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चमोली के दो सपूतों ने दिखाया जज्बा, सेना में बने परिवार के पहले अफसर, परिजनों के छलके खुशी के आंसू

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चमोली के दो सपूतों ने दिखाया जज्बा (PHOTO- ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड के पर्वतीय जिले चमोली से निकले दो होनहार युवाओं ने भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होकर न केवल अपने जिले बल्कि पूरे प्रदेश का नाम देशभर में रोशन किया है. चमोली के रहने वाले शशांक बिष्ट और प्रवीण बिष्ट अब भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में देश सेवा के लिए तैयार हैं. इन दोनों युवाओं की यह उपलब्धि साबित करती है कि कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद मेहनत और दृढ़ संकल्प से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.

भारतीय सैन्य अकादमी से 491 सैन्य अफसर आज पास आउट होकर सेना का हिस्सा बन गए. इसमें देश भर के तमाम अफसरों के साथ ही उत्तराखंड के पहाड़ी जिले चमोली के दो सपूत भी शामिल रहे. शशांक और प्रवीण बिष्ट अपनी मेहनत की बदौलत भारतीय सैन्य अकादमी तक पहुंचे और अब यहां पर कठिन प्रशिक्षण को पूरा करते हुए देना का हिस्सा बने हैं.

चमोली के दो सपूतों ने दिखाया जज्बा, सेना में बने परिवार के पहले अफसर (VIDEO- ETV Bharat)

भारतीय सैन्य अकादमी में आयोजित पासिंग आउट परेड के बाद ईटीवी भारत से बातचीत में दोनों नव नियुक्त अधिकारियों ने अपनी खुशी जाहिर की. उन्होंने बताया कि पिछले चार वर्षों से वे इसी पल का इंतजार कर रहे थे, जब उनका सपना साकार होगा और वे सेना की वर्दी पहनकर देश की सेवा करेंगे.

शशांक बिष्ट का सफर चमोली जिले के गोपेश्वर से शुरू हुआ. उन्होंने यहीं से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और इसके बाद एनडीए और एसएसबी जैसी कठिन परीक्षाओं को पास करते हुए भारतीय सैन्य अकादमी तक का सफर तय किया. शशांक के पिता सरकारी विद्यालय में शिक्षक हैं, जबकि उनकी माता गृहिणी होने के साथ-साथ खेती-बाड़ी भी संभालती है. शशांक के पिता का कहना है कि बेटे की इस सफलता में उसकी मां और दादी का सबसे बड़ा योगदान है, जिन्होंने हर कदम पर उसे संभल दिया. उनका मानना है कि पारिवारिक संस्कार और अनुशासन ही शशांक को इस मुकाम तक ले आए.

वहीं चमोली के ही रहने वाले प्रवीण बिष्ट भी 13 दिसंबर को आयोजित पासिंग आउट परेड का हिस्सा बने. हालांकि, प्रवीण ने अपनी शिक्षा देहरादून के क्लेमेंट टाउन क्षेत्र स्थित एक संस्थान से पूरी की. लेकिन उनका सपना शुरू से ही सेना में जाने का था. इस सपने को आकार देने में उन्हें अपने परिवार से खास प्रेरणा मिली. प्रवीण के पिता एक एक्स-सर्विसमैन हैं, जिन्होंने सेकंड गढ़वाल राइफल्स में सेवाएं दीं, जबकि उनके बड़े भाई वर्तमान में पांचवीं गढ़वाल में तैनात हैं.

इन दोनों युवाओं की खास बात यह है कि वे अपने-अपने परिवारों में पहले ऐसे सदस्य हैं, जो सैन्य अधिकारी बने हैं. इस उपलब्धि को लेकर उनके परिजनों में गर्व और खुशी का माहौल है. चमोली के इन दो सपूतों की सफलता आज पहाड़ के युवाओं के लिए प्रेरणा बनकर सामने आई है.

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