में ऐसे करीब 2000 संविदा कर्मचारी हैं, जिनको मेडिकल की सुविधा नहीं मिल पा रही है. इसके चलते निगमों के अलावा उपनल के एमडी को भी नोटिस देते हुए जवाब मांगा गया है. मानवाधिकार आयोग ने प्रबंध निदेशकों से पूछा है कि कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधा किस स्तर पर उपलब्ध कराई जा रही है और फिलहाल मुफ्त मेडिकल सुविधा को लेकर क्या स्थिति है? इसका पूरा ब्योरा उपलब्ध कराए.

साथ ही आयोग की तरफ से यह भी स्पष्ट किया गया कि कर्मचारियों की स्वास्थ्य सुविधा उसका मानव अधिकार है, इसलिए संविदा कर्मचारियों को ये सुविधाएं मिलनी चाहिए. बता दें कि संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों को निगमों में जरूरी सुविधाएं दिए जाने को लेकर अक्सर आवाज होती रही है. विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष विनोद कवि कहते हैं कि कर्मचारियों को बीते लंबे समय से मेडिकल सुविधा नहीं मिल पा रही है, जबकि इसको लेकर निगम प्रबंधन को बार-बार जानकारी दी जा रही है. ऊर्चा निगमों ने ऐसे करीब दो हजार कर्मचारी है, जो इस सुविधा के लिए लगातार अपनी बात रख रहे हैं, लेकिन प्रबंधन इसको सुनने को तैयार नहीं है.

विनोद कवी ने बताया कि निगम प्रबंधन की तरफ से इस मामले में ध्यान नहीं देने के बाद आखिरकार मानव अधिकार आयोग की शरण में कर्मचारी गए हैं,जहां से फिलहाल नोटिस भी जारी हो गए हैं. ऐसे में कर्मचारी उम्मीद कर रहे हैं कि अब उन्हें इस जरूरी सुविधा का लाभ मिल सकेगा और निगम की तरफ से मेडिकल सुविधा देने को लेकर कोई ठोस नीति या व्यवस्था तैयार की जा सकेगी.

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