नेशनल सिस्मिक हजार्ड मैप को अपडेट किया (ETV Bharat)
रोहित कुमार सोनी
देहरादून: भारत सरकार की ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) ने नेशनल सिस्मिक हजार्ड मैप को अपडेट किया है. पुराने सिस्मिक हजार्ड मैप में देश को 4 जोन (II, III, IV, V) में बांटा गया था, लेकिन नए मैप में एक और नया जोन VI जोड़ा गया है.
देश के पूरे हिमालयन बेल्ट यानी अरुणाचल प्रदेश से लेकर जम्मू-कश्मीर तक को भूकंप के लिहाज से जोन VI में रखा गया है. इसका मतलब यह है कि हिमालय बेल्ट में बड़े या फिर विनाशकारी भूकंप की आशंका बनी हुई है. पुराने सिस्मिक हजार्ड मैप में पांच ही जोन थ, लेकिन नए में VI (6) जोन हो गए.
नए सिस्मिक हजार्ड मैप के बारे में विस्तार से जानिए. (ETV Bharat)
पुराने मैप में दो जोन में बंटा था हिमालय: पुराने सिस्मिक हजार्ड मैप में भारत के हिमालयी क्षेत्र को दो जोन चार और पांच में बांटा गया था. क्षेत्र के भूकंप के लिहाज से जोन में बांटने का मतलब ये होता है कि इन इलाकों में कोई भी निर्माण कार्य यानी इंफ्रास्ट्रक्चर भूकंप की तीव्रता को देखते हुए की डेवलपमेंट किया जाए.

मैप से समझिए हिमालयन बेल्ट में कैसे बढ़ा भूकंप का खतरा (ETV Bharat)
| देश के हिमालयी राज्यों में मुख्य रूप से पूर्वोत्तर के राज्य, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड से सटे मैदानी क्षेत्र जैसे- देहरादून, नैनीताल, काठगोदाम के साथ ही पश्चिमी यूपी और दिल्ली एनसीआर में भूकंप जोन पांच से हटाकर 6 में रखा गया है. |

2025 में आए बड़े भूकंपों पर एक नजर (ETV Bharat)
इन इलाकों जोन 6 में डालने की वजह: बीआईएस की ओर से जारी रिपोर्ट में उत्तराखंड के देहरादून से मोहंड के बीच का क्षेत्र, तराई बेल्ट और गंगा-यमुना के आसपास के शहरों पर विशेष नजर रखने की बात कही गई है. इसकी मुख्य वजह यही है कि हिमालयी फ्रंटल थ्रस्ट के साथ-साथ इससे जुड़ी सब-फॉल्ट लाइनों पर पिछले करीब 500 सालों से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. इसके चलते वैज्ञानिक यह अनुमान लगा रहे हैं कि भूगर्भ में काफी अधिक एनर्जी एकत्र हो गई है.

उत्तराखंड मं बड़े भूकंप की आशंका बनी हुई है. (ETV Bharat)
ईटीवी भारत ने नए सिस्मिक हजार्ड मैप के बारे में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ विनीत गहलोत से विस्तार से जानने का प्रयास किया है. हिमालयी राज्यों को भूकंप जोन 6 में आने से क्या बदलाव होगा.

भूकंप के कारण भारत में कई बार बड़ा नुकसान हुआ है. (ETV Bharat)
वाडियe के डायरेक्टर डॉ विनीत गहलोत ने बताया कि सिस्मिक हजार्ड मैप में उत्तराखंड को जोन 4 और जोन पांच में रखा गया था. पुराने मैप में उत्तराखंड के देहरादून और शिवालिक से लगाते हुए क्षेत्र को जोन 4 में रखा गया था. वहीं पिथौरागढ़ के आसपास के क्षेत्र को जोन 5 में रखा गया था.
ठीक नहीं था पुराना सिस्मिक हजार्ड मैप:
उत्तराखंड समेत पूरे हिमालय में जिस तरह के भूकंप आते हैं. उसके अनुसार पुराना सिस्मिक हजार्ड मैप ठीक नहीं था. जबकि होना ये चाहिए था कि जो पूरा क्षेत्र है, जहां पर बड़े अर्थक्वेक (भूकंप) आने की आशंका है और वो जिस क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं, उन सभी क्षेत्रों को हाई सिस्मिक जोन में होना चाहिए.
– डॉ विनीत गहलोत, डायरेक्टर, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी –

उत्तराखंड पहले भी भूकंप के लिहाज जोन चार और पांच में था. (ETV Bharat)
उत्तराखंड का पूरा क्षेत्र ही हाई सिस्मिक जोन: डॉ विनीत गहलोत के मुताबिक, पुराने अध्ययनों में यह बातें भी सामने आई हैं कि उत्तराखंड का पूरा क्षेत्र ही हाई सिस्मिक जोन में होना चाहिए. क्योंकि हिमालयी बेल्ट में सबसे ज्यादा भूकंप आने का खतरा उत्तराखंड के रीजन में ही है. भूकंप से सबसे ज्यादा नुकसान की आशंका भी उत्तराखंड में ही है. यही वजह है कि इस पूरे क्षेत्र को हाई सिस्मिक जोन में रखा गया है.

