देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ने वाली है. जल्द ही हरक सिंह रावत पर प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (Enforcement Directorate) का शिकंजा कसने वाला है. ईडी ने इस बार सहसपुर जमीन प्रकरण में हरक सिंह और उनके करीबियों की घेराबंदी की है. आरोप है कि हरक सिंह ने जमीन अपने नाम कराने के लिए आपराधिक साजिश थी, जिसके लिए ईडी ने एक अभियोजन शिकायत दायर की है.
ईडी देहरादून ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 के प्रावधानों के तहत बीरेंद्र सिंह कंडारी, हरक सिंह रावत, दीप्ति रावत, लक्ष्मी राणा और श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के खिलाफ विशेष न्यायालय (PMLA) देहरादून में प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट (अभियोजन शिकायत) दायर की है.
ED, Dehradun has filed a Prosecution Complaint (PC) before the Hon’ble Special Court (PMLA), Dehradun against Birendra Singh Kandari, Harak Singh Rawat, Deepti Rawat, Laxmi Rana and Smt. Poorna Devi Memorial Trust in the case of Birendra Singh Kandari & others under the…
— ED (@dir_ed) July 18, 2025
बता दें कि, ईडी लंबे से हरक सिंह रावत के सहसपुर जमीन खरीद मामले की जांच कर ही थी. इस मामले में ईडी कई बार हरक सिंह रावत से पूछताछ भी कर चुकी है. पहले भी ये मामला काफी चर्चाओं में आया था, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई थी. हालांकि, अब ईडी ने हरक सिंह रावत के जमीन खरीद मामले को लेकर विशेष न्यायालय के समक्ष अभियोजन शिकायत दायर की.
बीजेपी सरकार भी करा चुकी है जांच: सहसपुर में जमीन खरीद का यह मामला कई साल पुराना है. पहले भाजपा सरकार ने भी इस मामले की जांच करवाई थी. हालांकि तब इसमें कुछ नहीं हो पाया था, लेकिन अब एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट इस प्रकरण पर कानूनी कार्रवाई करता हुआ दिखाई दे रहा है.
ईडी की प्रेस विज्ञप्ति. (@ED)
इस मामले में पूर्व में दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की गई थी. जांच के दौरान यह पता चला कि दीप्ति रावत पत्नी हरक सिंह रावत, लक्ष्मी राणा, वीरेंद्र सिंह कंडारी, हरक सिंह रावत और स्वर्गीय सुशीला रानी समेत अन्य व्यक्तियों द्वारा रची गई साजिश के परिणाम स्वरूप जमीन को अपने नाम पर पंजीकृत करवाया.
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने जनवरी 2025 में एक अनंतिम कुर्की आदेश जारी किया था, जिसमें लगभग 6.56 करोड़ रुपए की 101 बीघा जमीन को कुर्क किया गया था. इसके बाद से ही ईडी इस पर कानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ा रहा था.
ईडी ने दी पूरी जानकारी: जारी प्रेस रिलीज में प्रवर्तन निदेशालय ने बताया कि देहरादून के सहसपुर में आईपीसी 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर मामले की जांच शुरू की गई. जांच में पता चला कि दीप्ति रावत (पत्नी हरक सिंह रावत) और लक्ष्मी सिंह राणा ने बीरेंद्र सिंह कंडारी, हरक सिंह रावत, स्व0 सुशीला रानी और अन्य व्यक्तियों की मदद से जमीनों को अपने नाम पर रजिस्टर कराया.
ईडी जांच में सामने आया कि कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद सुशीला रानी ने अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर सहसपुर (देहरादून) में जमीनों के दो पावर ऑफ अटॉर्नी रजिस्टर कराए. इसके बाद इन जमीनों को बीरेंद्र सिंह कंडारी (पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर) ने दीप्ति रावत और लक्ष्मी सिंह राणा को सर्किल दरों से काफी कम कीमत पर बेच दिया.
दीप्ति रावत ने जो जमीनें खरीदी थीं वो अब दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत संचालित) का हिस्सा हैं. इसका कंट्रोल हरक सिंह रावत के परिवार और दोस्तों के पास है.
प्रकरण पर हरक सिंह रावत से पूछताछ भी की गई है, जबकि इससे संबंधित बाकी लोगों से भी प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी पूछताछ कर चुके हैं. इस मामले में हरक सिंह रावत भी केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों के सामने अपने दस्तावेज रख चुके हैं. हालांकि मामले में जांच के बाद अब विशेष न्यायालय में अभियोजन शिकायत कर दी गई है. जिसके बाद अब प्रवर्तन निदेशालय जल्द आरोप पत्र भी दाखिल कर सकता है.
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