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जापान के बाला कुंभ मुनि बनेंगे निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर, विदेश में भी लहराएगा सनातन का परचम


हरिद्वार: विदेशी लोग भारतीय परंपराओं और सभ्यताओं के मुरीद हो रहे हैं. यही वजह कि हिंदू धर्म में आस्था रखकर इसे अपना भी रहे हैं. ऐसे ही एक शख्स ताकायुकी हैं, जो जापान के रहने वाले हैं. जो 20 साल पहले उत्तराखंड आए और संन्यास ले लिया. जिसके बाद वो बाला कुंभ गुरु मुनि बन गए. अब जापान के स्वामी बाला कुंभ मुनि निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर की पदवी धारण करेंगे.

बता दें कि भक्तों के साथ आए स्वामी बाला कुंभ मुनि ने 23 जुलाई को चरण पादुका मंदिर हरिद्वार पहुंचे. जहां उन्होंने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी का आशीर्वाद लिया. इस दौरान महंत रवींद्र पुरी ने मनसा देवी की चुनरी ओढ़ाकर और मूर्ति भेंटकर स्वामी बाला कुंभ मुनि का स्वागत किया.

बाला कुंभ मुनि बनेंगे निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर (फोटो सोर्स- Akhara Parishad/ETV Bharat)

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि स्वामी बाला कुंभ मुनि (ताकायुकी) जापान में सनातन धर्म संस्कृति और अध्यात्म के प्रचार प्रसार में योगदान देंगे. उन्होंने महामंडलेश्वर की पदवी धारण करने वाले की बात भी कही.

जापान के स्वामी बाला कुंभ मुनि और अन्य अनुयायी (फोटो सोर्स- Akhara Parishad)

“विदेशों में भी सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की पताका फहरा रहे स्वामी बाला कुंभ मुनि विद्वान संत हैं. जल्द ही उन्हें निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर की पदवी प्रदान की जाएगी. मुझे पूरा विश्वास है कि स्वामी बाला कुंभ मुनि अखाड़ा और संत परंपराओं का पालन करते हुए समाज में धर्म एवं अध्यात्म का प्रचार करेंगे. साथ अखाड़े की प्रगति में भी योगदान देंगे.”– महंत रवींद्र पुरी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद

वहीं, जापानी के स्वामी बाला कुंभ मुनि ने अपनी भाषा (जापानी) में भारतीय संस्कृति के बारे में बताया. साथ ही निरंजनी अखाड़े से जुड़ने को लेकर उत्तराखंड में अपने आश्रम को लेकर भी बात रखी. इस दौरान उनके साथ जापान से आए कई श्रद्धालु भी मौजूद रहे.

BALA KUMBHA GURU MUNI

जापान के अनुयायी (फोटो सोर्स- Akhara Parishad)

“हरिद्वार विश्व की आध्यात्मिक राजधानी है. निरंजनी अखाड़े से जुड़ना मेरे लिए गौरव का अवसर है. अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी के नेतृत्व में जापान में हिंदुत्व और सनातन धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार करना ही मेरा लक्ष्य होगा.”– स्वामी बाला कुंभ मुनि, जापान निवासी

टोक्यो स्थित अपने घर को बनाया मंदिर: स्वामी बाला कुंभ मुनि के सहयोगी रमेश शर्मा ने बताया कि ‘वे 20 साल पहले भारत में उत्तराखंड के दौरे पर आए थे. जिसके बाद उन्होंने संन्यास ले लिया था. जो संन्यास लेने के बाद बाला कुंभ गुरु मुनि बन गए. उन्होंने जापान के टोक्यो स्थित अपने घर को भी मंदिर बना दिया है. उत्तराखंड में भी वे एक आश्रम बनाने जा रहे हैं. जापान में बाला कुंभ गुरु मुनि के साथ 3 हजार से ज्यादा अनुयायी जुड़े हुए हैं.

BALA KUMBHA GURU MUNI

स्वामी दर्शन भारती संग बाला कुंभ गुरु मुनि (फोटो सोर्स- Akhara Parishad)

“बाला कुंभ मुनि के टोक्यो में 13 स्टोर थे. जिन्हें उन्होंने अपने अनुयायियों को दे दिया है. वे पहले इंपोर्ट-एक्सपोर्ट का बिजनेस किया करते थे, लेकिन अब वो सिर्फ सत्य सनातन धर्म की राह पर है. ग्रंथों का अध्ययन कर उसके बारे में बताते हैं. इसके अलावा कथाएं भी सुनते हैं. जितने भी अनुयायी उनके साथ आए हैं, वो किसी पर्यटक स्थल घूमने नहीं, बल्कि इस सावन मास में सभी शिवालयों के दर्शन करने आए हैं.”– रमेश शर्मा, स्वामी बाला कुंभ मुनि के सहयोगी

सावन शिवरात्रि पर उठाई कांवड़: इतना ही नहीं स्वामी बाला कुंभ मुनि ने इस बार सावन शिवरात्रि पर कांवड़ भी उठाई. जो कि उन्होंने ऋषिकेश के ही शिव के मंदिर में चढ़ाया. इस दौरान सभी उनके अनुयायियों ने उनके साथ भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक भी किया. जल्द ही वो दोबारा उत्तराखंड में आएंगे और अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने घोषणा की है कि वो जल्द उन्हें अखाड़े का महामंडलेश्वर भी बनाएंगे.

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कांवड लेकर जाते बाला कुंभ गुरु मुनि (फोटो सोर्स- Akhara Parishad)

बाला कुंभ गुरु मुनि के बारे में जानिए: बाला कुंभ गुरु मुनि का असली नाम ताकायुकी है. उनका जन्म 8 सितंबर 1984 को जापान के टोक्यो के धार्मिक परिवार में हुआ था. वे बचपन से ही शिक्षा और खेल में अव्वल रहे. जैसे-जैसे वे बड़े हुए, वैसे-वैसे आध्यमिकता को परोपकारिता और उद्यमिता के साथ जोड़ते गए. साल 2006 में उन्होंने उद्यम में कदम रखा.

उन्होंने कॉस्मेटिक उत्पाद उद्योग के तहत 12 स्टोर खोले और एक सफल उद्यमी बने. साल 2006 से 2010 तक भारत और दक्षिण एशिया में स्वयंसेवी के रूप में काम किया. जिसमें उन्होंने पौधारोपण, जरूरतमंद बच्चों को आवश्यक खाद्य सामग्री वितरित की. इसके अलावा भारत में एक व्यापक भोजन कार्यक्रम शुरू किया.

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सनातन धर्म के मुरीद जापान के लोग (फोटो सोर्स- Akhara Parishad)

इसके तहत रोजाना 3 बार भोजन तैयार कर करीब 20 लाख लोगों को खाना खिलाया. उन्होंने भारत में जगह-जगह हजारों पेड़ भी लगाए हैं. आमतौर पर जापान बौद्ध धर्म को मानने वाला देश है, लेकिन उन्होंने जापान में लोगों को सनातन धर्म के प्रति जागरूक किया. इसके अलावा उन्होंने भारत और जापान में मंदिरों के जीर्णोद्धार में अहम योगदान दिया है.

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