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'देश के लोगों का 22 हजार करोड़ से ज्यादा पैसा उड़ा ले गए साइबर ठग': गृह राज्य मंत्री


नई दिल्लीः साइबर अपराधियों ने पिछले साल देशभर में लोगों को 22 हजार 845 करोड़ रुपये का चूना लगाया है. केंद्र सरकार के गृह राज्य मंत्री ने मंगलवार को संसद में बताया कि 2024 में देशभर में साइबर ठगी से नागरिकों को कुल 22 हजार 845 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. यह रकम, पिछले साल की तुलना में लगभग 3.06 प्रतिशत अधिक है.

लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) और नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (सीएफसीएफआरएमएस) के अनुसार, 2024 में पूरे देश में साइबर धोखाधड़ी के कारण नागरिकों को होने वाले कुल नुकसान की राशि 22,845.73 करोड़ रुपये थी. जबकि पिछले वर्ष यह 7,465.18 करोड़ रुपये थी.

कुमार ने कहा कि 2024 में साइबर अपराधियों द्वारा की गई वित्तीय धोखाधड़ी की 36 लाख 37 हजार 288 घटनाएं एनसीआरपी और सीएफसीएफआरएमएस पर दर्ज की गईं. जबकि पिछले वर्ष 24 लाख 42 हजार 978 घटनाएं दर्ज की गई थीं.

मंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2022 में एनसीआरपी पर 10 लाख 29 हजार 26 साइबर अपराध दर्ज किए गए. पिछले वर्ष की तुलना में 127.44 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. 2023 में 15 लाख 96 हजार 493 घटनाएं दर्ज की गईं. जो, पिछले वर्ष की तुलना में 55.15 प्रतिशत अधिक है. 2024 में 22 लाख 68 हजार 346 मामले दर्ज किए गए. पिछले वर्ष की तुलना में 42.08 प्रतिशत ज्यादा है.

गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने कहा, “वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए, I4C के तहत नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (CFCFRMS) को 2021 में लॉन्च किया गया था. सीएफसीएफआरएमएस के अनुसार, अब तक इस पर दर्ज 17.82 लाख से अधिक शिकायतों में 5 हजार 489 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय राशि बचाई गई है.”

साइबर अपराधियों के खिलाफ सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का ब्यौरा देते हुए मंत्री ने कहा कि पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई सूचना के अनुसार अब तक केंद्र द्वारा 9.42 लाख से अधिक सिम कार्ड और 2 लाख 63 हजार 348 आईएमईआई ब्लॉक किए गए हैं.

बैंकों/वित्तीय संस्थानों के सहयोग से, 10 सितंबर 2024 को साइबर अपराधियों की पहचान करने वालों की एक संदिग्ध रजिस्ट्री शुरू की गई थी. उन्होंने बताया कि अब तक बैंकों और 24 लाख लेयर 1 म्यूल खातों से प्राप्त 11 लाख से ज़्यादा संदिग्ध पहचानकर्ताओं के डेटा को संदिग्ध रजिस्ट्री की भागीदार संस्थाओं के साथ साझा किया गया है. इससे 4631 करोड़ रुपये से ज़्यादा की बचत हुई है.

मंत्री ने कहा कि ‘प्रतिबिंब’ मॉड्यूल शुरू किया है, जो क्षेत्राधिकारियों को दृश्यता प्रदान करने के लिए अपराधियों और अपराध के बुनियादी ढांचे के स्थानों को मानचित्र पर प्रदर्शित करता है. उन्होंने कहा कि यह मॉड्यूल कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा I4C और अन्य एसएमई से तकनीकी-कानूनी सहायता प्राप्त करने और प्राप्त करने की सुविधा भी प्रदान करता है. इसके परिणामस्वरूप 10 हजार 599 अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है.

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