हल्द्वानी: केंद्र सरकार मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजना चल रही है. ताकि, मोटे अनाज के उत्पादन के साथ काश्तकारों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत किया जा सके. इसी कड़ी में हल्द्वानी के प्रगतिशील किसान मोहन लोशाली अब गनेरा यानी चीना की खेती कर रहे हैं. इन दिनों उनके खेत में चीना की फसल लहलहा रही है. जिससे वो अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं.
दरअसल, हल्द्वानी के फात्ताबांगर के रहने वाले प्रगतिशील किसान मोहन लोशाली केंद्र सरकार की ‘आतमा परियोजना’ के तहत विभाग के सहयोग से गनेरा खेती कर रहे हैं. मोहन लोशाली एक एकड़ में गनेरा खेती कर रहे हैं. खास बात ये है कि लोशाली ऑर्गेनिक तरीके से ही गनेरा की फसल उगा रहे हैं.
“साल 1970-80 के दशक में कभी चीना की खेती बहुतायत हुआ करती थी, लेकिन गेहूं और अन्य उत्पादन के आगे किसानों ने इसकी खेती छोड़ दी थी. मोटे अनाज की बढ़ती मांग को देखते हुए उन्होंने चीना की खेती करना शुरू किया है.” – मोहन लोशाली, काश्तकार
साल में 2 से 3 बार कर सकते हैं चीना की खेती: बता दें कि गनेरा (चीना) की खेती मात्र 60 दिनों यानी दो महीने की होती है. प्रति एकड़ की बात करें तो 7 से 8 क्विंटल तक उत्पादन आसानी से हो जाता है. बाजारों में इसकी कीमत 80 रुपए से लेकर 90 रुपए प्रति किलो तक होती है.
अपने खेत में प्रगतिशील किसान मोहन लोशाली (फोटो- ETV Bharat)
इस कारण यह तुलनात्मक रूप से सर्वाधिक लाभ अर्जित करने वाली फसल साबित हो रही है. खास बात ये है कि एक साल में 2 से 3 बार तक गनेरा (चीना) की खेती की जा सकती है. इसके उत्पादन से किसानों को गेहूं से 3 गुना ज्यादा लाभ मिल रहा है.
काश्तकार मोहन लोशाली ने बताया कि चीना की खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक रूप से कर रहे हैं. अन्य फसलों के मुकाबले चीना के खेती में लागत कम लगती है. अगर बीज की बात करें 6 से 8 किलो तक बीज एक एकड़ में लगता है. इसके अलावा अन्य प्रबंधन में भी ज्यादा खर्च नहीं होता है.

गनेरा की फसल (फोटो- ETV Bharat)
इस तरह से देखा जाए तो एक एकड़ में करीब 12-13 हजार रुपए ही खर्च होता है. वहीं, उत्पादन की बात करें तो एक एकड़ में 7 से 8 क्विंटल तक आसानी से उत्पादन मिल जाता है. यानी चीना की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा हो सकता है.

हल्द्वानी में लहलहा रही गनेरा की फसल (फोटो- ETV Bharat)
“केंद्र सरकार की आतमा परियोजना के तहत किसानों को गनेरा (चीना) अनाज उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. जहां बीज और ऑर्गेनिक खाद के साथ प्रोत्साहन राशि के रूप में ₹6000 किसानों को दिए जा रहे हैं. हल्द्वानी ब्लॉक अंतर्गत पहली बार दो किसानों ने चीना की खेती को शुरुआत की है. अन्य किसानों को भी खेती के लिए प्रोत्साहित करने की योजना चल रहे हैं. जिससे किसान ज्यादा से ज्यादा चीना की खेती कर सके.”– पूजा पुनेड़ा, कृषि अधिकारी हल्द्वानी
चीना से बनते हैं जायकेदार और पौष्टिक व्यंजन: चीना को मोटे अनाज में गिना जाता है. जिसके आटे से रोटी, पराठे और पुड़ी के अलावा कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जा सकते हैं. इससे दलिया, हलुआ के अलावा अन्य व्यंजन भी बनाए जाते हैं. खास बात ये है कि मिनरल्स से भरपूर इस अनाज से बने सभी व्यंजन स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं.

गनेरा की खेती करते मोहन लोशाली (फोटो- ETV Bharat)
ब्लड प्रेशर और मधुमेह के मरीजों के लिए फायदेमंद है चीना का सेवन: चीना में प्रोटीन और फाइबर के अलावा काफी मात्रा में लौह और कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं. इसलिए इसे पोषक तत्व फसल कहते हैं. चीना का सेवन ब्लड प्रेशर और मधुमेह के मरीजों के लिए रामबाण है.
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