साल 2024 में भी कई बड़े भूकंपों ने दुनियां को हिला दिया था. (ETV Bharat)
जोन में बांटने की मुख्य वजह:
पहले सिस्मिक जोन दो से लेकर 5 तक थे, लेकिन अब सिस्मिक जोन को दो से लेकर 6 तक कर दिया गया है. जोन में बांटने की मुख्य वजह यही है कि अगर कोई बड़ा भूकंप आता है तो उससे कितना बड़ा नुकसान हो सकता है, उसी के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कार्य किए जाते हैं.
– डॉ विनीत गहलोत, डायरेक्टर, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी –

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ने जारी किया भारत का नया सिस्मिक हजार्ड मैप (@BIS)
टेंशन की बात नहीं: इसके साथ ही डॉ गहलोत ने बताया कि पुराने सिस्मिक मैप और नए सिस्मिक मैप में भले ही जोन 2 से लेकर 5 तक के नंबर वही हो, लेकिन उसकी कॉरस्पॉडिंग सीस्मिक ऑफिसेंट अलग हैं. ऐसे में लोगों को इस बात को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है कि उत्तराखंड जोन 4 और 5 से अब जोन 6 में चला गया है.

हिमालय में बड़े भूकंप का खतरा. (ETV Bharat)
प्रदेश भर में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कार्य समान तरीके से होंगे: भारत के नक्शे में भूकंप के लिहाज से कोई सबसे संवेदनशील क्षेत्र है तो वो हिमालय का क्षेत्र है. ऐसे में जो पुराना सिस्मिक मैप था, उसको अब अपग्रेड कर दिया गया है. ऐसे में पहले था कि देहरादून और पिथौरागढ़ में होने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कार्य अलग-अलग होंगे, लेकिन अब पूरे प्रदेश को जोन 6 में रखने के बाद प्रदेश भर में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कार्य समान तरीके से होंगे.

हिमालय के नीचे बड़ी दरारें. (ETV Bharat)
डॉ विनीत गहलोत ने बड़ी जानकारी देते हुए बताया कि,
सिस्मिक हजार्ड मैप में भूकंप आने के आशंका की बात नहीं होती है, बल्कि भूकंप जब आएगा तो उससे कितना नुकसान हो सकता है, उसकी बात की जाती है. ऐसे में किस तरह से अपने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कार्यों में शामिल किया जाए, ताकि भूकंप के दौरान कोई बड़ा नुकसान न हो उस पर जोर दिया जाता है.
ऐसे में इस नए सिस्मिक हजार्ड मैप के अनुसार उत्तराखंड के किसी भी क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप आता है तो उसके आसपास के क्षेत्र में एक तरह का ही नुकसान होगा. कुल मिलाकर देश के पूरे हिमालय राज्यों में जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कार्य किए जाने हैं, वो एक समान तरह से करने होंगे.

भारत के पूरे हिमालय के जोन नए जोन 6 में डाला गया. (ETV Bharat)
उत्तराखंड में मेन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT) की बात करें तो उत्तरकाशी और मुनस्यारी समेत आसपास के क्षेत्र से मेन सेंट्रल थ्रस्ट निकलती है. मुख्य रूप से मेन सेंट्रल थ्रस्ट ग्लेशियर हिमालय और हायर हिमालय को डिवाइड करती है. वैज्ञानिकों के नजरिए से एमसीटी को देखें तो हिमालय सिस्मिक बेल्ट के आसपास ही भूकंप आते हैं, जिसमें चमोली, उत्तरकाशी और धारचूला समेत अन्य इलाके आते हैं.

हाई रिस्क जोन 6 में पूरी हिमालयन बेल्ट (ETV Bharat)
जानिए क्या होती है MCT: मेन सेंट्रल थ्रस्ट एक तरह से प्रमुख भूवैज्ञानिक दरार है, जो ग्रेट हिमालय से लेसर हिमालय को अलग करती है. यह भारत और यूरेशियन प्लेटों के टकराने से बनी है और हिमालय की लगभग 2200 किलोमीटर की सीमा तक फैली हुई है. इस दरार से भूकंप आ सकते हैं, क्योंकि यह लगातार भूगर्भिक गतिविधि से जुड़ी हुई है.
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