भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनज़र साइबर हमले की संभावनाओं को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड एसटीएफ ने अपने साइबर कमांडो को अलर्ट मोड में तैनात कर दिया है।
साथ ही एक विशेष निगरानी दल का गठन किया गया है, जो विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और वेबसाइटों पर होने वाली सभी गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए हुए है। यह टीम किसी भी संदिग्ध डिजिटल गतिविधि को तुरंत पहचानने और त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए काम कर रही है, ताकि राज्य की साइबर सुरक्षा को किसी भी तरह की सेंध से बचाया जा सके।
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच उत्तराखंड में साइबर हमले की आशंका को लेकर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। संभावित खतरों को देखते हुए राज्य की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने साइबर कमांडो को सक्रिय कर दिया है और एक विशेष निगरानी टीम का गठन किया गया है, जो इंटरनेट पर हो रही हर गतिविधि पर करीबी नजर बनाए हुए है।
एसटीएफ की ओर से प्रदेशवासियों के लिए एक एडवाइजरी भी जारी की गई है, जिसमें नागरिकों को सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध लिंक, मैसेज या ईमेल से दूर रहने की सलाह दी गई है। एडवाइजरी में स्पष्ट किया गया है कि मौजूदा माहौल में साइबर हमले की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता, खासकर जब सोशल मीडिया पर संदिग्ध लिंक और गलत जानकारी तेजी से फैल रही है।
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि दुश्मन देश के हैकर राज्य के सरकारी वेब पोर्टल्स और डिजिटल सिस्टम को निशाना बना सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के डीजीपी दीपम सेठ ने एसटीएफ को हर हाल में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।
राज्य प्रशासन इसे पारदर्शिता और सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का हिस्सा मान रहा है। इससे पहले भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भ्रष्टाचार और नकल के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की गई है। अब तक 150 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी और माफिया जेल भेजे जा चुके हैं। नकल विरोधी कानून के तहत 80 से अधिक माफिया गिरफ्तार हुए हैं, जबकि पारदर्शी भर्ती प्रणाली की दिशा में बड़ी पहल की गई है।
यह सभी कदम राज्य में एक मजबूत, पारदर्शी और सुरक्षित शासन व्यवस्था को स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं।