रोहित कुमार सोनी, देहरादून: उत्तराखंड में मानसून की दस्तक के बाद से ही खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा जैसी स्थिति बन गई है. जबकि, इस बार सामान्य से ज्यादा बारिश होने की आशंका है. इसी बीच 24 और 28 जुलाई को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर वोटिंग भी होनी है. उस दौरान भारी बारिश और पर्वतीय क्षेत्रों में बनी आपदा की स्थिति एक बड़ी चुनौती बन सकती है.
लिहाजा, बारिश को देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग और आपदा प्रबंधन विभाग ने चुनाव को लेकर रणनीतियां बनानी शुरू कर दी है. ताकि, बिना प्राकृतिक व्यवधान के चुनाव कराया जा सके. आखिर क्या है राज्य निर्वाचन आयोग और आपदा प्रबंधन विभाग की रणनीति? ईटीवी भारत पर विस्तार से जानिए.
कंटीजेंसी प्लान बनाने के निर्देश (वीडियो- ETV Bharat)
हर साल मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश के चलते आपदा जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से लगातार हुई भारी बारिश के चलते आपदा की स्थिति बन गई है. इतना ही नहीं भारी बारिश के चलते होने वाले भूस्खलन की वजह से तमाम रस्ते बाधित हो गए है.
फिलहाल 7 जुलाई तक भारी बारिश का अलर्ट: यही वजह है कि आने वाले दिनों में प्रदेश में भारी बारिश के चलते आपदा जैसी स्थिति बनने की भी संभावना जताई जा रही है. मौसम विभाग ने फिलहाल 7 जुलाई तक प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है. साथ ही इस जुलाई महीने में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की भी संभावना जताई है.
वहीं, इसी महीने पंचायत चुनाव हो रहे हैं. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से 28 जून को जारी संशोधित अधिसूचना के अनुसार 24 और 28 जुलाई को मतदान होना है. साथ ही 31 जुलाई को मतगणना होनी है. वर्तमान समय में प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में बनी स्थितियों के चुनाव करना शासन-प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.
राज्य निर्वाचन आयोग ने दिए अहम निर्देश: हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग भी इस बात को मान रहा है कि मानसून में चुनाव करना चुनौती है. जिसके चलते सभी जिलाधिकारियों और आपदा प्रबंधन को व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के निर्देश दिए हैं. ताकि, सामान्य दिनों की तरह ही चुनाव को संपन्न कराया जा सके. इसको लेकर राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने अहम जानकारी दी.
“इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव मानसून के दौरान हो रहा है. जिसका शुरू से ही इसका विशेष ध्यान रखा गया है. ऐसे में संभावित परिस्थितियों को देखते हुए सभी जिलाधिकारियों को कहा गया है कि आपदा को देखते हुए चुनाव के लिए कंटीजेंसी प्लान बनाएं. ताकि, चुनाव के दौरान बारिश या मार्ग बाधित होती है तो उस दौरान पोलिंग पार्टियों और मतदाताओं का आवागमन बाधित न हो. साथ ही मतदान की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद पोलिंग पार्टियां सुरक्षित अपने गंतव्य पर पहुंच जाए.”– सुशील कुमार, राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड
उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से बारिश के दौरान होने वाले सड़कों के अवरुद्ध को देखना है. ऐसे में मार्ग को तत्काल खोलने के लिए पहले दिन से ही चुनाव प्रक्रिया तक संसाधन तैयार रखना पड़ेगा. इसी तरह पोलिंग बूथ को जाने वाली पैदल मार्ग को दुरुस्त रखने, पोलिंग बूथों को दुरुस्त करने के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाएं के बेहतर प्रबंधन पर जोर दिया गया है.
आपदा के चलते किसी पोलिंग बूथ पर मतदाताओं के न पहुंचने पर लिए जाने वाले निर्णय के सवाल पर आयुक्त सुशील कुमार ने कहा कि ‘ये परिस्थितियों पर निर्भर करेगा. इन चीजों को स्थानीय प्रशासन देखता है. ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग स्थानीय प्रशासन की ओर से दिए जाने वाले रिपोर्ट पर निर्णय लेता है.‘
वही, आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जिलों को निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में निर्देश के आधार पर व्यवस्थाओं को मुकम्मल कराई जा रही है. साथ ही कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग हर तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
“जो कुछ कमी है, उसका एनालिसिस भी किया जा रहा है. सभी जिला आपदा अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए गए है कि बारिश या फिर सड़क बाधित होने के कारण पोलिंग पार्टियों, मतदाताओं और पर्यटकों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो.” – विनोद कुमार सुमन, सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के कार्यक्रम-
- 5 जुलाई 2025 तक तक चलेगी नामांकन की प्रक्रिया
- 7 जुलाई से 9 जुलाई तक नामांकन पत्रों की होगी जांच
- 10 और 11 जुलाई को नाम वापसी की रखी गई तिथि
- दो चरणों में होंगे त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव
- 14 जुलाई को किया जाएगा पहले चरण के चुनाव चिन्ह का आवंटन
- 24 जुलाई को होगा पहले चरण का मतदान
- 18 जुलाई को किया जाएगा दूसरे चरण के चुनाव चिन्ह का आवंटन
- 28 जुलाई को होगा दूसरे चरण का मतदान
- 31 जुलाई को होगी दोनों चरणों के मतों की मतगणना
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